दशकों से हृदय रोग को मुख्य रूप से हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई अीपी और जीवनशैली की आदतों से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन हाल के शोध ने इस सोच को चुनौती दी है। फिनलैंड और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने स्टडी में पाया है कि बैक्टीरियल इंफेक्शन भी सीधे हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। धमनियों में मौजूद प्लाक में चिपचिपी बैक्टीरिया की कॉलोनियां, जिन्हें बायोफिल्म्स कहते हैं, सालों तक निष्क्रिय रह सकती हैं, लेकिन किसी इंफेक्शन या ज्यादा तनाव के दौरान ये बैक्टीरिया अचानक एक्टिव होकर सूजन पैदा करते हैं और प्लाक को अस्थिर कर देते हैं। इसका नतीजा खून के थक्के (क्लॉट) का बनना और हार्ट अटैक हो सकता है। ये खोज भविष्य में हृदय रोग को समझने और उसका इलाज करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है। इस लेख में जानेंगे कि क्या बैक्टीरियल इंफेक्शन वाकई बन सकता है ह्रदय रोग का कारण? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के पल्स हॉर्ट सेंटर के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक शुक्ला से बात की।
क्या बैक्टीरियल इंफेक्शन बन सकता है ह्रदय रोग का कारण?- Can Bacterial Infection Trigger Heart Health
जर्नल ऑफ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 2025 की एक नई स्टडी मुताबिक, बैक्टीरियल इंफेक्शन सीधे हार्ट अटैक को ट्रिगर कर सकते हैं। इस अध्ययन में उन मरीजों की धमनियों के अंदर मुंह के बैक्टीरिया के जेनेटिक निशान मिले, जिनकी मृत्यु अचानक हुई या जिनकी एथेरोस्क्लेरोसिस की सर्जरी हुई थी। कुछ मामलों में शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि हार्ट अटैक के दौरान बैक्टीरिया, बायोफिल्म से निकलकर एक्टिव हो जाते हैं और इम्यून सिस्टम उन पर अचानक प्रतिक्रिया करता है।
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क्या कहती है स्टडी?- What Study Says
वैज्ञानिकों ने धमनियों (आर्टरी) में बनने वाले प्लाक का अध्ययन किया और पाया कि इनमें बायोफिल्म्स यानी चिपचिपी बैक्टीरिया की कॉलोनियां मौजूद रहती हैं। ये बायोफिल्म सालों तक छिपी और निष्क्रिय रह सकती हैं, जिससे इम्यून सिस्टम और एंटीबायोटिक्स भी इन्हें नहीं पकड़ पाते, लेकिन जब किसी वायरल इंफेक्शन या बड़े स्ट्रेस से इन्हें झटका लगता है, तो ये बैक्टीरिया अचानक एक्टिव होकर सूजन पैदा करते हैं, प्लाक को अस्थिर कर देते हैं और उसके फटने (Rupture) का कारण बनते हैं। इस वजह से ब्लड में क्लॉट (थक्का) बन जाता है, जो ब्लड फ्लो को रोककर हार्ट अटैक करा सकता है।
कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक शुक्ला ने बताया कि अगर स्टडी में बताए गए नतीजे पक्के हो जाते हैं, तो हृदय रोग को समझने और उसका इलाज करने का तरीका पूरी तरह बदल सकता है। भविष्य में नए डायग्नॉस्टिक टेस्ट, खास एंटीबायोटिक्स या वैक्सीन से हार्ट अटैक को रोकने में मदद मिल सकती है। इससे सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल ही नहीं, बल्कि इंफेक्शन के खतरे को भी कम करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष:
इस शोध से यह साफ हुआ है कि हार्ट अटैक सिर्फ कोलेस्ट्रॉल या जीवनशैली से नहीं जुड़ा है। बैक्टीरियल इंफेक्शन भी धमनियों में सूजन और प्लाक फटने का कारण बन सकता है।
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