साल 2018 की विदाई और नए वर्ष 2019 की शुरूआत हो चुकी है। साल के पहले महीने में ही मौसम में भी बदलाव देखने को मिलता है जो अच्छे अनुभवों के साथ-साथ बीमारियों के पनपने का कारण भी बनता है। पिछले वर्ष में कई तरह ऐसे रोग थे जिनसे लोग पीडि़त थे। यहां हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जिनसे इस साल भी सतर्क रहने की जरूरत है।
फेफड़ों में संक्रमण
फेफड़ों की बीमारी के कारण होने वाली सांस की समस्याएं शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करने से रोक सकती हैं। फेफड़ों के रोगों के उदाहरण हैं: अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति। संक्रमण, जैसे कि इन्फ्लूएंजा और निमोनिया। ये सभी बीमारियां आमतौर पर वायु प्रदूषण, धूम्रपान, रेडॉन और ऐस्बेटस आदि कारणों से होती है। बदलते पर्यावरणीय साल 2019 में फेफड़ों में संक्रमण जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। फेफड़ों को संक्रमित करने वाली ये बीमारियां लोगों कोंपरेशान कर सकती हैं।
ह्रदय रोग
हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जब एक या ज्यादा आर्टरी रुक जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस स्थिति को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहा जाता है। (इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे: हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता परन्तु यह समस्याएँ भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है)।
डायबिटीज
आमतौर पर डायबिटीज दो प्रकार होता है- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या फिर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, और इसे काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित लोगों का ब्लड शुगर का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज एक ही जैसा नहीं होता है। इन बीमारियों के प्रति काफी हद तक हमारी जीवनशैली जिम्मेदार होती है।
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ट्यूबरक्लोसिस
टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। मगर इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं। क्षयरोग को कई नामों से जाना जाता है जैसे टी.बी. तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से जाना जाता है। टी.बी से ग्रसित व्यक्ति बहुत कमजोर हो जाता है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का डर भी रहता है।
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डेंगू
डेंगू वायरस के चार मुख्य प्रकार हैं। एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार ही किसी खास प्रकार के डेंगू से संक्रमित होता है। क्लासिक डेंगू साधारण प्रकार का डेंगू है, यह स्वयं ही ठीक होने वाला है और इससे मृत्यु नहीं होती। लेकिन यदि व्यक्ति को डेंगू हीमोरेगिक बुखार या डेंगू शाक सिंड्रोम हुआ है और इसका ठीक प्रकार से उपचार नहीं किया गया तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
डेंगू बुखार उस मच्छर के काटने से होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज़ को काटा है। यह मच्छर बरसात के मौसम में ज्यादा फैलते हैं और यह उन जगहों पर तेज़ी से फैलते हैं जहां पानी जमा हो। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता लेकिन उस मच्छर के काटने से होता है जिसने किसी संक्रमित व्यक्ति को काटा है।
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