प्रेग्नेंसी के बाद डिलीवरी की बात आती है, तो लोगों के पास 2 विकल्प होते हैं, एक ऑपरेशन या सीजेरियन डिलीवरी और दूसरा नॉर्मल डिलीवरी। दोनों तरह की डिलीवरी को लेकर लोगों के अपने-अपने तर्क होते हैं। बहुत सारी महिलाएं योनि के ढीलेपन से बचने और शरीर की फिटनेस को मेनटेन रखने के लिए ऑपरेशन के विकल्प को ज्यादा बेहतर मानती हैं, जबकि बहुत सारी महिलाएं ऐसी भी हैं, जो नॉर्मल डिलीवरी को ही बेहतर मानती हैं। वैज्ञानिकों ने इसी बहस के कुछ नए पहलुओं की खोज की है, जिसके बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। एक नए शोध के अनुसार अगर किसी महिला का पहला बच्चा ऑपरेशन (सी-सेक्शन) से होता है, तो उस महिला को दूसरा बच्चा कंसीव करने में परेशानी आ सकती है।
3 साल तक रहता है पहली बार सीजेरियन कराने का प्रभाव
रिसर्च के अनुसार वैज्ञानिकों के यह माना है कि पहले बच्चे के लिए सी-सेक्शन करा चुकी महिला के दोबारा कंसीव (गर्भ ठहरने) करने की संभावना, उन महिलाओं की अपेक्षा कम हो जाती है, जिनका पहला बच्चा नॉर्मल डिलीवरी से हुआ है। इस रिसर्च को JAMA Open Network नामक जर्नल में छापा गया है। खास बात ये है कि वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि सीजेरियन का प्रभाव पहले बच्चे की डिलीवरी के बाद अधिकतम 3 साल तक रहता है। इसका मतलब यह है कि 3 साल बाद महिला के दोबारा कंसीव करने की स्थितियां सामान्य हो सकती हैं।
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कैसे की गई रिसर्च?
इस रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने 18 साल से 35 साल की उम्र की 2,021 महिलाओं के डाटा का अध्ययन किया, जो शोध के दौरान गर्भवती हुई थीं। इनमें से 712 महिलाओं की डिलीवरी सी-सेक्शन से हुई थी। इस दौरान शोधकर्ताओं की टीम ने प्रत्येक महिला की सेहत और अगली प्रेग्नेंसी पर अगले 3 साल तक नजर रखी। शोध के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि सी-सेक्शन कराने वाली ज्यादातर महिलाएं औसत से ज्यादा उम्र की थीं, उनका वजन ज्यादा था और कद औसत से छोटा था। हर 6 महीने में महिलाओं से उनके स्वास्थ्य, आंतरिक संबंधों और प्रेग्नेंसी के बारे में पूछताछ करते रहे। वैज्ञानिकों ने पाया कि सी-सेक्शन करा चुकी 69% महिलाएं अगले 3 साल के भीतर दूसरी बार प्रेग्नेंट हुईं, जबकि नॉर्मल डिलीवरी कराई हुई 78% महिलाएं दूसरी बार प्रेग्नेंट हुईं।
पहले बच्चे के लिए सी-सेक्शन कराने से परेशानी
शोधकर्ताओं ने बताया कि पहले बच्चे के लिए सी-सेक्शन कराने से न सिर्फ दूसरी बार प्रेग्नेंसी का चांस कम होता है, बल्कि इस बात की भी संभावना कम हो जाती है कि महिला की दूसरी डिलीवरी नॉर्मल होगी। शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने सी-सेक्शन के प्रभावों के दौरान दूसरे फैक्टर्स जैसे- गर्भवती होने की उम्र, कंसीव करने का समय, प्रेग्नेंसी से पहले महिला की BMI, जेस्टेशनल वेट गेन, पहले कराए गए अबॉर्शन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हॉस्पिटल की समस्याओं आदि को ध्यान में रखा है, उसके बाद भी रिजल्ट लगभग वही रहा।
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क्या कहा शोधकर्ताओं ने
Penn State Health Milton Hershey Medical Center के obstetrics and gynecology department के चेयर पर्सन और इस अध्ययन के सह-लेखक Richard Legro (MD) ने कहा, "संभव है कि सी-सेक्शन डिलीवरी के समय पेल्विक या फैलोपियन ट्यूब के हवा और दूसरे कंटामिनैंट्स के संपर्क में आने की वजह से दूसरी प्रेग्नेंसी में समस्या आती हो। यह भी संभव है कि यूटरस में होने वाले सर्जिकल घाव की वजह से दूसरी बार जल्दी कंसीव करने में परेशानी आती हो।
वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में यह भी लिखा है कि 35 साल से कम उम्र की जिन महिलाओं को सी-सेक्शन के बाद एक साल या इससे ज्यादा समय तक कंसीव करने में परेशानी हो, तो उसे एक बार डॉक्टर से मिलकर सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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