कोरोना फैलने की वजह बन रहा है मरीजों का 'एसिम्‍टोमैटिक' होना, इनमें वायरस होने के बाद भी नहीं दिखते लक्षण

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैलता दिखाई दे रहा है। पिछले 24 घंटों के दौरान अब तक सबसे ज्‍यादा संक्रमितों की पहचान की गई है। मौतें भी बढ़ी हैं।
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कोरोना फैलने की वजह बन रहा है मरीजों का 'एसिम्‍टोमैटिक' होना, इनमें वायरस होने के बाद भी नहीं दिखते लक्षण


केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्‍त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार, पिछले 24 घंटों में COVID-19 के अब तक सबसे अधिक 3900 नए मामले सामने आए हैं। और 195 मौतें दर्ज की गई हैं। इसके साथ ही कुल संक्रमितों का आंकड़ा 32,138 पर पहुंच गया है। मंत्रालय के मुताबिक, मरीजों के रिकवरी रेट में भले ही सुधार हो रहा है लेकिन संक्रमितों की बढ़ती संख्‍या चिंता का विषय बना हुआ है। 

अब सवाल ये भी उठने लगे हैं कि, लंबे समय से लॉकडाउन और सोशल डिस्‍टेंसिंग जैसे कड़े नियम होने के बावजूद कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से क्‍यों फैल रहा है? काफी हद तक इसका जवाब कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों में ही दिखाई देता है। राजधानी दिल्‍ली से सटे उत्‍तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की बात करें तो यहां, पिछले दिनों 44 मरीज एसिम्‍टोमैटिक मिले थे। यहां अब तक 60 से ज्‍यादा मरीज मिल चुके हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत एसिम्‍टोमैटिक मरीज हैं। चिकित्‍सकों की मानें तो एसिम्‍टोमैटिक मरीज कोरोना वायरस की चेन को मजबूत करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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कौन होते हैं एसिम्‍टोमैटिक मरीज? 

एसिम्‍टोमैटिक मरीज वे होते हैं जिनमें कोरोना वायरस के प्राथमिक लक्षण (खांसी, जुकाम और बुखार) नहीं दिखाई देते हैं। जांच के बाद ही ऐसे मरीजों का पता लगाया जा सकता है। संक्रमण के लक्षण दिखाई न देने के कारण या जांच न होने तक एसिम्‍टोमैटिक मरीज कोरोना की चेन को मजबूत करते रहते हैं, जो संक्रमण बढ़ने का प्रमुख कारण हो सकता है। विशेषज्ञों की माने तो एसिम्‍टोमैटिक मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण उनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे मरीज आइसोलेशन में भी स्‍वस्‍थ दिखते हैं। और 14 दिन बाद वायरस खुद ही मर जाते हैं। क्‍योंकि, वायरस के जीवित रहने की अधिकत उम्र 14 दिन है।

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स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय जाहिर कर चुका है चिंता

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने ही कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर एक बड़ी चिंता जाहिर की है। मंत्रालय ने कहा था कि कोविड-19 के 80% मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं या फिर बहुत ही सामान्‍य लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यह चिंता का विषय है। इसीलिए भारत में कोरोना वायरस की जांच का तरीका बदलने पर विचार किया जा रहा है।  एसिम्‍टोमैटिक मरीज संक्रमण को दूसरों में आसानी से फैला सकते हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन भी कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने को लेकर दुनिया को आगाह कर चुका है।

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एक्‍सपर्ट ने क्‍या कहा? 

ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Government Institute of Medical Sciences) में पैथोलॉजी विभाग के हेड व माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर विवेक गुप्‍ता का कहना है कि, आजकल एसिम्‍टोमैटिक मामले ज्‍यादा आ रहे हैं। ऐसे लोगों में काफी देर से लक्षण दिखाई देते हैं, खासकर जब पेशेंट के शरीर में वायरस फैल जाते हैं तो उसके बाद लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे लोगों की पहचान जांच के बाद ही हो सकती है। ऐसे लोगों के मरने की संभावना कम होती है मगर कोविड-19 से मौत की संभावना रहती है, खासकर जिन्‍हें पहले से कोई गंभीर बीमारी जैसे डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्‍लम आदि। जिनकी इम्‍यूनिटी अच्‍छी होती है और किसी तरह की बीमारी नहीं होती है तो उनके ठीक होने संभावना अधिक होती है। ऐसे में सेल्‍फ आइसोलेशन और सोशल डिस्‍टेंसिंग जैसे नियमों को कड़ाई से पालन करने की जरूरत है।

महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली, गुजरात और अन्‍य बड़े राज्‍य निशाने पर

कोरोना वायरस से सबसे ज्‍यादा प्रभावित राज्‍य महाराष्‍ट्र में संक्रमितों की संख्‍या 14541, इसके बाद गुजरात में 5804, दिल्‍ली में 4898, तमिलनाडु में 3550, राजस्‍थान में 3061, मध्‍य प्रदेश में 3049 और उत्‍तर प्रदेश में 2859 मरीज हैं। इन राज्‍यों की आबादी ज्‍यादा होने के चलते खतरे भी ज्‍यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि कुछ राज्‍यों में स्थिति सामान्‍य है, जैसे- आंध्रप्रदेश में 1717, पश्चिम बंगाल 1259 और पंजाब में 1233 इसके अलावा तेलंगना में 1085 मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं। बाकी राज्‍यों का अंकड़ा हजार से कम है। कई राज्‍य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे भी हैं जहां एक भी मामले नहीं हैं।

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