लॉकडाउन में टीनएजर बच्चों को रखना चाहते हैं खुश, तो न करें ये 3 गलतियां

कोरोना महामारी के कारण बच्चे घर पर रहते हुए चिढ़चिढ़े हो गए हैं। ऐसे अगर आप हर बात पर उनसे बहस करेंगे, तो ये चीजों को और बिगाड़ सकता है।
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लॉकडाउन में टीनएजर बच्चों को रखना चाहते हैं खुश, तो न करें ये 3 गलतियां


टीनएजर्स बच्चों को संभालना कभी-कभार छोटे बच्चों को संभालने से भी ज्यादा मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये बच्चे काफी निडर और जिद्दी होते हैं। वहीं अगर आप इनसे बात-बात पर बेहस करेंगे, तो ये आपके खिलाफ हो सकते हैं और गुस्से में गलत कदम भी उठा सकते हैं। वहीं लॉकडाउन में जब सब घर पर हैं, तो टीनएजर्स बच्चों को शिकायत है कि उन्हें उनके लिए स्पेस नहीं मिल पा रहा है। वहीं माता-पिता उन्हें हर काम के लिए रोकते टोकते हैं, जो उन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों की इन शिकायतों पर ध्यान दें और उन्हें थोड़ा समझने की कोशिश करें। वहीं इन दौरान जब बच्चे हर वक्त आपकी आंखों के सामने हैं, तो आपको इन कामों को करने से बचना चाहिए।

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1.ओवर पेरेंटिंग से बचें 

पहली चीज जो आपको करने से बचना चाहिए, वह है आपके बच्चे पर अधिक ध्यान देना। पेरेंटिंग की इस शैली का एक उदाहरण 'हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग' और 'स्नोप्ले पैरेंटिंग' है। इसमें माता-पिता लगातार अपने बच्चे की निगरानी कर रहे हैं और उसे हर बात पर रोकते टोकते हैं। जैसे कि माता-पिता द्वारा हर बात पर उनकी मदद करना। उन्हें खुद से चीजों को करने न देवा। यह एक बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। ऐसे माता-पिता के साथ बच्चों उनसे हमेशा स्वतंत्रता मांगते रहते हैं और बड़े होने के साथ उनसे चिढ़ जाते हैं।

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2.फोन चेक करना या उनकी बातों में हर बार दसल देना

बच्चे के बड़े होने के साथ माता पिता को थोड़ा ज्यादा दोस्त बनने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप शुरू से उन्हें इंस्ट्रेक्टर की तरह पाएंगे, तो  इस तरह के पालन-पोषण से बच्चे में व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वे अपने साथियों पर अधिक भरोसा करना शुरू करते हैं और ज्यादातर चीजों में उनका नेतृत्व कर सकते हैं। ऐसे में आप पीछे रह जाएंगे और बच्चे आप से बात छिपाना शुरू कर देंगे। वहीं घर पर रहने के दौरान उनका फोन चेक करना या उन्होंने किस से क्या बातें की, इन सब पर अपना ध्यान लगाना कम कर दें।

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3. हर बात में सही-गलत बताना

आपको अपनी पेरेंटिंग शैली में एक संतुलन खोजने की जरूरत है। बच्चों को हर बात सही गलत बताना आपको तानाशाह बना सकता है। सुनिश्चित करें कि आप हर चीज को प्यार के साथ समझें और समझाएं। अपने बच्चे को अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त जगह दें। कोशिश करें कि आप उन्हें स्वतंत्र बनाएं। उन्हें असफलता से बचाने की कोशिश न करें क्योंकि यह भी उन्हें बहुत कुछ सिखा सकता है। 

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हम सभी जानते हैं कि टीनऐज में बॉडी में हॉर्मोनल बदलाव बहुत तेजी से होते हैं। ऐसे में बच्चों का मन ना तो बहुत देर तक शांत रहता है और साथ ही उन्हें मन एकाग्र करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह तो हुई शारीरिक बदलाव की बात, जिस कारण मन भी परेशान रहता है। ऐसे में आपको अपने टीनेजर को भावनात्मक रूप से उस कंफर्ट लेवल पर लाना है, जहां वह अपनी हर बात आपके साथ शेयर कर सके। आपकी बातों पर भरोसा करे और उसके अंदर आत्मविश्वास और बढ़ सके।

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