Ayurvedic Remedy For Throat Problem: बदलते मौसम या खराब खान-पान की आदतों के कारण कई लोगों का गला जल्दी खराब हो जाता है। कई लोगों को मौसम में बदलाव के साथ गले में खराश, टॉन्सिल या अन्य कारणों से गले में दर्द की समस्या बनी रहती है। जिससे राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक उपायों को अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकते हैं। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं, जो आपके गले से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। आयुर्वेद में गले की समस्या दूर करने के लिए एक त्रिकटु चुर्ण का घरेलू नुस्खा भी है। त्रिकटु, एक आयुर्वेदिक मिश्रण है, जो तीन जड़ी-बूटियों से बना है, जिसमें काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ। आइए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ दीक्सा भावसार सावलिया से जानते हैं गले की समस्या दूर करने के लिए काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ यानी त्रिकटु का सेवन करने के फायदे और सही तरीका क्या है?
गले के लिए त्रिकटु के आयुर्वेदिक फायदे
आयुर्वेद में त्रिकटु को इसकी गर्माहट के लिए जाना जाता है, जो गले की समस्याओं के इलाज में काफी उपयोगी होता है। यह गले की खराश, टॉन्सिलिटिस और यहां तक कि थायराइड ग्रंथि से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ का मिश्रण पाचन तंत्र को बढ़ावा देकर, एंजाइम उत्पादन को बढ़ाता है और चयापचय में सुधार करता है। यह आपके शरीर में कफ दोष को संतुलित करने में मदद करता है, जो अक्सर सांस से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है। गले के स्वास्थ्य के अलावा, त्रिकटु का सेवन खांसी, जुकाम, अस्थमा और एलर्जिक राइनाइटिस जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
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काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ के अन्य फायदे
- चयापचय को बढ़ावा देने और फैट को जलाकर वजन घटाने में मदद करता है।
- कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
- पाचन क्रिया को बढ़ाकर लिवर और अग्न्याशय को बढ़ावा देता है।
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त्रिकटु बनाने की रेसिपी और खाने का तरीका
घर पर त्रिकटू बनाने के लिए काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ को बराबर मात्रा में मिला लें। अब इन तीनों चीजों को बारीक पीस लें। एक दिन में आपको 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम लेनी है, जिसे आप कई भागों में बांट सकते हैं। इसे शहद या पानी के साथ मिलाकर खाया जा सकता है और अगर आपको इसका स्वाद बहुत ज्यादा तीखा लगता है तो आप इसे खाने में मिलाकर खा सकते हैं।
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काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ का ये मिश्रण गले से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। लेकिन हर व्यक्ति के शरीर का प्रकार अलग होता है और समस्याएं भी अलग-अलग होती है, इसलिए अपनी समस्याओं और शरीर के दोष के अनुसार आपको किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद ही इसे अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
Image Credit: Freepik
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