आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग स्वास्थ्य को अनदेखा कर देते हैं। वहीं, लगातार कम करने की वजह से लोगों को तनाव, चिंता और एंग्जाइटी का शिकार होना पड़ता है। चिंता और तनाव की वजह से शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। यह शरीर में इंफ्लेमेशन, डिप्रेशन और चिंता का कारण बन सकता है। हाल, ही हुए कुछ स्टडी से भी इस बात की पता चलता है कि इंफ्लेमेशन यानी सूजन और तनाव के बीच कनेक्शन होता है। सूजन के कारण शरीर में कई गंभीर समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस लेख में नारायणा अस्पतला के इंटनरल मेडिसिन और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौरव जैन से जानते हैं कि इंफ्लेमेशन और तनाव के बीच क्या कनेक्शन होता है।
सूजन (इंफ्लेमेंशन) और तनाव के बीच क्या है कनेक्शन - Connection Between Inflammation And Stress in Hindi
स्टजी में पाया गया कि सूजन, स्ट्रेस और अवसाद के बीच गहरा संबंध हो सकता है। रिसर्च में पाया गया कि जब शरीर में सूजन बढ़ती है, तो इम्यून सिस्टम द्वारा साइटोकाइन्स (cytokines) नामक प्रोटीन रिलीज़ होते हैं। ये प्रोटीन न केवल शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं, बल्कि ब्रेन के महत्वपूर्ण केमिकल्स को भी प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति को तनाव और अवसाद हो सकता है।
सूजन आपके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है? - How Inflammation Impact On Mental Health In Hindi
जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय होती है, तो यह न केवल शरीर को बल्कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करती है, जिसमें ब्रेन भी शामिल होता है। लंबे समय से बनी रहने वाली सूजन ब्रेन केमिकल्स में परिवर्तन से जुड़ी होती है, जो तनाव और अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकती है। आगे जानते हैं कि इंफलेमेशन (सूजन) किस तरह के तनाव व अवसाद से संबंधित होती है।
न्यूरोट्रांसमीटर में गड़बड़ी: सूजन के कारण सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर कहे जाने वाले ब्रेन हार्मोन्स प्रभावित हो सकते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति के मूड में बदलाव, तनाव और चिड़चिड़ापन बना रह सकता है।
हार्मोनल बदलाव: सूजन शरीर में तनाव और कोर्टिसोल, एस्ट्रोजन को प्रभावित कर सकती है, जिससे व्यक्ति को तनाव का कारण बन सकती है।
नसों में इंंफ्लेमेशन: ब्रेन में इंफ्लेमेशन व्यक्ति के कॉग्नेटिव और मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकती है। इससे नसों प्रभावित होती है, जो स्ट्रेस का कारण बन सकती है।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस: इंफ्लेमेशन शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ा सकती है। इस प्रभाव से ब्रेन के सेल्स पर पड़ता है। इससे व्यक्ति को तनाव रहना पड़ सकता है।
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Connection Between Inflammation And Stress: इंफ्लेमेशन और तनाव के कारण व्यक्ति का जीवन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति को काम करने और किसी चीज में फोकस करने में परेशानी हो सकती है। इससे बचने के लिए रोगी को डाइट में फल, सब्जियां, नट्स आदि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, आप नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग व मेडिटेशन कर सकते हैं। यह ब्रेन को रिलेक्स करने में मदद करते हैं। साथ ही, तनाव के कारण होने वाले बदलावों से बचाव करते हैं। अगर, किसी व्यक्ति को लंबे समय से सूजन या तनाव है तो ऐसे में आप इसे अनदेखा न करें। इसकी गंभीरता से बचने के लिए आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।