Causes of Blister in Uterus in Hindi: आपके अकसर सुना होगा कि मुंह, जीभ या फिर पेट में छाले हो गए हैं। इसके अलावा, मसूड़ों में भी छाले होने की समस्या देखने को मिलती है। कुछ लोगों को त्वचा पर भी घाव या छाले हो सकते हैं। लेकिन क्या आपको बता है बच्चेदानी या गर्भाशय में भी छाले हो जाते हैं। बच्चेदानी में छाले, जननांगों से जुड़ी समस्याओं के कारण हो सकते हैं। जेनिटल हर्पीस या फिर सिफलिस जैसे एसटीआई रोगों के कारण बच्चेदानी में छाले हो सकते हैं। आइए, जानते हैं बच्चेदानी में छाले होने के कारण-
बच्चेदानी में छाले क्यों हो जाते हैं?- Causes of Blister in Uterus in Hindi- Bachedani me Chhale Kyu ho Jate Hain
1. जेनिटल हर्पीस- Genital Herpes
स्टडी के अनुसार जेनिटल हर्पीस, घाव या छालों का एक कारण हो सकता है। आपको बता दें कि जेनिटल हर्पीस एक वायरल एसटीआई (STI) है, जो जननांगों या बच्चेदानी में छालों का कारण बन सकता है। यह समस्या किसी भी उम्र की महिलाओं में देखने को मिल सकती है। जेनिटल हर्पीस की वजह से जननांगों या मलाशय के आसपास छोटे-छोटे छाले या घाव नजर आ सकते हैं। जब ये छाले खुलते हैं, जो दर्द महसूस हो सकता है। इन घावों को ठीक होने में लंबा समय भी लग सकता है। अगर कोई महिला इस स्थिति में असुरक्षित यौन संबंध बनाती है, तो यह पुरुष साथी में भी संचारित हो सकता है।
2. सिफलिस रोग- Syphilis
सिफलिस रोग भी एक एसटीआई है, जो दर्दनाक हो सकता है। इसकी वजह से अल्सर या छाले हो सकते हैं। आपको बता दें कि सिफलिस रोग, ट्रेपोनेमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बैक्टीरिया के संपर्क में आने के कुछ दिन बाद सिफलिस रोग के लक्षणों का अनुभव हो सकता है। हालांकि, यह कुछ दिनों में ठीक हो सकता है। लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर जटिलाएं पैदा कर सकता है।
इसे भी पढ़ें- प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीज के कारण, लक्षण और बचाव
3. चैंक्रोइड- Chancroid
चैंक्रोइड रोग की वजह से भी छाले हो सकते हैं। यह एक एसटीआई है, जो हेमोफिलस डुक्रेयी नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसकी वजह से जननांगों में दर्द हो सकता है। चैंक्रोइड में आपको छोटे घाव महसूस हो सकते हैं. साथ ही, यह दर्दनाक हो सकता है। इस स्थिति में इलाज बहुत जरूरी होता है। दवाइयों की मदद से चैंक्रोइड रोग को ठीक किया जा सकता है।
Read Next
महिलाओं में प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन की कमी होने पर दिखते हैं ये 7 लक्षण, जानें इसे बढ़ाने के उपाय
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version