पेट के रोगों को करना है दूर तो रोज करें कुंजल क्रिया, जानें इस आसान सी क्रिया को करने का तरीका और लाभ

कुंजल क्रिया पेट के रोगों से निजात दिलाती है। यह शरीर से हानिकारक तत्त्वों को उल्टी के माध्यम से बाहर निकालती है।
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पेट के रोगों को करना है दूर तो रोज करें कुंजल क्रिया, जानें इस आसान सी क्रिया को करने का तरीका और लाभ

कुंजल क्रिया को धौति और गज कर्ण भी कहा जाता है। इस क्रिया को करने से पेट के रोगों से निजात मिलती है। गला और पेट की शुद्धि हो जाती है। इस गज कर्ण इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब हाथी को उबकाई आती है तब वह अपनी सूंड को गले में अंदर तक डाल देता है जिससे उसके शरीर से गैर जरूरी तत्त्व बाहर निकल जाते हैं। कुंजल क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसे मनुष्य ने प्रकृति से लिया है। इनोसेंस योगा कि एक्सपर्ट भोली परिहार ने इस क्रिया को करने का तरीका और पेट के लिए यह कैसे फायदेमंद है उसके बारे में ओन्ली माई हेल्थ को बताया। उन्होंने बताया कि कुंजल क्रिया हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों और रसायनों को बाहर निकालती है। तो आइए जानते हैं कि कुंजल क्रिया पेट के लिए कैसे फायदेमंद है।

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कुंजल क्रिया की जरूरत क्यों?

भोली पिछले पांच सालों से अलग-अलग संस्थानों में योग से लोगों को निरोग कर रही हैं। वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से योग कराती हैं। भोली ने बताया कि जब हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं तब पेट में पाचन संबंधी रोग होने लगते हैं। इन रोगों से छुटकारा दिलाने में कुंजल क्रिया रामबाण है। यह क्रिया पेटी की मांसपेशियों को मजबूत करती है। तो वहीं, जिन लोगों को फोबिया, चिंता होती है उनके लिए शॉकिंग थेरेपी की तरह काम करती है। हमारे ईर्ष्या, डर, नफरत को नियंत्रित करता है। कुंजल क्रिया करने से पेट वाले क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ता है। छाती वाले हिस्से में भी रक्त प्रवाह बढ़ता है। कुंजल क्रिया छाती वाले हिस्से को और खोलती है ताकि सांस बेहतर तरीके से ले पाएं। यह एक प्राकृतिक क्रिया है जो हमने जानवरों से ली है।

कुंजल क्रिया को करने का तरीका

1. तैयारी 

योग एक्सपर्ट भोली परिहार ने बताया कि कुंजल क्रिया करने के लिए सबसे पहले एक जग, गुनगुना पानी और सेंधा नमक अपने पास रखें।

2.क्रिया करने की विधि

इस क्रिया को सुबह खाली पेट करें।  इस क्रिया को करने के लिए सबसे पहले उकड़ूं बैठ जाएं। अब एक से डेढ़ लीटर गुनगुना पानी लें। अपनी क्षमता के अनुसार पानी की मात्रा बढ़ा या घटा सकते हैं। एक लीटर पानी के अंदर आधा चम्मच सेंधा नमक मिलाएं। इस क्रिया को खाली पेट ही करें। पहले उकड़ूं होकर बैठ जाएं फिर दोनों हाथों से जग को पकड़कर बिना रुके पानी पीना शुरू करें। पानी को तब तक पीते रहें जब तक आपको उल्टी जैसा न लगने लगे। जैसे ही आपको उल्टी जैसा लगने लगे। खड़े हो जाएं। अपने लेफ्ट हैंड को कमर पर रख लें अपने सीधे हाथ से तर्जनी और माध्यमिका ऊंगली को अपने मुंह के अंदर लेकर जाएं। दोनों उंगलियों को मुंह के भीतर तक लेकर जाना है और फिर जीभ को दबाएं। फिर आपको उल्टी जैसा महसूस होगा फिर आगे की ओर थोड़ा सा झुक जाएं और धीरे-धीरे पानी को बाहर आने दें। इस क्रिया को तब तक दोहराते रहें जब तक सारा पानी बाहर न आ जाए। सारा पानी बाहर निकलने की पहचान है कि पहले पानी नमकीन निकलेगा फिर खट्टा निकलेगा। फिर कड़वा निकलेगा। ये क्रिया वात,पित्त, कफ को बैलेंस करती है। 

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पेट के लिए कुंजल क्रिया के फायदे

