जब एक महिला प्रेग्नेंसी के आखिरी दौर में पहुंचती है, तो उसके मन में अक्सर यह सवाल घूमता है कि डिलीवरी नॉर्मल होगी या सी-सेक्शन (सिजेरियन)। ये सवाल इन दिनों महिलाओं के दिमाग में इसलिए ज्यादा घूमता है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में सी-सेक्शन डिलीवरी की संख्या तेजी से बढ़ी है। जो महिलाएं लेबर पेन को बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं, वह नॉर्मल की जगह सी-सेक्शन के जरिए डिलीवरी का विकल्प चुनती हैं। हालांकि किसी भी महिला कि डिलीवरी कई कारणों पर निर्भर करती है, जैसे कि प्रेग्नेंसी के दौरान उसकी डाइट कैसी थी, प्रेग्नेंसी में महिला ने अपनी सेहत का ध्यान कितना रखा है, प्रेग्नेंसी में महिला कितना एक्टिव है और भी कारण होते हैं, जो यह तय करते हैं महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का जन्म नॉर्मल तरीके से होगा या फिर सी-सेक्शन के जरिए।
इन कारणों के अलावा प्रेग्नेंसी के आखिरी समय में महिला के दिमाग में यह सवाल भी आता है कि क्या गर्भ में पलने वाले शिशु के वजन भी नॉर्मल और सी-सेक्शन डिलीवरी से किसी तरह का कनेक्शन हो सकता है? आइये जानते हैं इस सवाल का जवाब नोएडा स्थित मदरहुड हॉस्पिटल्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ड़ॉ. तनवीर औजला से।
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क्या ये गर्भ में पल रहे शिशु के वजन से भी है डिलीवरी मेथेड का कनेक्शन?
डॉ. तनवीर औजला के अनुसार, प्रेग्नेंट महिला की डिलीवरी नॉर्मल तरीके से होगी या फिर सी-सेक्शन के जरिए इसका कनेक्शन गर्भ में पल रहे शिशु का वजन भी है। किसी भी प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर समय-समय पर शिशु के वजन की निगरानी करते हैं। अगर गर्भ में पलने वाले बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम से 4 किलोग्राम के बीच होता है, तो इसे सामान्य माना जाता है। इस स्थिति में महिला की डिलीवरी नॉर्मल तरीके से करवाई जा सकती है। लेकिन वहीं, गर्भस्थ शिशु का वजन सामान्य मानदंड से कम या ज्यादा होता है, तो महिला की डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए करवाने की संभावना ज्यादा बनती है।
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स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि जब गर्भ में पलने वाले शिशु का वजन 4 किलोग्राम से ज्यादा होता है, तो इसे मैक्रोसोमिया कहते हैं। ऐसी स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी में परेशानी आ सकती है, जिसकी वजह डॉक्टर सी-सेक्शन के जरिए डिलीवरी करवा कर सकते है। इसके साथ ही, शिशु का अधिक वजन होने पर नॉर्मल प्रसव कठिन हो सकता है, जिससे सी-सेक्शन की जरूरत पड़ सकती है।
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क्या शिशु का वजन कम होने पर भी सी-सेक्शन हो सकता है?
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. तनवीर कहती हैं कि अगर किसी महिला के गर्भ में पलने वाले शिशु को वजन सामान्य से ज्यादा कम है, तो भी डिलीवरी के दौरान परेशानियां हो सकती हैं। खासकर जब डिलीवरी के दौरान महिलाओं में तनाव और बल्ड प्रेशर ज्यादा होता है।
डॉक्टर का कहना है कि गर्भस्थ शिशु का वजन निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण कारक है, जो डिलीवरी के प्रकार को प्रभावित कर सकता है। लेकिन यह निर्णय अकेले शिशु के वजन पर निर्भर नहीं करता। नॉर्मल डिलीवरी या सी-सेक्शन का डॉक्टर द्वारा मां और शिशु की सेहत को ध्यान में रखकर भी किया जाता है।
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