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आयुर्वेद की स्नेह बस्ती थेरेपी क्या है? आयुर्वेदाचार्य से जानें किन समस्याओं में है ये कारगर

पेट से जुड़ी समस्याओं और शरीर के दोषों को दूर करने के लिए आप स्नेह बस्ती का उपयोग कर सकते हैं। आगे जानते हैं इसके फायदे  
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आयुर्वेद की स्नेह बस्ती थेरेपी क्या है? आयुर्वेदाचार्य से जानें किन समस्याओं में है ये कारगर


आयुर्वेद में मौजूद थेरेपी रोगों को दूर करने में फायदेमंद होती है। आयुर्वेद में शरीर की प्रकृति (वात, कफ और पित्त) को पहचानकर लोगों का इलाज करने पर जोर दिया जाता है। शरीर की प्रकृति में दोष होने पर लोगों को कई तरह के रोग होने लगते हैं। ऐसे में आप पंचकर्म थेरेपी (Panchakarma Therapy) के माध्यम से रोगों को दूर कर सकते हैं। आरोग्य विद आयुर्वेद सीरीज में आज हम आपको पंचकर्म की स्नेह बस्ती के बारे में बताने जा रहें। 

स्नेह बस्ती के पंचकर्म में शामिल एक थेरेपी है। इस थेरेपी के माध्यम से शरीर को डिटॉक्स किया जाता है। साथ ही, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जाता है। इसमें व्यक्ति के शरीर की मालिश भी की जाती है। जिससे वात, कफ और पित्त दोषों को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। इस थेरेपी को जानने के लिए हमने मध्य प्रदेश के सरकारी विभाग में कार्यरत आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर सोनल गर्ग से बात की। उन्होंने स्नेह बस्ती के तरीके और इसके फायदों के बारे में विस्तार से बताया। 

स्नेह बस्ती क्या है? - What is Sneha Basti In Hindi

आयुर्वेदाचार्य के अनुसार स्नेह बस्ती में व्यक्ति के शरीर को डिटॉक्स किया जाता है। जिससे शरीर के विषाक्त पदार्थ दूर होते हैं।आयुर्वेद में बीमारी को दवाइयों के अलावा थेरेपी के माध्यम से भी ठीक करने का प्रयास किया जाता है। "स्नेहा" का अर्थ है तेल, और "बस्ती" का तात्पर्य मलाशय के माध्यम से औषधियो को दी जाने वाली चिकित्सीय पद्धति से है। इस प्राचीन अभ्यास के द्वारा शरीर में दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने का प्रयास किया जाता है। स्नेह बस्ती शरीर को डिटॉक्स करने में फायदेमंद होती है। इसमें व्यक्ति को गुदा मार्ग से कुछ औषधियों को दिया जाता है। इससे निचली आंतों के हिस्से को साफ किया जाता है। यह प्रक्रिया काफी हद तक एनीमा की तरह ही होती है। 

sneha basti therapy in hindi

स्नेह बस्ती के फायदे - Benefits Of Sneha Basti In Hindi 

स्नेह बस्ती डी-टॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया है, जो शरीर के निचले हिस्से में सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती है। यह पीठ के निचले हिस्से के दर्द के साथ गठिया और गठिया के कारण होने वाले दर्द को भी कम करती है। इसमें उपयोग किए जाने वाले औषधीय तेल या एनीमा शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से कब्ज और पेट फूलने जैसी गैस्ट्रिक समस्याओं का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। यह न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे लकवा आदि के इलाज के लिए भी उपयोगी साबित होती है।

विषहरण

स्नेह बस्ती शरीर में सालों से जमा होने वाले विषाक्त पदार्थों को दूर करने में सहायक होते हैं। इस प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले औषधीय तेल आंतों को चिकनाई देने में मदद करते हैं, जिससे अशुद्धियों को खत्म करने में मदद मिलती है।

