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PCOS से पीड़ित महिलाएं जरूर करें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वर्कआउट, एक्सपर्ट से जानें इसके फायदे

Benefits Of Strength Training In PCOS In Hindi: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं का क्या-क्या फायदे मिलते हैं, यहां जानें..
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PCOS से पीड़ित महिलाएं जरूर करें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वर्कआउट, एक्सपर्ट से जानें इसके फायदे


Benefits Of Strength Training In PCOS In Hindi: जिन महिलाओं को पीसीओएस या पीसीओडी (PCOS or PCOD) से पीड़ित हैं, उन्हें स्वस्थ जीवनशैली फॉलो करने की सलाह दी जाती है। नियमित एक्सरसाइज करना, स्वस्थ और संतुलित आहार लेने से उन्हें इनके लक्षणों में सुधार करने में मदद मिल सकती है। आपको बता दें कि पीसीओएस हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली एक गंभीर स्थिति है, जो खराब और गतिहीन जीवनशैली का ही परिणाम है। जब हम शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं रहते हैं और अनहेल्दी फूड्स का सेवन अधिक करते हैं, तो इससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति पैदा हो जाती है। लगातार ऐसी जीवनशैली फॉलो करने से शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने और शरीर का वजन अधिक होने लगता है। यही कारण है कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में मोटापे की समस्या भी देखने को मिलती है। अच्छी बाद यह है कि स्वस्थ जीवनशैली को फॉलो करके हार्मोन्स को संतुलित और पीसीओएस के लक्षणों सुधार किया जा सकता है। आपको बता दें कि पीसीओएस को जल्द ठीक करने में एक्सरसाइज करना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है, खासकर अगर महिलाएं स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वर्कआउट करती हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं का क्या-क्या फायदे मिलते हैं, इसके बारे में हार्मोनल एंड गट हेल्थ डायटीशियन मनप्रीत कालरा ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में विस्तार से बताया है। इस लेख में हम आपको पीसीओएस में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने के फायदे बता रहे हैं...

Benefits Of Strength Training In PCOS In Hindi

PCOS में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वर्कआउट करने के फायदे- Benefits Of Strength Training In PCOS In Hindi

1. इंसुलिन सेंसिटिविटी में होता है सुधार: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने में मदद मिलती है। इससे ग्लूकोज भी कंट्रोल में रहता है।

2. एण्ड्रोजन का स्तर कम होता है: इससे पीसीओएस वाली महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के बढ़े हुए स्तर को कम करने में मदद मिलती है।

3. इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से भोजन से प्राप्त ग्लूकोज के शरीर द्वरा बेहतर तरीके से उपयोग किया जाता है।

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4. शरीर की संरचना में सुधार होता है: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मांसपेशियों के निर्माण और शरीर की चर्बी कम करने में मदद कर सकती है।

5. मूड में सुधार होता है: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मूड में सुधार होता है। यह तनाव को कम करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करती है।

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6. बोन डेंसिटी में सुधार होता है: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से बोन डेंसिटी में सुधार और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।

 

 

 

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All Image Source: Freepik

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