आजकल काम की टेंशन में लोग खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। ऐसे में इनएक्टिव लाइफस्टाइल के कारण कई तरह के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर और आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि थायराइड एक ऐसा ही रोग है, जो ऐसे लोगों को होता है, जिनका वजन ज्यादा है या जो फिजिकल रूप से एक्टिव नहीं रहते हैं। इस रोग में थायराइड ग्रंथि का कार्य बाधित हो जाता है, जिससे लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक शरीर में वात, कफ और पित्त के अनियंत्रित होने से शरीर में थायराइड हो सकता है। मुख्य रूप से वात और पित्त अनियंत्रित होने पर हाइपरथायराइडिज्म (थायराइड की अधिक मात्र) जबकि, कफ एवं वात में असंतुलन से हाइपोथायराडिज्म (थायराइड का कम बनना) की समस्या हो सकती है। आज के समय में यह रोग एक आम समस्या बनता जा रहा है।
ओनलीमायहेल्थ अपने पाठकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए 'अरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज लेकर आया है। इस सीरीज में आयुर्वेद की मदद से विभिन्न रोगों के कारण, लक्षण और इलाज पर चर्चा की जाती है। इस सीरीज में आयुर्वेद के वरिष्ठ डॉक्टर की मदद से आपको आसान भाषा में रोग को समझाने का प्रयास किया जाता है। आज आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर ज्योत्सना सिंह से जानते हैं कि आयुर्वेद में थायराइड का इलाज कैसे किया जाता है।
आयुर्वेदार्च के अनुसार " थायराइड शरीर की एक ग्रंथि है, जो गले में स्थित होती है। यह ग्रंथि थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होती है। थायराइड हार्मोन मेटाबॉलिज्म के लिए आवश्यक होता है। इससे ही शरीर को एनर्जी मिलती है। खाने में आयोडीन की कमी, आटोइम्यून रोग व थायराइड ग्रंथि में सूजन की वजह से व्यक्ति को यह रोग हो सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को गलगंड (घेंघा) का ही एक रूप माना जाता है।"
थायराइड कितने प्रकार का होता है? | What Types Of Thyroid In Hindi
हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism)
इस स्थिति में थायराइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थायरॉक्सिन हार्मोन का उत्पादन करती है। इससे मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है, जिससे व्यक्ति का वजन अनियंत्रित हो सकता है। इस स्थिति में हार्ट रेट बढ़ जाता है।
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)
हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में शरीर में थायरॉक्सिन हार्मोन कम उत्पादन होता है। थायरॉक्सिन हार्मोन में कमी के कारण व्यक्ति को थकान महसूस होती है और वजन तेजी से बढ़ सकता है। इसके साथ ही, व्यक्ति ठंड सहन नहीं कर पाता है।
थायराइड में किस तरह के लक्षण महसूस होते हैं? - What Are The Symptoms Of Thyroid In Hindi
हाइपरथायरायडिज्म (थायराइड की अधिक मात्र) होने पर व्यक्ति को सोने में परेशानी, वजन कम होना, गलगंड (घेंघा) होना, मांसपेशियों में कमजोरी, पीरियड्स अनियमित होना और देखने में परेशानी होने लगती है।
जबकि, हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड का कम बनना) होने पर व्यक्ति को थकान, वजन बढ़ना, चीजें भूलना, पीरियड्स ज्यादा दिनों तक रहना, गला बैठना और ठंड को सहन न कर पाने जैसे कुछ लक्षण महसूस होते हैं।
थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार - Ayurvedic Treatment Of Thyroid In Hindi
आयुर्वेद के द्वारा थायराइड का इलाज किया जा सकता है। जैसे कि आपको पहले बताया जा चुका है वात, कफ और पित्त दोष के कारण शरीर में थायराइड की समस्या हो सकती है। ऐसे में आयुर्वेद में व्यक्ति के शरीर की प्रकृति के अनुसार त्रिदोषों को कम करने का प्रयास किया जाता है। इसमें पंचकर्म, वमन और अन्य थेरेपी का उपयोग किया जाता है।
वमन
वमन के द्वारा शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर किया जाता है। इससे शरीर का कफ और पित्त नियंत्रित होता है। इसमें एडिमा से राहत मिलती है। इससे मोटापे, एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या में भी आराम मिलता है।
विरेचन
विरेचन में रेचक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे शरीर के पित्त रस, फैट, और कफ को कम किया जा सकता है। इस क्रिया से हाइपोथायराइड की वजह से बढ़े वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इससे रक्त को साफ किया जा सकता है।
थायराइड में इस्तेमाल की जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां
इसमें थायराइड के प्रकार के आधार पर आयुर्वेदाचार्य मरीज को आगे बताई गई औषधियां दे सकते हैं।
- वच - इससे शरीर में होने वाले दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही वात और कफ को नियंत्रित करने और एनर्जी को बढ़ाने में सहायता मिलती है।
- कचनार गुग्गुल - इस औषधि का उपयोग भी थायराइड की सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।
- अश्वगंधा - इसके उपयोग से शरीर व गले में होने वाली सूजन कम होती है। साथ ही यह हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है।
- निर्गुंडी - निर्गुंडी जोड़ों में सूजन को कम करने और थायराइड की वजह से गले में होने वाली सूजन को कम करने में असरदार होती है।
- गोमूत्र और हरीतकी - इससे गले की सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
- दशमूल क्वाथ - वात के कारण हुए शरीर के रोग के इलाज के लिए दशमूल क्वाथ का उपयोग किया जा सकता है।
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थायराइड होने पर आप किसी भी औषधि का इस्तेमाल खुद से न करें। इस समस्या में आप आयुर्वेदाचार्य की सलाह के बाद ही औषधियों का उपयोग करें। अपनी विशेष सीरीज 'आरोग्य विद आयुर्वेद' में हम आपको आगे भी ऐसी उपयोगी जानकारी देते रहेंगे। इस तरह के लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। इन लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि इस सीरीज का फायदा अन्य लोगों को भी मिले।