बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मां का दूध आवश्यकत होता है। लेकिन, कुछ मामलों में डिलीवरी के बाद महिलाओं को स्ट्रेस होने लगता है। इसका प्रभाव महिलाओं के स्तनपान पर पड़ता है। तनाव व स्ट्रेस की वजह से महिलाओं में दूध की मात्रा पर प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपनी डाइट के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। मणिपाल अस्पताल, गाजियाबाद के आब्सटेट्रिक्स और गायनकोलोजी कंसल्टेंट डॉ. विनीता दिवाकर से जानते हैं कि स्ट्रेस व तनाव से ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध की मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ते हैं।
स्ट्रेस से ब्रेस्टफीडिंग पर क्या असर पड़ता है? -How does stress affect breastfeeding in Hindi
डॉक्टर के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग मुख्य रूप से शरीर के प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है। प्रोलैक्टिन ब्रेस्ट में दूध के उत्पादन को उत्तेजित करता है। जबकि, ऑक्सिटोसिन लेट डाउन को रिफ्लेक्स (स्तन से बच्चे तक पहुंचना) करने के लिए जिम्मेदार होता है। ये दोनों ही हार्मोन मां की भावनात्मक स्थिति और सेहत से जुड़े होते हैं, जो मां के दूध की मात्रा को प्रभावित कर सकते हैं।
हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव
स्ट्रेस प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन दोनों के उत्पादन पर निगेटिव प्रभाव डालता है, जिससे दूध की आपूर्ति भी प्रभावित होती है। स्ट्रेस के बढ़ते स्तर से प्रोलैक्टिन में कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में कमी आ सकती है। इसके अतिरिक्त, स्ट्रेस स्तनपान के दौरान ऑक्सीटोसिन के रिलीज होने में भी बाधा डाल सकता है, जिससे दूध सही तरह से बाहर नहीं आ पाता है।
बच्चे को कम दूध पिलाना
महिलाओं के शरीर में बनने वाले दूध की मात्रा उनके द्वारा बच्चे को दूध पिलाने की संख्या पर भी निर्भर करती है। जितनी बार बच्चा दूध पीता है, शरीर में उतनी बार दूध बन जाता है। हालांकि, स्ट्रेस से दूध की आपूर्ति प्रभावित होती है। लेकिन, कई मामलों में स्ट्रेस की वजह से मां भी बच्चे के दूध पिलाना कम कर देती हैं।
स्ट्रेस के कारण ब्रेस्टफीडिंग की समस्या को कैसे कम करें?
खुद की देखभाल करें
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को खुद की देखभाल पर ध्यान देना चाहिए। स्ट्रेस होने पर ज्यादा से ज्यादा आराम करें। संतुलित आहार लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
घर के लोगों से बात करें
स्तनपान के समय स्ट्रेस से बचने के लिए घर के लोगों के साथ बात करें। यदि, किसी विषय को लेकिर चिंता अधिक है तो उस पर बात कर आप अपने मन को हल्का कर सकती हैं।
एक्सरसाइज और योग करें
स्ट्रेस को कम करने के लिए महिलाओं को ध्यान, योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे स्ट्रेस में कमी आती है।
बाहर टहलें
सुबह व शाम के समय बाहर टहलने से मानसिक रूप से शांति मिलती है। इससे स्ट्रेस कम होता है। बाहर निकलकर लोगों के साथ बात करें। इससे माइंड रिलेक्स होता है और आपको आराम मिलता है।
इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड कब लेना चाहिए? डॉक्टर से जानें इसका सही समय और स्त्रोत