लाइफस्टाइल में होने वाले बदलावों के कारण कई तरह के रोग हो सकते हैं। इन बदलावों का प्रभाव पाचन क्रिया पर पड़ता है, जो आगे चलकर कब्ज का कारण बन सकती हैं। कब्ज का इलाज न किया जाए, तो इससे बवासीर (पाइल्स) हो सकता है। आज के समय में बवासीर की समस्या अधिकतर लोगों में देखने को मिल रही है। इस बीमारी के बारे में लोग बात करने में हिचकते हैं। लेकिन समय रहते इस समस्या का इलाज न किया जाए, तो यह एक बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। आयुर्वेदाचार्य के अनुसार शरीर के दोष (वात, कफ और पित्त) जब अनियंत्रित होने लगते हैं, तो इससे कब्ज की समस्या बढ़ सकती है।
ओनलीमायहेल्थ अपने पाठकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए कई तरह की मुहिम चलाता है। इसके तहत 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज में आज आपको आयुर्वेद में खूनी बवासीर का इलाज कैसे किया जाता है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने वेदिक्योर हेल्थकेयर एंड वेलनेस की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर ज्योत्सना कदम से बता की। आइए, जानते हैं कि खूनी बवासीर का आयुर्वेद में इलाज कैसे किया जाता है।
बवासीर होने के कारण क्या होते हैं? What Causes of Piles According to Ayurveda In Hindi
डॉक्टर ज्योत्सना कदम बताती हैं, "लोगों के शरीर की एक विशेष प्रवृत्ति होती है। इसे हम वात, कफ और पित्त के आधार पर जांचते हैं। लेकिन, कई बार जीवनशैली और खानपान में हुए बदलाव की वजह से वात, कफ और पित्त दोष प्रभावित होता है। इससे पाचन क्रिया बाधित होती है, जिसकी वजह से मल त्याग करने में परेशानी होती है। लंबे समय तक इस समस्या के कारण मलाशय के निचले भाग पर दबाव उत्पन्न होने लगता है और गुदा द्वार पर मस्से बनने लगते हैं। इसे ही बवासीर कहा जाता है। यह मस्से मल त्याग करते समय दर्द देते हैं। यही मस्से जब फट जाते हैं, तो मल के साथ खून आने लगता है। जबकि, बवासीर के दूसरे प्रकार (बादी बवासीर) में मस्से उभरते हैं, लेकिन वह मल त्याग करते समय फटते नहीं हैं। ऐसे में मरीज के खानपान में बदलाव करने की सलाह दी जाती है।"
आयुर्वेद में खूनी बवासीर का इलाज कैसे किया जाता है? | Ayurvedic Treatment Of Bleeding Piles In Hindi
हर्बल पेस्ट का उपयोग
इस विधि में क्षारीय पेस्ट के उपयोग से बवासीर का इलाज किया जाता है। यह पेस्ट हर्बल मिश्रण से बनाया जाता है। आयुर्वेदिक औषधियों से तैयार पेस्ट को स्लिट प्रॉक्टोस्कोप नामक एक विशेष उपकरण का उपयोग करके बवासीर पर लगाया जाता है। पेस्ट मलाशय में बवासीर की जलन और दर्द को शांत करता है, इसके अलावा खुले हुए मस्सों को भी भरता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस क्षार कर्म विधि को बवासीर के इलाज के लिए सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इसमें व्यक्ति के दोष के आधार पर कुछ दवाएं दी जाती हैं, साथ ही मरीज की जीवन शैली में भी कुछ बदलाव किए जाते हैं।
खूनी बवासीर में क्षार सूत्र
खूनी बवासीर को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में क्षार सूत्र का उपयोग किया जाता है। इस विधि में आयुर्वेदाचार्य औषधि युक्त धागे को मस्सों पर बांधते हैं। इससे मस्सों में रक्त की आपूर्ति बंद होना शुरू हो जाती है, जिससे मस्से कुछ ही दिनों में सिकुड़ जाते हैं। कुछ मामलों में मस्से अलग भी हो जाते हैं। यह सर्जरी का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस विधि का उपयोग बवासीर के गंभीर मामलों में ही किया जाता है।
बवासीर के आयुर्वेदिक इलाज में मरीज को कब्ज कम करने, पाचन क्रिया को बेहतर करने व सूजन को कम करने के लिए औषधि दी जाती हैं। आयुर्वेदाचार्य के अनुसार शरीर के दोषों को शांत किए बिना बवासीर के रोग को ठीक करने में समस्या हो सकती है। साथ ही, यह रोग दोबारा होने की संभावना हो सकती है।
खूनी बवासीर में किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?
डॉक्टर ज्योत्सना कदम के अनुसार खूनी बवासीर होने पर मरीज को गर्म मसालों का सेवन कम करना चाहिए। इसके साथ ही, लाल व हरी मिर्च, बासी आहार व ऐसे आहार का सेवन नहीं करना चाहिए, जिसे पचाने में परेशानी हो।
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खूनी बवासीर में आप आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं। इस सीरीज में हम आगे भी आपको उपयोगी विषयों पर जानकारी देते रहेंगे। जीवन में आयुर्वेद के साथ रोगों से सुरक्षित रहने के लिए आप 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज के साथ जुड़े रहें। इस तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। इन लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि इस सीरीज का फायदा अन्य लोगों को भी मिले।