Can Women With PCOS Do Heavy Workouts In Hindi: पीसीओएस एक गंभीर समस्या है। पीसीओएस हार्मोनल अंसतुलन की वजह से होता है। ऐसा आमतौर पर कम उम्र की महिलाओं के साथ ही होता है। पीसीओएस होने पर महिला के लिए कंसीव करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि महिलाओं को समय-समय पर अपनी जांच कराते रहनी चाहिए। पीसीओएस होने पर कभी महिलाओं को पीरियड्स समय पर नहीं आते हैं, तो कभी हैवी ब्लीडिंग होने लगती है। इसके अलावा पीसीओएस होने पर महिलाओं के शरीर, जैसे सीने, पेट या पीठ में बाल बढ़ने लगते हैं और वजन बढ़ने लगता है। पीसीओएस की वजह से महिला इंफर्टाइल भी हो जाती है। पीसीओएस के लक्षणों को कम करने के लिए जरूरी है कि महिलाएं रेगलुर एक्सरसाइज करें। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक्सरसाइज करने की वजह से हार्मोन बैलेंस रहते हैं, जिससे पीरियड्स के नॉर्मल होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, कुछ महिलाओं के जहन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या पीसीओएस में जिम जाकर इंटेंस वर्कआउट (pcos me exercise karna chahiye ya nahi) करना सही है? इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की। आप भी जानें, जवाब।
क्या पीसीओएस होने पर इंटेंस वर्कआउट कर सकते हैं- Can Women With PCOS Do Heavy Workouts In Hindi
वर्कआउट करना या एक्सरसाइज करना ओवर ऑल हेल्थ के लिए बहुत ही अच्छा होता है। इससे फील गुड हार्मोन रिलीज होते हैं, जो स्वस्थ रखने में, स्ट्रेस कम करने में और मूड को बूस्ट करने में मदद करते हैं। आपको बता दें कि पीसीओएस होने पर भी एक्सरसाइज किया जाना चाहिए। इससे पीसीओएस के लक्षणों में कमी देखी गई है। fertilityfamily वेबसाइट में प्रकाशित अध्ययन की मानें, तो पीसीओएस में एक्सरसाइज, विशेषकर एचआईआईटी यानी हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग करने से लाभ पहुंचता है। अगर कोई महिला जिसे पीसीओएस है, वह लगातार 10 दिनों तक एचआईआईटी करे, तो इससे इंसुलिन रेसिस्टेंट बेहतर होता है और टेस्टेस्टेरोन नाम का हार्मोन भी कम होता है। इस तरह देखा जाए, तो पीसीओएस से ग्रस्त महिलाएं इंटेंस वर्कआउट कर सकती हैं। हालांकि, वहीं दूसरी तरफ nuffieldhealth में प्रकाशित रिपोर्ट की ओर गौर करें, तो पता चलता है कि पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं को इंटेंस कार्डियो नहीं करना चाहिए। इससे शरीर पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है और स्ट्रेस क्रिएट होने लगता है। यह कंडीशन पीसीओएस के लिए सही नहीं है। इससे पीसीओएस के लक्षणों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। कुल मिलाकर आप कह सकते हैं कि पीसीओएस होने पर एक्सरसाइज करना है या नहीं, इस संबंध में आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए। वे आपकी कंडीशन को देखते हुए मॉडरेट यानी सामान्य एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं।
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पीसीओएस में वर्कआउट करने के फायदे- Benefits Of Exercise In PCOS In Hindi
- पीसीओएस में वर्कआउट करने से हार्मोन बैलेंस होने में मदद मिलती है। एक्सरसाइज करने से एंडोर्फिन हार्मोन बढ़ता है, जबकि एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आती है।
- पीसीओएस में एक्सरसाइज करने से मूड बेहतर होता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पीसीओएस से ग्रस्त महिलाएं अक्सर डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में अगर वे रेगुलर एक्सरसाइज करें, तो उनके शरीर में हैप्पी हार्मोंस रिलीज हो सकते हैं, जो पीसीओएस के लक्षणों में कमी कर सकते हैं।
- पीसीओएस अक्सर उन महिलाओं को होने का रिस्क ज्यादा रहता है, जिनका वजन ज्यादा होता है। वहीं, एक्सरसाइज करने से वजन संतुलित रहता है और पीसीओएस के लक्षण में सुधार होता है।
- एक्सरसाइज की मदद से नींद भी अच्छी आती है। पीसीओएस की वजह से अगर महिला डिप्रेशन में चली जाए, तो उसकी नींद बाधित हो सकती है। यह कंडीशन पीसीओएस के लिए सही नहीं है।
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