बरसात का मौसम जहां हरियाली और ठंडक लेकर आता है, वहीं यह सेहत के लिए कई तरह की चुनौतियां भी खड़ा कर देता है। इस मौसम में नमी और उमस बढ़ जाती है, जिससे फंगस और बैक्टीरिया तेजी से पनपने लगते हैं। इसी कारण दाद-खाज, खुजली, एक्जिमा और फंगल इंफेक्शन जैसी स्किन संबंधी बीमारियां आम हो जाती हैं। कई बार यह इंफेक्शन इतना जिद्दी होता है कि बार-बार दवा लगाने के बाद भी पूरी तरह ठीक नहीं होता और दोबारा उभर आता है। मॉडर्न मेडिसिन में इसके लिए एंटीफंगल क्रीम और दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन ये केवल अस्थायी राहत देती हैं। आयुर्वेद में बरसात से जुड़ी इन समस्याओं का गहराई से समाधान बताया गया है। आयुर्वेदाचार्य के अनुसार अगर शरीर को अंदर से शुद्ध किया जाए और स्किन को प्राकृतिक औषधियों से सुरक्षा दी जाए तो इन परेशानियों से लंबे समय तक बचा जा सकता है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, फंगल इंफेक्शन के लिए सबसे अच्छी जड़ी बूटी कौन सी है?
फंगल इंफेक्शन के लिए सबसे अच्छी जड़ी बूटी कौन सी है? - What Is The Strongest Natural Antifungal
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि Cassia Tora जिसे हिंदी में चक्रमर्द और महाराष्ट्र में टकला या तकला की भाजी कहा जाता है, एक बेहद प्रभावशाली जड़ी-बूटी है जो बरसात में होने वाले फंगल इंफेक्शन से बचाने के लिए जानी जाती है। चक्रमर्द एक मौसमी पौधा है जो बरसात के मौसम में खेतों, झाड़ियों और सड़कों के किनारे आसानी से उग जाता है। आयुर्वेद में इसे "चक्री आकार वाले पत्तों" की वजह से चक्रमर्द कहा गया है। महाराष्ट्र और गुजरात में इसकी पत्तियां सब्जी के रूप में खाई जाती हैं और इसे टकला की भाजी के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस जड़ी-बूटी को त्वच्य औषधि (त्वचा रोगों की औषधि) माना गया है।
बरसात में क्यों होता है फंगल इंफेक्शन? - fungal infection kyo hota hai
बरसात के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है और ऐसे में पसीना, गीले कपड़े, गंदगी और उमस की वजह से फंगस तेजी से पनपता है। इसके कारण दाद, खुजली, नाखूनों का फंगल इंफेक्शन और एक्जिमा जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि ऐसे समय में अगर शरीर को अंदर से डिटॉक्स किया जाए और त्वचा को एंटीफंगल सुरक्षा मिले तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
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चक्रमर्द के फायदे - Benefits of Chakramarda
बरसात के मौसम में उगने वाले चक्रमर्द के पौधे की पत्तियों को महाराष्ट्र में मौसमी सब्जी के रूप में खाया जाता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाती है। डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि चक्रमर्द की पत्तियों और बीजों में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व फंगस की वृद्धि को रोकते हैं और खुजली-लाल चकत्तों जैसी समस्याओं को ठीक करने में सहायक होते हैं।
एंटीफंगल | त्वचा पर लगने वाला फंगल इंफेक्शन जैसे दाद-खाज और रिंगवर्म में लाभकारी। |
डिटॉक्सिफाइंग | खून को शुद्ध करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालता है। |
एंटीइचिंग | खुजली और जलन जैसी समस्याओं को कम करता है। |
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चक्रमर्द का स्किन पर उपयोग
- दाद-खाज की समस्या में इसकी पत्तियों का लेप प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
- चक्रमर्द की पत्तियों का रस खुजली रोकने में उपयोगी है।
- चक्रमर्द की सूखी पत्तियों का पाउडर बनाकर रोजाना 1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेना लाभकारी है।
- इसके बीज या पत्तियों का काढ़ा बनाकर भी त्वचा रोगों में सेवन किया जा सकता है।
सावधानियां
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन न करें।
- जिन लोगों को किसी तरह की गंभीर बीमारी या समस्याएं हैं वे डॉक्टर से सलाह लें।
निष्कर्ष
बरसात का मौसम जितना सुखद लगता है, उतनी ही आसानी से यह स्किन संबंधी रोगों को जन्म देता है। बाजार में मिलने वाली एंटीफंगल क्रीम अस्थायी राहत देती हैं, लेकिन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां लंबे समय तक प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। Cassia Tora या चक्रमर्द ऐसी ही एक शक्तिशाली औषधि है जो न केवल स्किन के फंगल इंफेक्शन को रोकती है, बल्कि शरीर को अंदर से शुद्ध कर इम्यूनिटी भी बढ़ाती है।
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