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आयुर्वेद में बांस सिलिका (बंसलोचन) को माना जाता है बेहद फायदेमंद, दूर करता है कई समस्याएं

बांस का उपयोग आयुर्वेद में कई औषधियों को बनाने में किया जाता है। यहां जानिए, बांस सिलिका के क्या-क्या फायदे होते हैं।
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आयुर्वेद में बांस सिलिका (बंसलोचन) को माना जाता है बेहद फायदेमंद, दूर करता है कई समस्याएं


आयुर्वेद में बांस सिलिका, जिसे बंसलोचन भी कहा जाता है, औषधीय तत्वों से भरपूर होता है। यह बांस के पौधे के अंदर पाई जाने वाली एक प्राकृतिक सिलिका होती है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है। प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। बांस सिलिका यानी बंसलोचन शरीर को मजबूत बनाता है और कई रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह खनिज तत्व शरीर के ऊतकों, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होता है। साथ ही, यह पाचन तंत्र को भी बेहतर करता है और पित्त दोष को कंट्रोल करने में मदद करता है। हाल ही में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और आयुर्वेदिक डॉक्टर मोनिक उप्पल ने बांस सिलिका यानी बंसलोचन के फायदे बताए हैं।

बांस सिलिका (बंसलोचन) के फायदे

बांस सिलिका का नियमित सेवन गर्भपात रोकने और स्पर्म काउंट बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है, जिससे इसे महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, बांस सिलिका शरीर को अंदर से शुद्ध करता है और शरीर की प्राकृतिक ऊर्जा को संतुलित करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है, जिससे तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है।

1. पित्त कम करने में सहायक

आयुर्वेद के अनुसार, पित्त शरीर के तीन मुख्य दोषों में से एक है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अगर पित्त का असंतुलन हो जाए, तो यह त्वचा समस्याएं, जलन, एसिडिटी और गुस्से जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है। बांस सिलिका के सेवन से शरीर में पित्त का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

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2. स्पर्म काउंट बढ़ाने में सहायक

मॉडर्न लाइफस्टाइल, तनाव और असंतुलित खान-पान की वजह से पुरुषों में स्पर्म काउंट की कमी होना एक सामान्य समस्या बन गई है। आयुर्वेद में बांस सिलिका को प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक माना जाता है। यह न केवल स्पर्म काउंट को बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि स्पर्म की क्वालिटी में भी सुधार करता है।

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3. गर्भपात की संभावना को कम करे

आयुर्वेद के अनुसार, बांस सिलिका का नियमित सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है। यह गर्भाशय को मजबूत बनाने और गर्भपात की संभावना को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह महिलाओं में हार्मोनल संतुलन को भी बनाए रखता है, जिससे गर्भधारण में सहायता मिलती है।

4. हड्डियों और जोड़ों के लिए फायदेमंद

बांस सिलिका को आयुर्वेद में हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। यह हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है और आर्थराइटिस जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक होता है। सिलिका का नियमित सेवन करने से हड्डियों की मजबूती बढ़ती है और उम्र के साथ होने वाली जोड़ों की समस्याओं से राहत मिलती है।

5. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

बांस सिलिका यानी बंसलोचन मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक हो सकता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है, जिससे दिमाग को शांति मिलती है। बांस सिलिका का सेवन मानसिक संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करता है, जिससे नींद की क्वालिटी में सुधार होता है।

निष्कर्ष

आयुर्वेद में बांस सिलिका को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। चाहे पित्त संतुलन हो, स्पर्म काउंट बढ़ाना हो या गर्भपात रोकना, बांस सिलिका का सेवन शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है।

 

 

 

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A post shared by Dr Monika Uppal & Dr Sarabjit Uppal (@suntex_ayurvedic_clinic)

All Images Credit- Freepik

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