1.पेट की मांसपेशियों को दे मजबूती 

भोली परिहार के मुताबिक, जब हम उल्टी करते हैं तब मांसपेशियों का contraction होता है। इस प्रक्रिया में मांसपेशियां ढीली होती हैं फिर जब दोबारा उल्टी करते हैं तब गले की मांसपेशियां दर्द करने लगती हैं। कुलमिलाकर कहा जाए तो उल्टी करने से मांसपेशियां टाइट होती हैं और फिर ढीली होती हैं। जिससे पेट वाले हिस्से में रक्त प्रवाह बढ़ाता है। इस तरह से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।  

2.किडनी स्टोन को कम करे 

कुंजल क्रिया में जब हम मुंह में पानी भरकर उल्टी करते हैं तो पेट से गैर जरूरी चीजें बाहर आ जाती हैं, जिससे पाचन क्षमता बढ़ती है और हमारी किडनी में स्टोन होने के संभावना को कम करता है। कुंजल क्रिया में खूब सारा पानी पिया जाता है। जब हम पानी पीते हैं तब सारा पानी मुंह से बाहर नहीं निकलता और यूरीन के माध्यम से निकलता है। कुंजल  क्रिया करते समय जिन लोगों का पानी पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाया उनके लिए पेशाब जाना स्वाभाविक है। ऐसे में जो लोग कुंजल क्रिया कर रहे हैं और उन्हें अगर बार-बार पेशाब आ रहा है तो वे परेशान न हों। यह स्वभाविक प्रक्रिया है।

3.खट्टी डकारों से मिलेगी निजात

कुंजल क्रिया खट्टी डकारों की समस्या को खत्म कर देती है। भोली के मुताबिक हमारे पेट में जो पित्त (bile) है उसे बाहर आने का मौका नहीं मिलता। लेकिन जब हम कुंजल क्रिया करते हैं तब यह पित्त पानी के माध्यम से बाहर आ जाता है और खट्टी डकरों से मुक्ति मिल जाती है। 

4. खराब पाचन को करे ठीक

योग एक्सपर्ट भोली परिहार के अनुसार हमारे पेट में गैर जरूरी रसायन होते हैं जो कुंजल क्रिया करने से बाहर आ जाते हैं और पेट सही तरीके से काम करने लगता है। जिससे पाचन शक्ति सही रहती है। यह क्रिया खऱाब पाचन को ठीक करती है और पाचन शक्ति को बढ़ा देती है।

5. पेट की गैस को भगाए

कुंजल क्रिया करने से पेट में गैस की समस्या खत्म होती है। भोली के मुताबिक हमने जो खाना खाया होता है वह जब पूरी तरह से पचता नहीं है तब वह बड़ी आंत में पहुंच जाता है। यह बिना पचा हुआ खाना पेट में गैस बनाता है। जब यह गैस बाहर नहीं निकलती तब सिरदर्द होता है या पेट फूलने लगता है। लेकिन कुंजल क्रिया करने से सारे अनचाहे तत्व हमारी बॉडी से बाहर आ जाते हैं। इस क्रिया से हमारा पेट साफ हो जाता है जिसके कारण न तो हमें गैस बनती है और न अपच होती है।

6. पेट और छाती की जलन को करे दूर

कुंजल क्रिया में पानी में नमक इस्तेमाल डाला जाता है वह नमक पानी के साथ मिलकर क्लिंजर का कम करता है जो पेट की जलन को कम करता है और छाती में जलन को भी कम करता है। भोली ने बताया कि हाथी के अलावा बिल्ली भी खाना खाने के बाद बाद घास खाती है जिससे उसे उल्टी आ जाए। यही कुंजल क्रिया है। कुंजल क्रिया जानवरों से ली गई है। 

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कौन न करे

-जिन लोगों को हाइ बीपी और लो बीपी की दिक्कत है वो इसे न करें। अगर करना है तो किसी की गाइडेंस में करें।

-जिन लोगों को हार्निया है वे इसे बिल्कुल न करें।

आयुर्वेद में शरीर को निरोग बनाने के लिए कई उपाय दिए गए हैं। आयुर्वेद यह भी सीख देता है कि हमारे शरीर के रोगों के लिए हम खुद ही एक दवा हैं। सही खानपान से खुद को ठीक रखा जा सकता है। कुंजल क्रिया पेट के रोगों को भगाने के लिए एक रामबाण क्रिया है।  कुंजल क्रिया करने से पेट वाले क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ता है। इसे करना भी बहुत आसान है। बिना किसी तामझाम के इसे आसाने से किया जा सकता है।

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