Can Measles be Easily Prevented by Vaccination : खसरा (Measles) एक संक्रामक वायरस से होने वाली बीमारी है। आमतौर पर खसरा मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। लेकिन ये बुजुर्ग और युवा लोगों को भी हो सकता है। खसरा से संक्रमित होने पर व्यक्ति में तेज बुखार, नाक बहना, आंखों का लाल होना और शरीर पर लाल चकत्तों की समस्या देखी जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हजारों साल खसरे के कारण लाखों बच्चों की जान चली जाता है। भारत के आंकड़ों की बात करें तो यहां हर साल खसरे से 500 बच्चे मरते हैं। भारत में जब खसरे से बचाव की बात आती है, तो सबसे पहले वैक्सीनेशन का नाम आता है। लेकिन क्या सिर्फ एक वैक्सीन के जरिए खसरे से बचाव संभव है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब।
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खसरा क्या है और कैसे फैलता है- What is measles and how does it spread
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खसरा एक वायरल संक्रमण है जो मेसेल्स वायरस (Measles virus) के कारण होता है। मेसेल्स वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करते समय निकलने वाली हवा के जरिए दूसरे व्यक्ति में फैलता है। खसरे का संक्रमण इतना संक्रामक है कि यदि कोई संक्रमित व्यक्ति 10 अन्य लोगों के संपर्क में आता है और उनमें से किसी को वैक्सीन नहीं लगी हो, तो लगभग 9 लोग संक्रमित हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति का समय रहते खसरे का इलाज न किया जाए तो यह निमोनिया, मस्तिष्क की सूजन (Encephalitis), दस्त और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है।
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क्या खसरे से सिर्फ वैक्सीन से बचाव संभव है?- Is it possible to prevent measles only through vaccine
सीएमआरआई कोलकाता की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचि गोलाश का कहना है कि खसरे से बचाव के लिए WHO और यूनिसेफ द्वारा MMR (Measles, Mumps, Rubella) वैक्सीन को सबसे प्रभावी उपाय माना गया है। इस वैक्सीन की दो खुराक दी जाती हैं - पहली खुराक 9-12 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 15-18 महीने या 4-6 साल की उम्र में दी जाती है। लेकिन खसरे से बचाव के लिए वैक्सीनेशन संभव नहीं है। डॉ. रुचि गोलाश के अनुसार, भारत और अन्य विकासशील देशों में खसरे से बचाव के लिए वैक्सीनेशन अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। खसरे के प्रति कुछ समुदायों में वैक्सीन को लेकर मिथक और अफवाहें फैली हुई हैं।
कई ग्रामीण इलाकों में अभी भी यह धारणा है कि खसरे की वैक्सीन बांझपन का कारण बन सकती है। इसलिए महिलाएं अपने बच्चों को खसरे की वैक्सीन दिलवाने से बचती हैं। खासकर जब बच्चों की सेहत की हो। अगर किसी बच्चे को खसरे से बचाना है तो वैक्सीन के साथ-साथ रोजमर्रा में कुछ बदलावों को भी शामिल करना जरूरी है।
1. पोषण है जरूरी
कमजोर इम्यून सिस्टम वाले बच्चे, विशेष रूप से कुपोषित बच्चे, खसरे के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। अगर बच्चे को उम्र के अनुसार, खसरे की वैक्सीन दी गई है लेकिन इसके बावजूद बच्चा कुपोषित है तो उसमें खसरे के संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए खसरे से बचाव बच्चों को संतुलित आहार दिया जाना चाहिए।
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2. दूसरे देशों से सहयोग
खसरा एक वैश्विक समस्या है। यदि एक देश इसे नियंत्रित करता है लेकिन उसके पड़ोसी देश में संक्रमण फैला हुआ है, तो फिर से संक्रमण फैल सकता है। इसलिए दूसरे देशों के सहयोग से ही खसरे से बचाव किया जा सकता है।
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3. साफ पानी
खसरे से बचाव के लिए व्यक्ति का साफ पानी पीना जरूरी है। अगर बच्चे को साफ पानी और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ न मिलें, तो खसरे का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
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निष्कर्ष
डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि सिर्फ वैक्सीन से खसरे से बचाव संभव नहीं है। खसरे से बचाव के लिए वैक्सीन अत्यंत आवश्यक और प्रभावी उपाय है। लेकिन खसरे पर पूरी तरह नियंत्रण पाना है तो हमें एक सही दृष्टिकोण को अपनाना जरूरी है। साथ ही, खसरे से प्रति बड़े स्तर पर जागरूकता लाना बहुत जरूरी है।
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FAQ
खसरा कितने दिन में ठीक होता है?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार, खसरा आमतौर पर 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाता है। खसरा से संक्रमित रोगी की सही देखभाल की जाए और उसे पर्याप्त आराम दिया जाए तो खसरा कम दिनों में भी ठीक हो सकता है।खसरा की बीमारी कैसे होती है?
खसरा एक संक्रामक वायरस से होता है जो संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकलने वाली बूंदों के जरिए दूसरे व्यक्ति को होता है।खसरा बीमारी का प्रमुख लक्षण क्या है?
खसरा बीमारी होने पर संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार और शरीर पर लाल चकत्ते नजर आते हैं। खसरा से संक्रमित होने पर व्यक्ति गंभीर रूप से काफी बीमार नजर आ सकता है।