मिशन चंद्रयान 2 का लैंडर 'बिक्रम' का संपर्क टूटने से चंद्रयान के मिशन में लगे इसरो (The Indian Space Research Organisation) के वैज्ञानिक और देश के नागरिकों में मायूसी है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान 2 के मिशन को पूरी तरह से असफल नहीं कहा जा सकता है। भारत का महत्वाकांक्षी चंद्रयान मिशन शुक्रवार को देर रात मुश्किल में फंस गया और चांद की ओर बढ़ा लैंडर बिक्रम चांद की सतह से 2.1 किमी पहले ही संपर्क टूट गया।
हालांकि, इससे पहले तक सबकुछ योजना के अनुरूप ही चल रहा था। तब तक सारे वैज्ञानिक खुश थे, लेकिन जैसे ही बिक्रम लैंडर से संपर्क टूटा वैज्ञानिकों में तनाव और चिंता का स्तर बढ़ गया। पूरी रात जागकर इस मिशन को सफल बनाने में जुटे वैज्ञानिक काफी तनाव में दिखाई दिए।
क्या वैज्ञानिकों में बढ़ गया था तनाव का स्तर?
पिछले कुछ महीनों से मिशन चंद्रयान-2 की सफलता के लिए काम कर रहे थे। मगर, जब बिक्रम के लैंड होने का समय आया तो अचानक संपर्क टूट गया। जाहिर है कि इससे पहले इसरो के वैज्ञानिकों में तनाव का स्तर काफी उच्च रहा होगा।
गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के साइकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आनंद प्रताप सिंह कहते हैं कि, "किसी बड़े उद्देश्य के लिए जब हम काम करते हैं तो जिस पर पूरे देश और दुनिया की निगाहें हो तो ऐसे समय में तनाव होना स्वाभाविक है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति एक गंभीर मानसिक स्थिति से जूझ रहा होता है। हालांकि यह एक ह्यूमन नेचर है। ऐसी स्थिति में वैज्ञानिकों का हौसला अफजाई करना चाहिए, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है, हमें अपने इसरो के वैज्ञानिकों पर भरोसा रखते हुए उनके संकल्प को और मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।"
इसरो चीफ के साथ प्रधानमंत्री भी हुए भावुक
चंद्रयान 2 के लैंडर बिक्रम का शुक्रवार रात चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। इसके बाद पीएम मोदी शनिवार की सुबह देश को संबोधित करने इसरो सेंटर पहुंचे, जहां उन्होंने वैज्ञानिकों का न सिर्फ हौसला बढ़ाया बल्कि उन्होंने कहा कि "मैं आपके साथ हूं और पूरा देश आपके साथ है" प्रधानमंत्री मोदी ने जब बेंगलुरु के स्पेस सेंटर से बाहर निकल रहे थे तो इसरो चीफ के सिवन को उन्होंने गले लगा लिया और इस दौरान काफी भावुक हो गए।
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