रूस ने स्पुतनिक-V वैक्सीन के लिए WHO को सौंपा प्री-क्वालिफिकेशन का आवेदन, 85% लोगों पर नहीं दिखा साइडइफेक्ट

रूस दुनिया का पहला देश है जिसने WHO के पास अपनी वैक्सीन स्पुतनिक-V के प्री-क्वलिफिकेशन का आवेदन भेजा है। रूस का दावा है उसकी वैक्सीन सुरक्षित है।
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रूस ने स्पुतनिक-V वैक्सीन के लिए WHO को सौंपा प्री-क्वालिफिकेशन का आवेदन, 85% लोगों पर नहीं दिखा साइडइफेक्ट


दुनियाभर में लोग कोविड-19 फैलाने वाले कोरोना वायरस को रोकने के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। कोरोना वायरस को रोकने के सभी प्रयास असफल होते देखकर वैक्सीन से ही उम्मीदें हैं। यही कारण है कि 200 से फार्मा कंपनियां और वैक्सीन निर्माता अपने हजारों वैज्ञानिकों के साथ इस प्रयास में लगे हुए हैं कि वो कोरोना वायरस को रोकने वाली सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन बना सकें। वैक्सीन बनाने की जंग में जो देश सबसे आगे चल रहे हैं, उनमें रूस भी एक है। रूस द्वारा बनाई स्पुतनिक वी वैक्सीन (Sputnik V Vaccine) की चर्चा पिछले कई महीनों से जोरों पर है। रूस ने कुछ महीने पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है और इसके ट्रायल्स में उसे आपेक्षित सफलता मिलती दिखाई दी है।

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प्री-क्विलिफिकेशन का आवेदन करने वाला पहला देश बना रूस

बीते मंगलवार को रूस की तरफ से रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) यानी WHO को कोविड वैक्सीन के प्री-क्लाविफिकेशन के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक उन्होंने ये आवेदन कोरोना वायरस के खिलाफ काम करने वाली दुनिया की पहली रजिस्टर्ड वैक्सीन की मान्यता के लिए किया है। उन्होंने इस बात का दावा किया है कि उनकी स्पुतनिक वी वैक्सीन (Sputnik V Vaccine) इंसानों पर अच्छी तरह से स्टडी की गई है। इसी के साथ रशियन फेडरेशन WHO के पास नोवल कोरोना वायरस की वैक्सीन के प्री-क्लाविफिकेशन के लिए आवेदन भेजने वाला पहला देश बन गया है।

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85% लोगों पर नहीं दिखा कोई साइड इफेक्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस की स्पुतनिक-V (स्पुतनिक-5) वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल के दौरान 85% वालेंटियर्स पर वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है। इस ट्रायल में लगभग 40,000 वालेंटियर्स शामिल थे। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल के 'मॉस्को टाइम्स' को दिए गए बयान के अनुसार जिन 15% लोगों में वैक्सीन के साइड इफेक्ट देखे गए हैं, वो भी बिल्कुल हल्के हैं, जैसे- सामान्य बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द आदि, जो अगले दिन तक गायब हो गए। यही कारण है कि रूस को अपनी इस वैक्सीन से काफी उम्मीदें हैं और उन्होंने WHO के पास वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन भेजा है।

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क्या है किसी वैक्सीन या दवा के प्री-क्वालिफिकेशन का पैमाना?

दवाओं का प्री-क्वालिफिकेशन WHO की देखरेख में युनाइटेड नेशन्स के प्रोग्राम के द्वारा तय किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत दवाओं की क्वालिटी को परखा जाता है। WHO इस प्री-क्वालिफिकेशन के दौरान दावओं की क्वालिटी, सेफ्टी (सुरक्षा) और प्रभाव के बारे में पता लगाता है। प्री-क्वलिफिकेशन में उन्हीं दवाओं को पास किया जाता है, जो WHO की स्टैंडर्ड जरूरतों के मुताबिक होते हैं। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन होने के बाद रूस बहुत कम समय में दुनियाभर में वैक्सीन की आपूर्ति करके वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

कुल मिलाकर इस आवेदन के बाद अगर WHO प्रीक्वालिफिकेशन टेस्ट में रूस की वैक्सीन को पास कर देता है, तो रूस कोरोना की रजिस्टर्ड वैक्सीन बनाने वाला दुनिया का पहला देश हो सकता है।

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