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आयुर्वेद में यूरिक एसिड का इलाज कैसे किया जाता है? डॉक्टर से जानें किन चीजों का रखें ध्यान

यूरिक एसिड बढ़ने से आपके हाथ-पैरों में दर्द हो सकता है। डॉक्टर से जानते हैं आयुर्वेद में इस समस्या का इलाज कैसे किया जाता है?  
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आयुर्वेद में यूरिक एसिड का इलाज कैसे किया जाता है? डॉक्टर से जानें किन चीजों का रखें ध्यान


आहार का असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। यदि, कोई व्यक्ति अपनी शरीर की प्रकृति (वात, कफ और पित्त) के अनुसार भोजन नहीं करता है, तो उसके कई तरह के दोष होने की संभावना बढ़ जाती है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में दोष के उत्पन्न होने पर लोगों के यूरिक एसिड में भी बदलाव हो सकता है। यूरिक एसिड के बढ़ते स्तर की वजह से लोगों को गठिया (Gout-गाउट) की समस्या हो सकती है। यूरिक एसिड के मुख्य रूप से पैरों के ज्वाइंट को प्रभावित करता है। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द और चलने में समस्या हो सकती है। एलोपैथी के साथ ही आयुर्वेद में भी इस समस्या का इलाज उपलब्ध है। आयुर्वेदाचार्यों की मानें तो इस वात रक्त से जुड़ी समस्या की श्रेणी में शामिल किया जाता है। हर व्यक्ति के शरीर के एक निश्चित प्रकृति होती है, यदि उसकी सामान्य प्रकृति में दोष उत्पन्न हो तो उसको उस दोष से जुड़े रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। ओनलीमाय हेल्थ अपने पाठकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझता है। पाठकों को रोगों के प्रति जागरूक करने के लिए हमारी टीम द्वारा 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज चलाई जा रही है। इस सीरीज में आपको नई-नई जानकारियां देने का प्रयास किया जाता है। आज इस सीरीज में आपको यूरिक एसिड का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताया जा रहा है। इस रोग के कारण और इलाज को जानने के लिए हमने वाईआईसी की आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग से बात की। आइए, जानते हैं कि यूरिक एसिड का आयुर्वेद में इलाज कैसे किया जाता है। 

यूरिक एसिड क्यों होता है? What Causes of Uric Acid According to Ayurveda In Hindi

आयुर्वेद की डॉक्टर सोनल गर्ग कहती हैं "आज के समय में लोगों की लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव आया है। लोग अपनी शरीर की प्रकृति के अनुसार आहार का सेवन नहीं करते हैं। साथ ही, उनकी शारीरिक गतिविधियों में भी कमी आई है। इसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। आयुर्वेद में, इस समस्या को 'वातरक्त' कहा जाता है, जो तब होता है जब वात दोष और रक्त धातु (रक्त टिश्यू) बढ़ जाते हैं। दरअसल, आपके आहार और पेय पदार्थों में प्यूरिन नामक केमिकल एंजाइम होता है। किडनी इसे फिल्टर कर पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर कर देती है। लेकिन, जब किडनी इसे बाहर नहीं कर पाती है, तो शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने लगता है। जिससे इससे जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।"

ayurvedic treatment of uric acid

आयुर्वेद में यूरिक एसिड का इलाज कैसे किया जाता है? - Uric Acid Treatment In Ayurveda In Hindi 

इस रोग में व्यक्ति का पैरों की उंगलियां प्रभावित होती हैं। मोटापा, डायबिटीज, स्ट्रेस, पाचन संबंधी समस्या होने पर यूरिक एसिड तेजी से बढ़ सकता है। आगे जानते हैं इसके इलाज का तरीका और डाइट में किए जाने वाले बदलाव। 

रक्तमोक्षण क्रिया से यूरिक एसिड का इलाज 

वातरक्त में वात के साथ-साथ रक्त संबंधी समस्या हो सकती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर रक्तमोक्षण क्रिया से इलाज किया जाता है। रक्तमोक्षण क्रिया आयुर्वेदिक पंचकर्म थेरेपी का ही एक हिस्सा है। इस क्रिया में रोग और रोगी की अवस्था के अनुसार लीच थेरेरपी, कपिंग थेरेपी या सीरावेधन प्रक्रिया को किया जा सकता है। रक्तमोक्षण के द्वारा वात रक्त की वजह होने वाले दर्द व सूजन में आराम मिलता है। इसके अलावा, यूरिक एसिड के कम करने के लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधियों में मंजिष्ठा, गोखरू, पुनर्नवा, गिलोय, त्रिफला व सरिवा का सेवन किया जाता है। 

खानपान में किए जाने वाले बदलाव - Diet Changes For Reducing Uric Acid In Hindi

  • नियमित तौर पर व्यायाम करें और भरपूर पानी पिएं 
  • चाय, कॉफी, अल्कोहल का सेवन कम से कम करें
  • किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन जैसे ऑर्गन मीट, मछली, एग्स, सीफूड आदि खाने से बचें
  • सोयाबीन, टोफू, उड़द दाल, राजमा, छोले, स्प्रॉट्स का सेवन कम से कम करें
  • सब्ज़ियों में जैसे पालक, गोभी, मशरुम, शिमला मिर्च, मटर कम खाएं
  • दालों को हमेशा खुले बर्तन में पकाएं व घी का छौंक लगाएं। 

आयुर्वेदिक हर्बल टी का सेवन करें - Ayurvedic Herbal Tea For Reduce Uric Acid In Hindi

गिलोय की चाय का सेवन करने से यूरिक एसिड की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसे बनाने के लिए आप 3-4 छोटे गिलोय के टुकड़ें लें। इसे करीब आधा लीटर पानी में उबालें। साथ ही, इसमें 2 चुटकी हल्दी, आधा चम्मच सौंफ, आधा चम्मच सूखा धनिया, एक चौथाई चम्मच जीरा, एक छोटी इलायची को उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो गैस बंद कर दें। आपकी चाय तैयार है। इस चाय को आप दिन में एक बार पिएं। इस उपाय को आप 15 दिनों तक अपना सकते हैं। 

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यदि, यूरिक एसिड की वजह से जोड़ों में अधिक दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। इस सीरीज में हम आपको आयुर्वेद से जुड़ी अन्य उपयोगी विषयों के बारे में जानकारी देते रहेंगे। आयुर्वेद के द्वारा अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। इन लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि इस सीरीज का फायदा अन्य लोगों को भी मिले।

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