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पागल कुत्ता काटने से भैंस की मौत, दूध पीने वाले 200 लोगों ने लगवाया रेबीज इंजेक्शन; क्या ऐसे फैलता है संक्रमण?

बदायूं में एक रेबीज संक्रमित भैंस के दूध से बना रायता खाने के बाद करीब 200 लोगों ने रेबीज का इंजेक्शन लगवाया है। आइए जानते हैं संक्रमित रेबीज जानवर का दूध पीने से आपको भी रेबीज हो सकता है?
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पागल कुत्ता काटने से भैंस की मौत, दूध पीने वाले 200 लोगों ने लगवाया रेबीज इंजेक्शन; क्या ऐसे फैलता है संक्रमण?

पिछले कुछ महीनों में हम रेबीज के कारण कई लोगों की मौत के बारे में सुनते और देखते आ रहे हैं। इसी कड़ी में ए चौकाने वाला मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं से सामने आ रहा है, जहां एक तेरहवीं के भोज में रायता खाने के बाद करीब 200 से ज्यादा लोगों ने रेबीज वैक्सीन लगवाई है। दरअसल, भोज में शामिल हुए लोगों ने रायता खाया था, जो भैंस के दूध से तैयार किया गया था। जिस भैंस के दूध का इस्तेमाल किया गया था तेरहवीं के बाद उस भैंस को पातल कुत्ते ने काट लिया था, जिस कारण भैंस की रेबीज के कारण मौत हो गई। भैंस की मौत के बाद लोगों में रेबीज का डर बढ़ गया और सभी लोग इंजेक्शन लगवाने अस्पताल पहुंच गए। ऐसे में लोगों के मन में सबसे बड़ा डर और सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में कुत्ते के काटने के बाद गाय, भैंस आदि जानवरों के संक्रमित होने के बाद उनके द्वारा मिलने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति को भी रेबीज हो सकता है या नहीं? आइए इस बारे में हम दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन एंड इनफेक्शन डिजीज, डॉ. अंकित बंसल से जानते हैं?


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क्या रेबीज कुत्ता काटने के बाद पशु से मिलने वाला फूड खाने से रेबीज हो सकता है?

डॉ. अंकित बंसल बताते हैं कि अगर किसी गाय, भैंस, बकरी आदि को रेबीज से संक्रमित कुत्ता काट लें तो इसके द्वारा दिए गए दूध को पीने से आदमी पर इंसान को सीधा रेबीज होने का खतरा नहीं होता है। रेबीज वायरस मुख्य रूप से इन्फेक्टेड जानवर की लार के जरिए काटने या खरोंच के जरिए शरीर में जाता है। दूध के रास्ते रेबीज फैलने की संभावना बहुत कम होती है और लगभग ना के बराबर मानी जाती है। हालांकि, सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। ऐसे पशु का दूध कुछ समय तक कच्चा नहीं पीना चाहिए और हमेशा अच्छी तरह उबालकर ही पीना चाहिए। साथ ही, पशु या अन्य जानवर को रेबीज संक्रमित जानवर के काटने पर तुरंत तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाकर उनकी निगरानी में रखना चाहिए और जरूरी वैक्सीनेशन कराना चाहिए।

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रेबीज कैसे फैलता है?

डॉ. अंकित बंसल का कहना है, "रेबीज एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जो मुख्य रूप से इन्फेक्टेड जानवर के काटने से फैलती है। जब रेबीज से पीड़ित कुत्ता, बिल्ली या कोई अन्य जानवर किसी व्यक्ति को काटता या खरोंचता है, तो उसकी लार के जरिए वायरस शरीर के अंदर चले जाते हैं। अगर जानवर की लार खुले घाव, कटे-फटे हिस्से या आंख, नाक और मुंह जैसी श्लेष्म झिल्लियों के संपर्क में आ जाए, तब भी इंफेक्शन हो सकता है। बता दें कि रेबीज हवा, पानी, भोजन या सामान्य छूने से नहीं फैलता है।"

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रेबीज का वायरस का असर कितने दिनों तक रहता है?

रेबीज का वायरस व्यक्ति में कितने दिनों तक रहता है इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. अंकित बंसल ने बताया कि, रेबीज वायरस शरीर के अंदर जाने के बाद तुरंत अपना असर नहीं दिखाता है, बल्कि इसका असर दिखने में समय लग सकता है। आमतौर पर रेबीज का इनक्यूबेशन पीरियड 20 दिन से लेकर 3 महीने तक होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह कुछ दिनों या एक साल से ज्यादा समय के बाद भी सामने आ सकता है। रेबीज का इंफेक्शन दिखने का यह समय इस बात पर निर्भर करता है कि काटने की जगह कहां है, घाव कितना गहरा है और वायरस की मात्रा कितनी थी। सिर, चेहरे या गर्दन के पास काटने पर रेबीज के लक्षण जल्दी दिख सकते हैं। जब एक बार रेबीज के लक्षण जैसे बुखार, बेचैनी, पानी से डर, झटके या मानसिक बदलाव शरीर में नजर आने शुरू हो जाते हैं, तो बीमारी जानलेवा हो जाती है। इसलिए काटने के तुरंत बाद घाव की अच्छी तरह सफाई और समय पर एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवाना बहुत जरूरी है।

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रेबीज फैलने में कितना समय लगता है?

डॉ. अंकित बंसल के मुताबिक रेबीज फैलने यानी शरीर में इसका इसका असर दिखने में आमतौर पर समय लगता है, इसे इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। सामान्य तौर पर यह अवधि 20 दिन से लेकर 3 महीने तक हो सकती है, लेकिन कुछ मामलों में इसके लक्षण 7 से 10 दिन में भी सामने आ सकते हैं या फिर 6 महीने से एक साल बाद तक भी लक्षण देखने को मिल सकते हैं। बता दें कि जब एक बार रेबीज के लक्षण शरीर में दिखना शुरू हो जाते हैं, तो बीमारी लगभग हमेशा जानलेवा साबित होती है। इसलिए काटने या खरोंच लगने के तुरंत बाद घाव को साबुन और पानी से धोकर बिना देरी किए एंटी-रेबीज टीका लगवाना बहुत जरूरी होता है।

निष्कर्ष

रेबीज संक्रमित जानवर से मिले दूध का सेवन करने से आमतौर पर रेबीज होने की संभावना कम होती है। इसके बाद भी व्यक्ति को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर रेबीज वैक्सीन जरूर लगाना चाहिए।
Image Credit: Freepik 

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  • Dec 29, 2025 16:47 IST

    Published By : Katyayani Tiwari

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