बड़े और व्यस्क लोगों की तरह बच्चों में भी सांस से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। हमारे सांस की नाली के जरिये सांस लेते समय रोगाणु आसानी से प्रवेश कर सकते हैं जो बाद में सांस से जुड़ी बीमारियों का कारण बनते हैं। चूंकि बच्चों का शरीर, बड़े लोगों की तुलना में कम रोग प्रतिरोधक होता है, ऐसे में अगर उनके शरीर के भीतर सांस से जरिये रोगाणु पहुंच जाते हैं तो इससे उन्हें बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। बच्चों में सामान्यतः होने वाली बीमारियों ज्यादा प्रभावी और नुकसान पहुंचाने वाली होती है। बच्चों के शरीर में सांस से जुड़ी कुछ कॉमन बीमारियां (Common Respiratory Diseases in Children) हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। आइए जानतें हैं सांस से जुड़ी कुछ प्रमुख बीमारियों के बारे में, जो बच्चों में भी हो सकती हैं। इन बीमारियों का उचित समय पर इलाज न हो पाने से आगे चलकर स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाता है।
बच्चों में होने वाली सांस की बीमारियां (Common Respiratory Diseases in Children)
बच्चों में रेस्पायरेटरी बीमारियां या सांस से जुड़ी बीमारियां अगर नजरंदाज की गयीं तो ये आगे चलकर हेल्थ के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर सकती हैं। इन बीमारियों (Respiratory diseases in Children) की वजह से बच्चों को सांस लेने में समस्या तो होती ही हैं बल्कि इसकी वजह से उनके विकास में भी दिक्कत आती है। समय रहते बच्चों में होने वाली सांस से जुड़ी बीमारियों का इलाज न कराये जाने पर बच्चे की जान जाने की नौबत भी आ सकती है। इन बीमारियों की पहचान कर समय पर इनका इलाज किया जाना जरूरी है।
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बच्चों में सांस की बीमारी के कारण (What Causes Respiratory Disease in Children?)
बच्चों में सांस की बीमारी होने के कई कारण हो सकते हैं। ये आनुवंशिक स्थितियों, सर्जरी, संक्रमण और वायरस आदि की वजह से सबसे ज्यादा होती हैं। सांस से जुड़ी बीमारियां कभी-कभी संक्रमण आदि के संपर्क में आने से भी हो सकती हैं। हालांकि बच्चों में रेस्पायरेटरी बीमारियां कई वजहों से हो सकती हैं लेकिन इनके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।
- चिंता
- दमा
- सिस्टिक फाइब्रोसिस
- हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम
- न्यूरोलॉजिकल और विकास संबंधी समस्याएं
- छाती में संक्रमण और निमोनिया
- टेट्राप्लेजिया
बच्चों में होने वाली प्रमुख रेस्पायरेटरी बीमारियां इस प्रकार से हैं
1. अस्थमा (Asthama)
बच्चों में अस्थमा एक सामान्य स्थिति है। अस्थमा फेफड़ों के वायुमार्ग को संकरा कर देता है। इससे बच्चों का सांस लेना और छोड़ना मुश्किल हो जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इसकी वजह से ज्यादातर बच्चों में घबराहट, सांस लेने की दिक्कत, कफ आदि की समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि बच्चों में अस्थमा जैसी बीमारी होने की कई वजहें हो सकती हैं लेकिन सबसे ज्यादा यह समस्या धूल, मिट्टी और प्रदूषण की वजह से होती है। बच्चों में अस्थमा के लक्षण दिखने पर आप डॉक्टर से संपर्क कर बच्चे का उचित इलाज जरूर कराएँ।
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2. बच्चों में साइनस (Sinusitis in Children)
