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इसे पीकर नहीं होगी बरसात में दाद खाज खुजली, जानें बनाने का तरीका और आयुर्वेदिक फायदे

Kutki Chirata ke fayde: बरसात के मौसम में लोगों को स्किन की बीमारियां ज्यादा होती हैं। ऐसे में कुटकी चिरायता एक कारगर आयुर्वेदिक इलाज के रूप में कामगर है। कैसे, जानते हैं। 
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इसे पीकर नहीं होगी बरसात में दाद खाज खुजली, जानें बनाने का तरीका और आयुर्वेदिक फायदे


Kutki Chirata ke fayde: आयुर्वेद में कुटकी और चिरैता को उनके डिटॉक्सीफेक्शन के कारण जाना जाता है। इन्हें ज्वरनाशक और लिवर रक्षक गुणों के लिए अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इनका उपयोग विशेष रूप से वर्षा ऋतु के दौरान लाभकारी होता है, जब पाचक अग्नि स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है, शरीर में ज्यादा गंदगी जमा होती है, पित्त व कफ दोषों की गड़बड़ी बढ़ जाती है और शरीर में निकलते हैं फोड़े-फुंसी या होती है दाद खाज खुजली की समस्या। ऐसे में कुटकी और चिरायता इन तमाम समस्याओं का हल हो सकता है।

जहां कुटकी अपने कड़वे और कसैले स्वाद, शीतलत गुणों से इन समस्याओं का कारगर उपाय बन सकती है वहीं चिरैता, जो स्वयं कड़वा और ठंडा होता है, अपने ज्वरनाशक और सूजन-रोधी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह दोनों एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और फिर खून साफ करने वाले गुणों से भरपूर है। इनका सेवन लिवर में पित्त की समस्या को कम करके खुजली कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा भी त्वचा के लिए और खासकर बरसात के मौसम में इन दोनों के सेवन के कई फायदे हैं। आइए जानते हैं इस बारे में Dr Purva Balkrishna Amin, BAMS, MD(Scholar) और Dr Mohammed Faisal, Associate professor, SDM College of Ayurveda, Udupi, Karnataka से।

फंगल इंफेक्शन में कैसे कारगर है कुटकी चिरायता?

कहा जाता है कि कुटकी और चिरायता, दोनों ही औषधि चयापचय को बढ़ाकर शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है। यह औषधि लिवर टॉनिक भी है और पित्त को कम करने के साथ लिवर की वजह से त्वचा में होने वाली खुजली और इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है। इस अलावा अपने कड़वे गुणों के कारण यह दोनों ही चीजें खून को साफ करने के साथ त्वचा को अंदर से हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं। कुटकी और चिरायता, दोनों ही त्वचा के अंदर बैक्टीरियल ग्रोथ को रोकते हैं जिससे फंगल इंफेक्शन में कमी आ सकती है।

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दाद खाज खुजली में क्यों है फायदेमंद

बरसात के मौसम में दाद खाज खुजली जो एक प्रकार के फंगल इंफेक्शन हैं, इन्हें कम करने में कुटकी चिरायता मददगार हैं। इसके अलावा इनका एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण इन्हें फैलने से रोकता है और खुजली व जलन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह खून को साफ कर देता है जिससे तेजी से आप इन समस्याओं से उबर सकते हैं।

बरसात में कुटकी चिरायता के खास फायदे

यह तमाम औषधियां शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, विशेष रूप से बच्चों, दुर्बल और वृद्ध व्यक्तियों में, जिनके वायरल रोगों से संक्रमित होने की संभावना सबसे अधिक होती है उनमें इंफेक्शन के खतरे को कम करती हैं। इस औषधि में मौजूद रासायनिक तत्व बरसात के मौसम में शरीर में, विशेष रूप से आंतों और श्वसन तंत्र को हेल्दी रखने में मदद करता है। यह व्यक्तियों में मानसून के मौसम के लक्षणों जैसे खांसी, दस्त, बुखार और नाक बहना आदि को रोकने में मदद करता है। इसलिए दोनों पौधे बरसात के मौसम में बहुत फायदेमंद माने जाते हैं।

पेट के इंफेक्शन को भी कम करने में मददगार

मानसून गर्मी से राहत तो देती है, लेकिन साथ ही कमजोर पाचन के साथ पेट से जुड़ी समस्या पैदा करती है। ऐसे में यह दोनों एक लैक्सेटिव की तरह काम करते हैं और पेट साफ करने के साथ कब्ज की समस्या में कमी लाते हैं। चिरैता, जो समान रूप से कड़वा और ठंडा होता है, अपने पित्त और कफ को संतुलित करता है, लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। साथ ही ये बॉडी डिटॉक्स में मददगार है और इस प्रकार से यह मौसमी पेट के इंफेक्शन को कम करने में भी कारगर है।

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कैसे लें कुटकी और चिरायता का पानी?

इस औषधीय जल को पर्याप्त मात्रा में जीरा, काली मिर्च और अजवाइन जैसे सहायक पदार्थों के साथ काढ़े या जूस के रूप में लेना चाहिए। आप 20-30 मिलीलीटर कुटकी और 30-60 मिलीलीटर चिरायता की खुराक सुबह खाली पेट ले सकते हैं। काढ़ा बनाने के लिए
-सूखे कुटकी और चिरायता पाउडर का 1/4 छोटा चम्मच लें।
-2 कप पानी में तब तक उबालें जब तक कि यह 1 कप न रह जाए।
-छानकर गरमागरम सेवन करें।

आयुर्वेदिक रूप से, इन जड़ी-बूटियों का सेवन काढ़े के रूप में सबसे अच्छा होता है लेकिन आप हर्बल पानी के रूप में भी इसका सेवन कर सकते हैं। इसे तैयार करने के लिए, कुटकी और चिरायता पाउडर के आधे-आधे चम्मच को रात भर एक गिलास गर्म पानी में भिगोएं। सुबह खाली पेट पानी को छानकर पी लें।

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कितनी मात्रा में लें कुटकी औरचिरायता का पानी

दिन में एक बार 50-100 मिलीलीटर, सुबह खाली पेट या शाम को भोजन से पहले लेना बेहतर है। जरूरत पड़ने पर लगभग 10-20 मिलीलीटर लें।

हालांकि, कम पित्त या वात वाले व्यक्तियों को इस मिश्रण का उपयोग सावधानी से करना चाहिए और गर्भावस्था या दुर्बल व्यक्तियों को इसकी सलाह नहीं दी जाती है।चिकित्सक के मार्गदर्शन के बिना लगातार 2-3 सप्ताह से अधिक समय तक सेवन न करें।

FAQ

  • दाद खाज खुजली का घरेलू उपाय क्या है?

    दाद खाज खुजली का सबसे सही घरेलू उपाय है नारियल तेल में लौंग और कपूर पकाकर लगाना। इससे खुजली कम होती है और इंफेक्शन फैलता नहीं है।
  • दाद होने पर कौन सा तेल लगाना चाहिए?

    दाद होने पर आप नीम का तेल लगा सकते हैं जो कि एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर है और इस समस्या में बेहद कारगर तरीके से काम कर सकता है। 
  • सफेद चर्म रोग क्यों होता है?

    सफेद चर्म रोग मेलेनिन की कमी की वजह से होता है। असल में मेलेनिन चेहरे की रंगत तय करता है जिसकी कमी से आपको चर्म रोग की समस्या परेशान कर सकती है।

 

 

 

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