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बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉयड) का इलाज आयुर्वेद में कैसे किया जाता है? आयुर्वेदाचार्य से जानें

बच्चेदानी में गांठ होने पर महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आगे जानते हैं इसका आयुर्वेदिक इलाज  
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बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉयड) का इलाज आयुर्वेद में कैसे किया जाता है? आयुर्वेदाचार्य से जानें


महिलाओं में प्रजनन से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती है। आज के समय में महिलाओं की जीवनशैली में हुए बदलाव के कारण कई तरह के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इन्हीं समस्याओं में बच्चेदानी (गर्भाशय) में फाइब्रॉएड को भी शामिल किया जा सकता है। दरअसल, बच्चेदानी की दीवार पर छोटे अंगूर के आकार के कुछ ट्यूमर (गांठ) बन जाती है। इन्हें फाइब्रॉएड कहा जाता है। कुछ महिलाओं की बच्चेदानी में फाइब्रॉएड का आकार बड़ा भी हो सकता है। फिलहाल, इसमें कैंसर का जोखिम कम होता है। लेकिन, कुछ मामलों में यह कैंसर का कारण हो सकता है। फाइब्रॉएड में महिलाओं को पेट दर्द और ब्लीडिंग आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस समस्या का इलाज आप आयुर्वेद के माध्यम से भी कर सकते हैं। ओनलीमायहेल्थ के द्वारा लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरुक बनाने के लिए एक विशेष सीरीज ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ को शुरु किया है। इस सीरीज में आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टरों से बात कर संबंधित रोगों के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है। आज की सीरीज में हम महिलाओं के गर्भाशय के फाइब्रॉएड के इलाज को विस्तार से बात करेंगे। बच्चेदानी की गांठ के इलाज के लिए हमने उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पताल में कार्यरत मेडिकल ऑफिसर डॉ. दीपिक सिरोही से बात की। उन्होंने आयुर्वेद में बच्चेदानी का गांठ के इलाज के बारे में बताया। 

बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉएड) क्यों होती हैं? - Causes Of Uterine Fibroid In Hindi  

आयुर्वेद में महिलाओं के शरीर में कफ और त्रिदोष को बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉएड) की वजह बताया जाता है। इस स्थिति में महिलाओं के गर्भाशय में गोलाकार उभार लिए गांठ,  कठोर सूजन, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं जैसे मेनोरेजिया (ज्यादा ब्लीडिंग होना), मेट्रोरेजिया (अनियमित रूप से ब्लीडिंग होना) व बांझपन आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा, गर्भाशय के फाइब्रॉएड को सबसरस फाइब्रॉएड (वातज ग्रंथि), सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (पित्तज ग्रंथि), इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड (कफजा ग्रंथि), और फाइब्रॉएड के परिवर्तन (मेडो ग्रंथि और सिरा ग्रंथि) में विभाजित किया जा सकता है। आयुर्वेद की पारंपरिक चिकित्सीय प्रणाली में बच्चेदानी की गांठ का इलाज शरीर में दोषों और ऊर्जाओं को संतुलित करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने पर केंद्रित होता है। इस स्थिति में पंचकर्म उपचार शरीर के दोषों को संतुलित करने में मदद कर कर सकता है। 

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बच्चेदानी में गांठ (फाइब्रॉएड) के इलाज के लिए पंचकर्म चिकित्सा - Ayurvedic Treatment Of Uterine Fibroids In Hindi 

पंचकर्म के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य महिलाओं के दोषों को शांत करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर करते हैं। इससे हार्मोनल बदलाव की वजह से होने वाले रोग या स्थितियों में आराम आने लगता है। आगे जानते हैं फाइब्रॉएड के दौरान किए जाने वाले पंचकर्म थेरेपी। 

  • विरेचन: विरेचन के माध्यम से शरीर के टॉक्सिन पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
  • बस्ती: इस थेरेपी में मलाशय के माध्यम से औषधीय तेल या काढ़ा आंतों तक पहुंचाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह थेरेपी वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है और फाइब्रॉएड से जुड़े दर्द और परेशानी को कम करने के लिए उपयोगी हो सकती है।
  • नस्य: इस थेरेपी में नाक के माध्यम से औषधीय तेल या हर्बल पाउडर दिया जाता है।
  • शिरोधारा: इस थेरेपी में माथे पर गर्म हर्बल तेल डाला जाता है। इससे तनाव को कम करने में मदद मिलती है। 
  • स्वेदन: इस थेरेपी में पसीना और विषहरण को बढ़ावा देने के लिए हर्बल भाप में व्यक्ति को बैठाया जाता है।

पंचकर्म उपचार केवल योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सकों की देखरेख में किया जाना चाहिए। उपचार हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है, और किसी भी पंचकर्म चिकित्सा को शुरू करने से पहले व्यक्ति को गहन मूल्यांकन से गुजरना पड़ सकता है।

बच्चेदानी में गांठ के लक्षणों को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय - Ayurvedic Remedies For Uterine Fibroid in Hindi  

  • त्रिफला: इसमें आंवला, हरड़ और बहेड़ा को शामिल किया जाता है। इनके चूर्ण को त्रिफला कहा जाता है। गर्भाशय के फाइब्रॉएड को दूर करने के लिए इसका सेवन करना फायदेमंद होता है। त्रिफला शरीर की सूजन को कम करने और शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में मदद करते हैं। 
  • शतावरी: शतावरी महिलाओं की प्रजनन समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होती है। यह शरीर में हार्मोनल स्तर को संतुलित करने में मदद करती है। यह महिलाओं के बच्चेदानी की गांठ (फाइब्रॉएड) के आकार को कम करने में मदद कर सकती है।
  • अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो फाइब्रॉएड से जुड़ी सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही, यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी मदद करता है।
  • अशोक: अशोक एक तरह जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग फाइब्रॉएड सहित मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज के लिए आयुर्वेद में किया जाता है। यह फाइब्रॉएड के आकार को कम करने और मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में मदद करता है।
  • हल्दी: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। बच्चेदानी में गांठ के कारण आने वाली सूजन को कम करने के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है। 

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आज के माहौल में महिलाओं की लाइफस्टाइल में हुए बदलाव की वजह से फाइब्रॉएड होना एक आम समस्या है। इस दौरान महिलाओं को मासिक धर्म के साथ कई अनय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस सीरीज में आपको आयुर्वेद से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारी प्रदान करते रहेंगे। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें। 

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