आज के समय में हर व्यक्ति परफेक्ट न सिर्फ दिखना चाहता है, बल्कि अपने हर काम में भी परफेक्ट रहना चाहता है। हर व्यक्ति अपनी लाइफ में हर चीज बेस्ट करना और पाना चाहता है। यह बात हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं कि दुनिया में कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं है। लेकिन, इसके बाद भी कई लोग परफेक्ट बननी की पूरी कोशिश करते हैं। ऐसे में उनके मन में हर वक्त ये डर रहना कि अगर उन्होंने अपने काम में गलती कर दी तो क्या होगा। परफेक्ट बनने के लिए वो खुद में क्या बदलाव करें और परफेक्ट रहने के लिए उन्हें क्या-क्या कोशिश करनी चाहिए। बता दें कि खुद में कमी महसूस करना और कॉन्फिडेंस की कमी होना एटेलोफोबिया का संकेत हो सकता है। यह एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को यह डर होता है कि वह कभी भी परफेक्ट नहीं हो पाएगा या वो किसी काम में असफल हो जाएगा। ऐसे में आइए गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद से जानते हैं एटेलोफोबिया के क्या कारण और लक्षण हैं?
एटेलोफोबिया के कारण - Causes of Atelophobia in Hindi
साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद के अनुसार, एटेलोफोबिया की समस्या लोगों में अक्सर बचपन में हुए किसी हादसे, मन में बैठे डर या अन्य कारणों से हो सकते हैं, जिनमें-
- बचपन का अनुभव: अगर आपके साथ बचपन में माता-पिता, टीचर या अन्य लोगों के द्वारा यह सुनने को मिला है कि तुम अच्छी नहीं हो, तुमसे नहीं होता तो इसका असर आपके आत्मविश्वास को कम कर सकता है और आपके अंदर डर की भावना को बढ़ा सकता है।
- बहुत ज्यादा परफेक्शनिज्म: कुछ लोग हर काम में खुद को परफेक्ट रखने की कोशिश करते हैं। ऐसे में जब आप अपने ही बनाए मापदंडों पर खरे नहीं उतर पाते हैं तो धीरे-धीरे डर और तनाव के शिकार होने लगते हैं, जिससे खुद को परफेक्ट रखने की आपकी चाह या डर बढ़ जाता है।
- दूसरों से तुलना करना: अगर कोई व्यक्ति हर समय खुद की तुलना दूसरे व्यक्ति से करता है और खुद को कम समझता है, जिस कारण वो अंदर से कमजोर बन सकता है।
- सोशल मीडिया का असर: आज के समय में सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी जिंदगी को बेस्ट दिखाता है। ऐसे में दूसरे की परफेक्ट लाइफ देखकर भी कई लोगों के मन में आत्म-संदेह की भावना बढ़ जाता है, और एटेलोफोबिया की समस्या बढ़ सकती है।
- पुराना ट्रॉमा: एग्जाम में फेल होना, करियर में सफलता न मिला आदि जैसे किसी पुराने फेलियर से जुड़ा ट्रॉमा भी इस समस्या का कारण बन सकता है।
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एटेलोफोबिया के लक्षण - Symptoms of Atelophobia in Hindi
साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद के अनुसार, एटेलोफोबिया से पीड़ित लोगों में कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जिनकी पहचान करके आप इस समस्या से निपट सकते हैं-
- हमेशा खुद को दूसरों से कम समझना, ऐसे लोगों को लगता है कि वह कुछ भी सही नहीं कर सकते हैं।
- कुछ भी काम करने से पहले ही गलती करने का डर लगना।
- कोई भी काम शुरू करने से पहले ही तनाव होना कि अगर मैं फेल हो गया तो क्या होगा?
- खुद को बार-बार दोष देना या खुद से नफरत करना।
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- हर वक्त इस डर में रहना कि लोग आपका मजाक उड़ाएंगे या आपको जज करेंगे।
- काम को सही न कर पाने के डर के कारण काम को बार-बार टालना।
- नींद न आना, भूख न लगना और हर वक्त मन का उदास रहना।
- कोई भी काम करने के दौरान दिल की धड़कन तेज होना, पसीना आना या सिरदर्द होना।
निष्कर्ष
एटेलोफोबिया मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है, जिसे बाहर आने या ठीक होने के लिए जरूरी है कि आप खुद पर काम करें। अपने आत्मविश्वास को बढ़ाएं, अपने डर से भागने के स्थान पर उसका सामना करें। लेकिन, अगर आप एटेलोफोबिया से खुद से नहीं निपट पा रहे हैं तो जरूरी है कि डॉक्टर को दिखाएं और थेरेपी लें।
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FAQ
एटेलोफोबिया का हिंदी में क्या अर्थ है?
एटेलोफोबिया, जिसे आम भाषा में अपूर्णता का डर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को कोई भी काम करने के दौरान गलती करने से डर लगता है।आत्मविश्वास में कमी क्यों होती है?
किसी भी व्यक्ति के आत्मविश्वास में कमी के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें नकारात्मक अनुभव होना, पारिवारिक कारक, फेल होने का डर और खुद पर विश्वास की कमी होती है।आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद पर विश्वास करना सीखें और हमेशा पॉजिटिव रहने की कोशिश करें।