बच्चों में साइनस की समस्या संक्रमण की वजह से होती है। साइनसाइटिस ऊतक की सूजन या सूजन है जिसे साइनस के नाम से जाना जाता है। इस समस्या में नाक और आंख के पीछे सामान्य रूप से हवा से भरी थैलियों में द्रव जमा हो सकता है और संक्रमण का कारण बन सकता है। बच्चों में साइनस की समस्या अक्सर सिरदर्द, बुखार और सर्दी से शुरू होती है।
बच्चों में साइनस के लक्षण
- चेहरे में दर्द और दबाव, खासकर आंखों और नाक के पीछे।
- बहुत अधिक भरा हुआ महसूस करना।
- खांसी और बहती नाक।
- गले में खराश, सांसों की दुर्गंध और मतली या उल्टी।
3. बच्चों में ब्रोंकाइटिस (Bronchitis in Children)
ब्रोंकाइटिस की समस्या बच्चों में आम समस्या मानी जाती है और यह कुछ समय बाद खुद से ही ठीक भी हो जाती है। सर्दी या फ्लू के संक्रमण की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। इस बीमारी का क्लासिक लक्षण लगातार खांसी आना होता है। ब्रोंकाइटिस की समस्या में बलगम की अधिकता हो जाती है और सांस की नाली में सूजन आ सकती है।
ब्रोंकाइटिस के लक्षण
- बहती नाक।
- सीने में दर्द और जकड़न।
- बुखार और ठंड लगना।
- घरघराहट।
- गले में खरास।
- लगातार खांसी।
4. सामान्य सर्दी (Common Cold)
बच्चों में सर्दी लगने की समस्या आम है, लेकिन इसकी वजह से सांस से जुड़ी दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं। किसी भी तरह के इन्फेक्शन आदि की वजह से बच्चों में सर्दी की समस्या होती है। इसकी वजह से बच्चों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है। 2 साल की उम्र से कम वाले बच्चों में इस समस्या को नजरअंदाज किया जाना भरी पड़ सकता है।
बच्चों में सामान्य सर्दी के लक्षण
- नाक बहना।
- गले में खरास।
- खांसी।
- छींक आना।
- सिरदर्द और शरीर में दर्द।
5. गले का संक्रमण (Strep Throat)
बच्चों में गले का संक्रमण काफी आम समस्या है। 10 में से 3 बच्चों को अक्सर यह समस्या होती है। गले में संक्रमण की समस्या में भी बच्चों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है। चूंकि यह संक्रमण जीवाणुओं के संपर्क में आने से होता है इसलिए इसके इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। स्ट्रेप को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और बच्चों और वयस्कों दोनों में जल्द से जल्द इलाज किया जाना चाहिए। अगर समय पर इसका उचित इलाज नहीं हुआ तो आगे चलकर दिक्कत पैदा हो सकती है।
6. निमोनिया (Pneumonia)
निमोनिया की बीमारी बच्चों में होने वाली एक प्रमुख बीमारी है। इस गंभीर बीमारी की वजह से बच्चों की मौत भी हो जाती है। बच्चे को सर्दी, फ्लू या गले में खराश होने के बाद निमोनिया का संक्रमण हो सकता है। बैक्टीरियल निमोनिया के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर बच्चों में निमोनिया फेफड़ों के संक्रमण के कारण होता है और एक खतरनाक स्थिति बन सकती है।
निमोनिया के लक्षण
- तेजी से सांस लेना।
- तेज बुखार और ठंड लगना।
- खांसी।
- थकान।
- सीने में दर्द, खासकर सांस लेते समय।
ये बच्चों में होने वाली कुछ प्रमुख सांस की बीमारियां या रेस्पायरेटरी बीमारियां हैं। बच्चों में इन बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की परामर्श के अनुसार इलाज किया जाना चाहिए। इनमें से कुछ बीमारियां जानलेवा भी हो सकती हैं। इन बीमारियों से बचाव सबसे जरूरी माना जाता है। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी मुद्दे पर अगर आपके कोई सवाल हैं तो उसे आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हैं। हम आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।
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