Milk for Kidney Patients: दूध पीना सेहत के लिए बेहद जरूरी है। ये एक प्रकार का कंप्लीट फूड है जिसमें कई प्रकार के न्यूट्रीएंट्स पाए जाते हैं। जहां ये शरीर में कई प्रकार के विटामिन की कमी को दूर करने वाला है वहीं इसके सेवन से प्रोटीन की कमी नहीं होती। लेकिन, क्या हर किसी के लिए दूध का सेवन फायदेमंद है? जैसे कि जिन लोगों में लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या होती है उन्हें दूध नहीं पचता। इसी प्रकार से किडनी के मरीजों के लिए भी दूध पचाना आसान नहीं होता है। दरअसल, किडनी के मरीजों के लिए दूध का सेवन कई बार दिक्कत बढ़ाने वाला भी हो सकता है। इसकी वजह से किडनी का काम काज काफी बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। कैसे, जानते हैं Dr. Bhumesh Tyagi, Senior Consultant-Internal Medicine, Sharda Hospital से।
क्या दूध से क्रिएटिनिन लेवल बढ़ता है- Can milk increase creatinine levels?
Dr. Bhumesh Tyagi बताते हैं कि दूध स्वस्थ व्यक्तियों में क्रिएटिनिन के स्तर को सीधे नहीं बढ़ाता है। हालांकि, किडनी के रोगियों के लिए, दूध का सेवन किडनी की बीमारी के स्टेज के आधार पर चिंता का विषय हो सकता है। क्रिएटिनिन (Creatinine) किडनी द्वारा फिल्टर किया जाने वाला एक अपशिष्ट उत्पाद यानी वेस्ट प्रोडक्ट है। क्रिएटिनिन का बढ़ा हुआ स्तर अक्सर किडनी की शिथिलता यानी काम काज में कमी का संकेत देता है। दरअसल, किडनी की बीमारी में, क्रिएटिनिन सहित किसी भी प्रकार के वेस्ट को फिल्टर करने की किडनी की क्षमता कम हो जाती है।
इसे भी पढ़ें: क्या डायबिटीज के मरीजों को किडनी इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है? जानें डॉक्टर से
टॉप स्टोरीज़
क्या किडनी का मरीज दूध ले सकता है-Kidney patient can drink milk in Hindi?
दूध में प्रोटीन, खास तौर पर कैसिइन (casein) भरपूर मात्रा में होता है और प्रोटीन का अत्यधिक सेवन किडनी पर दबाव डाल सकता है, जिससे उनके लिए वेस्ट को अच्छी तरह से फिल्टर करना मुश्किल हो जाता है। क्रोनिक किडनी रोग (CKD) वाले रोगियों के लिए, ज्यादा प्रोटीन का सेवन किडनी की क्षति को बढ़ा सकता है, जिससे संभावित रूप से क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है।
किडनी रोग के शुरुआती चरणों में, मध्यम मात्रा में दूध का सेवन क्रिएटिनिन के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं कर सकता है। हालांकि, जैसे-जैसे किडनी का काम काज बिगड़ता है, रोगियों के लिए अपने प्रोटीन सेवन को ध्यान में रखना जरूरी हो जाता है। क्योंकि ज्यादा प्रोटीन का सेवन यानी ज्यादा मात्रा में किडनी पर प्रेशर। इस तरह से किडनी बेहतर तरीके से काम नहीं कर पाती है और फिर शरीर के लिए चीजें और भी मुश्किल हो जाती हैं।
ध्यान देने वाली बात ये है कि National Library of Medicine की एक रिपोर्ट बताती है कि किडनी की पथरी वाले रोगियों को पशु आधारित प्रोटीन, सोडियम और ऑक्सालेट से बचना चाहिए और उन्हें इसी के अनुसार फलों और सब्जियों का चुनाव करना चाहिए। क्रोनिक किडनी रोग (CKD) के रोगियों में सोडियम, पोटेशियम और ऑक्सालेट से भरपूर चीजों के सेवन को थोड़ा कम करना चाहिए क्योंकि इससे किडनी पर प्रेशर पड़ सकता है और फिल्ट्रेशन का काम प्रभावित हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: शरीर में सोडियम की कमी का पता करने के लिए कौन सा टेस्ट होता है? जानें इसकी नॉर्मल रेंज
हालांकि, National Institute of Diabetes and Digestive Kidney Diseases की रिपोर्ट बताती है कि किडनी के मरीजों को प्रोटीन का सेवन करना भी है तो बिलकुल कम मात्रा में और थोड़ा-थोड़ा करें। इसके अलावा मीट, मछली, दूध और अंडा आदि के प्रोटीन के सेवन से बचें। इन्हें पचाना थोड़ा मुश्किल होता है। इसके अलावा आप प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन कर सकते हैं जैसे कि बीन्स, नट्स और सब्जियां।
किडनी रोगियों के लिए दूध या प्रोटीन की उचित मात्रा निर्धारित करने के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट या आहार विशेषज्ञ से बात करना जरूरी है। कुल मिलाकर, संयम और उचित आहार मार्गदर्शन क्रिएटिनिन के स्तर और किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। ऐसे में दूध पीना है या नहीं यह आपके किडनी की बीमारी, किडनी का काम काज और फिर आपके डॉक्टर ही बता सकते हैं।