How to deal with Dissociation: आपने अपने आसपास ऐसे लोगों को जरूर देखा होगा, जो अक्सर खुद में ही खोए रहते हैं। ऐसे लोग दूसरों से ज्यादा कनेक्ट नहीं रहते और अकेले रहना ही पसंद करते हैं। यह स्थिति डिसोसिएशन के कारण भी हो सकती है। दरअसल, डिसोसिएशन एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, यादों या पहचान की भावना से अलग महसूस करता है। यह स्थिति ट्रॉमा या स्ट्रेस से हील होने के दौरान हो सकती है। इसके कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि दूरी महसूस होना, किसी की याद आना या ऐसा महसूस होना कि आप खुद को दूर से देख रहे हैं। अगर समय रहते इस स्थिति पर ध्यान न दिया जाए, तो यह काफी गंभीर भी हो सकती है। इसके संकेत और उपायों को जानने के लिए हमने बात कि तुलसी हेल्थकेयर (नई दिल्ली) के वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक डॉ गोरव गुप्ता से।
डिसोसिएशन के लक्षण- Symptoms of Dissociation
डिस्कनेक्ट महसूस करना
इस स्थिति में व्यक्ति भावनात्मक रूप से बैचेन और सुन्न महसूस करने लगता हैं। साथ ही भावनाओं से अलग होना या खालीपन का एहसास होना भी इसके लक्षणों में शामिल है।
खुद की पहचान में भ्रम होना
अपनी खुद की पहचान को लेकर अनिश्चित महसूस करना या अलग-अलग व्यक्तित्व की स्थिति होना जैसी भावनाएं भी आने लगती है, जिसे डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (जिसे पहले मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता था) कहा जाता है।
चीजें याद न रहना
ज्यादा चीजें याद न रहना और पुरानी बातें अक्सर भूल जाना भी इसके मुख्य लक्षणों में शामिल है। आवश्यक चीजों के बारे में भूल जाना और याद करने में परेशानी होना।
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खुद को नुकसान पहुंचाना
इस स्थिति में व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करने लगता है। ऐसे में व्यक्ति की मानसिक स्थिति उसके नियंत्रण में नहीं होती है।
बाहरी दुनिया को अवास्तविक समझना
ऐसे में व्यक्ति बाहरी दुनिया को अवास्तविक, और या अपरिचित समझने लगता है, जैसे कि उसके साथ कोई सपना या चलचित्र चल रहा हो।
डिसोसिएशन से कैसे डील करें- How To Deal With Dissociation
एक्सपर्ट से सलाह लें
डिसोसिएशन एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जिसमें एक्सपर्ट की सलाह लेना जरूरी है। ऐसे में सही दवाओं, थेरेपी और काउंसिल के जरिए ही इसका इलाज किया जा सकता है। लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें और अपने इमोशंस पर खुलकर बात करें।
अपना रूटीन हेल्दी बनाएं
हेल्दी रूटीन की आदतें जैसे कि पर्याप्त नींद लेना और हेल्दी चीजें खाना आदि। ताजी हवा में वॉक करने की आदत बनाएं, जिससे माइंड को रिलैक्स रहने में मदद मिल सके।
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माइंडफुलनेस को बढ़ावा दें
मेडिटेशन और स्ट्रेस रिलीफ एक्सरसाइज पर ध्यान दें। साथ ही अपनी भावनाओं और विचारों पर भी ध्यान दें। माइंडफुलनेस एक्सरसाइज डिसोसिएशन कम करने और वर्तमान में जीने में मदद करती हैं।
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज नर्वस सिस्टम को शांत करने में मदद कर सकती है। इससे आपको खुद को रिलैक्स करने में मदद मिल सकती है।