Polycystic Kidney Disease Causes: किडनी के कार्य प्रभावित होने पर लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। किड़नी प्रभावित होने से शरीर का पानी सही तरह से फिल्टर नहीं हो पाता है। किड़नी से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं, जिसमें पॉलीसीस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) को भी शामिल किया जाता है। यह एक अनुवांशिक विकार है, जिसमें किड़नी के अंदर किसी सिस्ट होने लगते हैं। यह सिस्ट कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। लेकिन, इन थैलियों के अंदर तरल पदार्थ जमा हो सकता है। यह सिस्ट आकार में अलग-अलग हो सकते हैं। इन सिस्ट की वजह से किडनी का आकार बढ़ सकता है। ये समस्या किडनी खराब होने की वजह बन सकती है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी डॉक्टर जयंत के होटा से आगे जानते हैं पॉलिसीस्टिक किडनी रोग होने के कारण और इसका इलाज कैसे किया जाता है।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के कारण - Causes Of Polycystic Kidney Disease In Hindi
व्यक्ति के जीन में बदलाव पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का मुख्य कारण माने जाते हैं। जिन लोगों के परिवार में पहले किसी व्यक्ति पॉलीसिस्टिक किडनी रोग हुआ होता है उनके आने वाली पीढ़ी के बच्चों को यह रोग होने की संभावना अधिक होती है। आनुवांशिक रोग के कारण होने वाले पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के दो प्रकार होते हैं, जिनको आगे बताया गया है।
ऑटोसोमल प्रमुख पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Autosomal dominant polycystic kidney disease -एडीपीकेडी) - इसके लक्षण अक्सर 30 से 40 वर्ष की आयु के बीच विकसित होते हैं। पहले इस प्रकार को वयस्क पॉलीसिस्टिक किडनी रोग कहा जाता था, लेकिन अब यह विकार बच्चों में भी विकसित हो सकता है। यदि माता-पिता में से किसी एक को ADPKD है, तो उनके बच्चे में यह रोग होने की 50% संभावना बढ़ जाती है।
ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Autosomal recessive polycystic kidney disease - ARPKD) - यह एडीपीकेडी की तुलना में बहुत कम देखने को मिलता है। इसके लक्षण अक्सर जन्म के तुरंत बाद दिखाई देते हैं। कभी-कभार इस समस्या के लक्षण किशोरावस्था में भी दिखाई दे सकते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता में असामान्य जीन है उनको यह विकार होने की संभावना 25 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का इलाज कैसे होता है? - Treatment Of Polycystic Kidney Disease In Hindi
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के उपचार में डॉक्टर व्यक्ति के लक्षाणों को कम करने और रोग की तीव्रता को धीमा करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। लेकिन, डॉक्टर कई तकनीकों को अपनाकर बीमारी को बढ़ने से रोकने के प्रयास करते हैं। हाई बीपी और दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर दवाए देते हैं। इसके अलावा, डाइट में कम सोडियम वाली आहार, रेगूलर एक्सरसाइज और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है। कुछ गंभीर मामलों में डायलिसिस या किडनी प्रायारोपण की आवश्यकता हो सकती है।
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पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में शरीर के अन्य हिस्सों में भी संक्रमण होने संभावना हो सकती है। हाई बीपी और किडनी फेलियर जैसे गंभीर हो सकता है। इस समस्या को अनदेखा न करें। इसमें नियमित जांच की आवश्यकता होती है।