चिकनगुनिया का खतरा एक बार फिर दिल्ली और उसके आसपास के शहरों पर अपना खौफ फैला रहा है। केवल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 20 अगस्त तक 391 मामले, सफदरजंग में 246, अपोलो में करीब 350 लोक नायक अस्पताल में 23, हिंदु राव में 28, कस्तूरबा अस्पताल में 11 और गुरू तेग बहादुर में तीन मामले दर्ज हुए है।
हालांकि राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में अचानक वृद्धि के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने लोगों से आतंकित नहीं होने को कहा और इस बात पर जोर दिया कि उनका मंत्रालय बीमारी से निपटने के लिए दिल्ली सरकार और विभिन्न एजेंसियों के साथ करीबी समन्वय में काम कर रहा है।
गौरतलब है कि डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही बुखार एडिस एजिप्ट मच्छर के काटने से फैलता है। दोनों ही बीमारियों में संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे तक प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं फैलता, लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से यह तेजी से फैलता है। डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर दिन में काटते हैं।चिकुनगुनिया और डेंगू के लक्षण तकरीबन एक जैसे ही होते है जैसे की त्वचा पर रैशेज पड़ना, बुखार आना और कमजोरी. लेकिन डेंगू में जहाँ प्लेटलेट्स घट जाते हैं वहीँ चिकुनगुनिया में मसल्स और बोन में पेन बहुत ज्यादा होता है।
चिकनगुनिया और डेंगू का मच्छर पूरा दिन सक्रिय रहता है, ख़ासतौर से सुबह और दोपहर में. इसलिए इन जगहों पर जाने से बचें, जहां मच्छर ज़्यादा हो। अपनी शरीर पर मच्छर को दूर भगाने वाले उत्पाद या रात को सोते समय नेट का इस्तेमाल करें। पेय पदार्थ को ज़्यादा से ज़्यादा अपने आहार में शामिल करें। मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचें, क्योंकि मच्छर आपको काटने के बाद आपके शरीर का इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति के शरीर में संक्रमित कर सकता है।
चिकनगुनिया का पता ब्लड टेस्ट और कुछ ज़रूरी चिकित्सा परिक्षाओं से किया जा सकता है, जिसमें सेरोलॉजिकल और विरोलॉजिकल टेस्ट शामिल हैं। वहीं एनएस 1 टेस्ट डेंगू के लक्षण सामने आने पर शुरूआती पांच दिनों के अंदर किया जाना चाहिए।
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