मानसून में माइग्रेन का दर्द दूर करने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय, जल्द मिलेगी राहत

कुछ लोगों को मानसून के दौरान माइग्रेन की समस्या हो सकती है। आगे जानते हैं आयुर्वेद से माइग्रेन को दूर करने के उपाय।  
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मानसून में माइग्रेन का दर्द दूर करने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय, जल्द मिलेगी राहत


सिरदर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या हर उम्र के लोगों को हो सकती है। माइग्रेन में भी आपको तेज सिरदर्द होता है। माइग्रेन होने पर कुछ लोगों को उल्टी की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। आज काम के बोझ और स्ट्रेस के कारण हर दूसरे व्यक्ति को माइग्रेन की समस्या होने लगी है। कुछ लोगों को बारिशों के मौसम में ठंड़े गर्म की वजह से माइग्रेन और बदन दर्द की समस्या हो सकती है। दरअसल, गर्मी के तुरंत बाद मानसून के मौसम में ह्यूमिडिटी  बढ़ जाती है। इस दौरान बैरोमीटर के दबाव में कमी आती है, जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है। आयुर्वेद के माध्यम से माइग्रेन की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। आयुर्वेदाचार्य धीरेंद्र बंसल से जानते हैं मानसून में माइग्रेन की समस्या को कम करने के उपाय। 

मानसून में माइग्रेन का दर्द दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय | Ayurvedic Remedies For Migraine During Monsoon In Hindi

ब्राह्मी का करें उपयोग

ब्राह्मी का उपयोग कर आप माइग्रेन की समस्या को दूर कर सकते हैं। इस जड़ी-बूटी में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो आपको कॉग्नेटिव ब्रेन फंक्शन को इम्प्रूव करते हैं। इसके उपयोग से स्ट्रेस कम होता है और मन शांत होता है। ब्राह्मी ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है। जिससे माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले कारक कम होने लगते हैं। बाजार में ब्राह्मी का तेल और कैप्सूल उपलब्ध है। इस तेल से मालिश कर आप माइग्रेन की समस्या को दूर कर सकते हैं। ब्राह्मी को पानी में उबालकर भी आप पी सकते हैं।

शिरोधारा से माइग्रेन को करें दूर

यह आयुर्वेदिक तकनीक है। इसका उपयोग सदियों से किया जा रहा है। इस तकनीक की मदद से मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस  तकनीक में पानी की एक धारा को माथे पर डाली जाती है। इससे ब्रेन नर्वस सिस्टम में सुधार होता है। इसके नियमित उपयोग से माइग्रेन की समस्या में आराम मिलता है। 

shirodhara for migraine

त्रिफला 

त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा का इस्तेमाल किया जाता है। त्रिफला शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है। इससे व्यक्ति का वात, पित्त और कफ दोष दूर होता है। साथ ही, पाचन क्रिया भी बेहतर होती है। मानसून के दौरान पाचन में गड़बड़ी के कारण माइग्रेन हो सकता है। लेकिन, त्रिफला से आप माइग्रेन की समस्या को कम कर सकते हैं। आप गर्म पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को मिलाएं और सोने से पहले इसका सेवन करें। 

षडबिंदु तेल का उपयोग करें

षड़बिंदु तेल एक आयुर्वेदिक हर्बल तेल है। इसका इस्तेमाल रेस्पिरेटरी फंक्शन को इम्प्रूव करने के लिए किया जाता है। इस तेल को नाक में डाला जाता है। इससे नाक खुलती है और ऑक्सीजन का लेवल सही होता है। इसके नियमित उपयोग से ब्रेन फंक्शन बेहतर होता है और आपको माइग्रेन में आराम मिलता है। यह वात दोष को कम करने में सहायक होता है। इस तेल से आपको अच्छी नींद आती है। 

शिरोलेपा का उपयोग

शिरोलेपा एक तरह की आयुर्वेदिक तकनीक है। माइग्रेन और तनाव को कम करने के लिए आप शिरोलेपा का उपयोग कर सकते हैं। इस तकनीक में कुछ जड़ी  बूटियों को मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया जाता है। इस लेप को सिर और माथे पर रखा जाता है। कुछ घंटों तक इस लेप को सिर पर रखने से व्यक्ति को सिर दर्द और माइग्रेन में आराम मिलता है। 

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मानसून के दौरान होने वाले माइग्रेन को दूर करने के लिए आप अजवाइन, अदरक, अश्वगंधा का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, योग को दिनचर्या में शामिल कर आप मानसिक शांत कर सकते हैं। आयुर्वेदिक उपाय से आप माइग्रेन को दूर कर सकते हैं। 

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