महिलाओं में होने वाली पीरियड्स (मासिक चक्र) की समस्या आजकाल लगभग सामान्य सी हो गई है। जब लड़की की उम्र 13 से 14 वर्ष के मध्य होती है तभी से पीरियड्स आना शुरु हो जाते है। पीरियड्स (मासिक धर्म) की सामान्य अवधि अर्थात 21 से 35 दिनों के अंदर ही होती है। यदि पीरियड्स 21 दिनों से पहले या फिर 35 दिनों के बाद आते हैं तो फिर उसे अनियमित माहवारी कहा जाता है। महिलाओं को 1 वर्ष में 11 से लेकर 13 बार पीडियड्स आने चाहिए जो सामान्य प्रक्रिया होती है। यदि किसी महिला को एक वर्ष में 6 से 7 बार ही पीरियड्स आते है तो ऐसी महिलाओं को माहवारी की समस्या होती है। जिन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या होती है वह ओलिगोमेनोरिया जैसी बीमारी से पीड़ित होती है। भारतीय आंकड़ों की बात करें तो महिलाओं में 35 प्रतिशत तक माहवारी की समस्या देखने को मिलती है।
अनियमित मासिक धर्म के कारण
आज के दौर का खानपान एवं लाइफस्टाइल ने हमारे समाज के स्वास्थ्य को बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित किया है। खराब दिनचर्या एवं केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से महिलाओं के मासिक चक्र में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इसी बदलाव को मासिक धर्म में खराबी या फिर पीरियड्स का अनियमित होना कहा गया है।
- आयुर्वेद के अनुसार जिन महिलाओं के शरीर में त्रिदोष अर्थात वात दोष, पित्त दोष और कप दोष की मात्रा अत्यधिक हो जाती है तो उनका मासिक धर्म अनियमित हो जाता है।
- इन तीनों दोषों में से वात दोष सबसे खऱाब दोष माना जाता है। जिसका निवारण करना बहुत ही अवश्यक होता है।
- महिलाओं में अनियमित माहवारी का मुख्य कारण हार्मोन को माना जाता है। जब महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है तो माहवारी जैसी समस्या उत्पन्न होती है।
- यदि महिलाएं किसी लम्बी बीमारी से जैसे कि – लगातार बुखार, टीबी रोग, थायराइट की बीमारी आदि है तो भी मासिक धर्म में अनियमितता हो सकती है।
- यदि महिलाओं की शारीरिक गतिविधि बहुत ही कम या फिर बिल्कुल नही होती है तो ऐसे में भी उनके पीरियड्स अनियमित हो जाते है।
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- यदि महिलाएं ज्यादा मात्रा में गर्भनिरोधक दवाओं एवं गोलियों का सेवन करती है तो उनका मासिक धर्म प्रभावित हो जाता है।
- चिंता को चिता से भी ज्यादा घातक बताया गया है इसलिए जिन महिलाओं के जीवन में तनाव एवं चिंता का सामना करना पड़ता है तो उन्हें भी इस बीमीरी का सामना करना पड़ सकता है।
- आयुर्वेद के अनुसार आहार (खानपान) को हर बीमारी की मुख्य वजह बताई गई है और ऐसे में यदि महिलाओं का भी खानपान संतुलित नही है तो ऐसे में उनके पीरियड्स पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
- मेहनत करना बुरी बात नही यह एक अच्छी बात है परंतु यदि आप अपने शरीर की शाक्ति के अपेक्षा अधिक मेहनत करती है या फिर हैवी जिम करती है। तो ऐसे में आपके शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है। जो आपके पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है।
- धूम्रपान एक बहुत बुरी आदत है और यदि आप भी शराब और सिगरेट का सेवन करती है तो भी आपकी माहवारी पर गलत प्रभाव पड़ेगा।
अनियमित मासिक धर्म के लक्षण
- इसका पहला लक्षण तो यही है कि नियमित रुप से पीरियड्स न आना।