दोषों को संतुलित करना

आयुर्वेद का मानना है कि दोषों में असंतुलन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का मूल कारण हो सकते हैं। स्नेह बस्ती, वात दोष को दूर करने के साथ चिंता, अनिद्रा और जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी प्रभावी रूप से कार्य करती है।

जोड़ों और मांसपेशियों को करें मजबूत

स्नेह बस्ती से गठिया और मांसपेशियों की ऐंठन जैसी स्थितियों की समस्या को कम किया जा सकता है। साथ ही, यह जोड़ों के लचीलेपन को बढ़ाने में सहायक होती है और कठोरता को कम करती है।

बेहतर पाचन

स्नेह बस्ती पाचक अग्नि (Digestive Fire) को प्रज्वलित करके पाचन में सुधार करने में सहायता करती है। इससे पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद मिलती है और पाचन संबंधी समस्याओं जैसे पेट में दर्द, ऐंठन, गैस, अपच, एसिडिटी और पेट फूलने में आराम मिलता है। 

नर्वस सिस्टम के लिए लाभदायक

स्नेह बस्ती में उपयोग किए जाने वाले चिकित्सीय तेल नर्वस सिस्टम को पोषण प्रदान करता है। इससे संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर होता है। साथ ही, तनाव, थकान और तंत्रिका संबंधी विकारों को कम करने में मदद मिलती है। 

स्नेह बस्ती के लिए आवश्यक सामग्री

  • औषधीय तेल (जड़ी-बूटियों और औषधियों से युक्त तेल)
  • एनीमा किट
  • साफ गर्म पानी
  • तौलिए और चादरें

स्नेह बस्ती कैसे की जाती है- How To Do Sneha Basti In Hindi 

तैयारी

इस प्रक्रिया से पहले मरीज को सुबर पेट साफ करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद आयुर्वेदाचार्य शांत और आरामदायक जगह पर इस क्रिया को संपन्न करता है। 

मूत्राशय को खाली करें

प्रक्रिया शुरू करने से पहले, प्रक्रिया के दौरान अधिकतम आराम सुनिश्चित करने के लिए व्यक्ति को ज्यादा पानी न पीने की सलाह दी जाती है। ताकि क्रिया के दौरान व्यक्ति का मूत्राशय खाली रहें और उनको बार-बार यूरिन पास करने के लिए उठना न पड़े। 

तेल गर्म करें

औषधीय तेल को गुनगुने तापमान में गर्म किया जाता है। तेल की चिकनाई आंतों की चिकनाई को बढ़ाती है। इसके बाद व्यक्ति को करवट लेटकर अपने घुटनों को अपनी छाती की ओर मोड़कर बाईं ओर लेटाया जाता है। यह स्थिति एनीमा किट में डाला जाता है। इसके बाद इसे मालाशय में डाला जाता है। 

कुछ समय के लिए औषधि को अंदर रखा जाता है

तेल को यथासंभव लंबे समय तक अंदर रखा जाता है। आयुर्वेदाचार्य कम से कम 15-20 मिनट व्यक्ति को एक ही पोजीशन में रखते हैं। इस दौरान व्यक्ति को गहरी सांस लेने के लिए कहा जाता है। इसके बाद आंतों को खाली किया जाता है। इस दौरान आंतों में मौजूद विषाक्त पदार्थ औषधिय तेल के साथ बाहर निकल आते हैं। 

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स्नेह बस्ती के द्वारा व्यक्ति के गुदा मार्ग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मदद मिलती हैं। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है। जोड़ों और मांसपेशियां की अकड़न को दूर करने में स्नेह बस्ती फायदेमंंद होती है। पाचन क्रिया की समस्याओं को दूर करने के लिए आप आयुर्वेदिक थेरेपी का इलाज कर सकते हैं। इस सीरीज में आपको आयुर्वेद से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारी प्रदान करते रहेंगे। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें। 

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