- महिलाओं की बच्चेदानी (यूट्रस) में अत्धिक दर्द होना भी अनियमित मासिक धर्म का एक लक्षण है।
- यदि महिलाओं को कम भूख लगती है तो भी उनमें यह अनियमित मासिक धर्म का लक्षण है।
- महिलाओं के पेट, हाथ तथा पैरों के निचले हिस्से में दर्द होना भी एक इसका लक्षण है ।
- जब महिलाओं को अधिक थकान, कब्ज एवं दस्त जैसी शिकायत होती है तो यह भी इसी का एक लक्षण है।
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अनियमित मासिक धर्म का आयुर्वेदिक उपचार
प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार यदि महिलाएं अपनी जीवन शैली में कुछ बदलाव करके एवं अपने खानपान में थोड़ा सा संयम रखें, तो पीरियड्स की उभरती हुई समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए आयुर्वेद में कुछ उपचार बताए गये है –
- आयुर्वेद कहता है जो महिलाएं ऐसी समस्या से ग्रसित है उन्हें नियमित रुप से प्रतिदिन योग, व्यायाम, प्राणायाम एवं अन्य शारीरिक गतिविधियों को अपनी जीवनशैली में सामिल करना चाहिए। यदि आप चाहें तो कुछ आउटडोर खेलों का भी सहारा ले सकती है। जो कि आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए काफी मददगार हो सकते है।
- यदि आपका मासिक धर्म चल रहा है तो ऐसे में आपको बिल्कुल भी शारीरिक एवं मेहनत के कार्य करने से बचना चाहिए।
- आशा आयुर्वेदा में उपलब्ध पंचकर्म चिकित्सा जैसे से उत्तर बस्ती चिकित्सा भी एक बेहतर विकल्प है जिसका उपचार पूरी तरह से आपकी मासिक धर्म की बीमारी को दूर करता है।
- आयुर्वेद में कुछ ऐसी लाभदायक हर्बल जड़ी बूटियाँ एवं औषधीय तेलों के काढ़े है जिनके सेवन से भी पीरियड्स की समस्या दूर हो जाती है।
- तनाव को मानव जीवन का विकार माना जाता है इसलिए अपने जीवन में तनाव को बिल्कुल भी स्थान न दें और अपना मन सदैव प्रसन्न रखें।
- हर किसी के लिए एक अच्छी डाइट लेना बहुत ही जरुरी होता है ऐसे में आपको भी अपने खानपान में संतुलित एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों को सामिल करें जो की आपके हार्मोन के संतुलन के लिए बहुत ही जरुरी होते है।
इन सभी औषधियों एवं उपायों के अलावा भी कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे एवं उपाय है जिसके द्वारा पीरियड्स की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
- आपकी घर की रसोई में मौजूद दालचीनी पीरियड्स को दूर करने की एक रामबाण औषधी है जिसके नियमानुसार सेवन करने से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।
- अदरक और सोंठ एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है। इस औषधि की तासीर गर्भ प्रकति की होती है जो पीरियड्स के संचार को ठीक करने में सहायक होती है।
- कच्चा पपीता एवं चुकंदर खाने से शरीर में ब्लड सेल्स की मात्रा में वृद्धि होती है। चुकंदर आयरन और फॉलिक एसिड का एक अच्छा स्त्रोत है जो कि मासिक धर्म की समस्या को दूर करने में बहुत मददगार होता है। उसी प्रकार कच्चा पपीता भी टेंशन एवं रजोनिवृत्ति की समस्याओं को दूर करता है। पपीते से सेवन से गर्भाशय की सिकुड़ी हुई मांसपेशियों को ठीक करने में मदद मिलती है।
नोट – ऊपर बतायें गये सभी उपाय एवं उपचार आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से हुई बातचीत के दौरान प्राप्त हुए है।
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