इन 9 बीमारियों में लाभकारी है जल पिप्पली, आयुर्वेदाचार्य से जानें प्रयोग का तरीका

जल पिप्पली एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग शरीर के कई रोगों को नष्ट करने में किया जाता है। इसकी सही मात्रा सही लाभ देती है।
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इन 9 बीमारियों में लाभकारी है जल पिप्पली, आयुर्वेदाचार्य से जानें प्रयोग का तरीका


आयुर्वेद में ऐसी कई वनस्पतियां हैं जो औषधी के रूप में काम आती हैं। इसी तरह जल पिप्पली है। यह जल में उगने वाला एक पौधा है, भारत समेत दुनिया के कई देशों में यह पाया जाता है। हापुड़ के चरक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में शल्य विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. भारत भूषण का कहना है कि जल पिप्पली का प्रयोग आयुर्वेद में सांस संबंधी बीमारियां, पुरुषों से जुड़ी बीमारियां और रक्त संबंधी बीमारियों में किया जाता है। प्रोफेसर भारत भूषण के मुताबिक जल पिप्पली का वानस्पतिक नाम पिप्पिया नोडिफ्लोरा है। इसे फाइला नोडिफ्लोरा, लिप्पिया कैनेसेन्स भी कहा जाता है। यह पौधा Verbenaceae परिवार का है।

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जल पिप्पली की पहचान

जल पिप्पली दिखने में पिप्पली के पौधे के समान होता है। इसलिए इस जल पिप्पली कहा जाता है। इस पौधे में से मछली की गंध आती है, इसलिए इसे मत्स्यगन्धा भी कहा जाता है। बारिश के मौसम में यह पौधा ज्यादा नजर आता है। इसकी ऊंचाई 15-30 सेमी होती है। इसके पौधे छोटे आकार के गुलाबी और बैंगनी रंग के होते हैं। कुछ समय बाद यह फूल फल बन जाते हैं।

जल पिप्पली के औषधीय गुण

  • स्वाद - कटु, कक्षाय
  • विपाक (पचने के बाद स्वाद) - कटु
  • वीर्य (शक्ति) - शीत (ठंडा)

जल पिप्पली के गुण

लघु (पचने में हल्का),  रूखा, तिक्षण- प्रकृति में तेज

जल पिप्पली के विभिन्न नाम

जल पिप्पली को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। प्रोफेसर भारत भूषण के मुताबिक यह असम, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मनिपुर, ओडिशा, राज्स्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में पाया जाता है। विभिन्न भाषाओं में जल पिप्पली के नाम निम्न हैं-

  • हिंदी- जलपीपल, भुईओकरा
  • अंग्रेजी - पर्पल लिप्पिया ( Purple lippia), केप बीड (Cape weed)
  • संस्कृत - मत्स्यगन्धा, जलपिप्पली, मत्स्यादनी

जल पिप्पली के फायदे और प्रयोग

जल पिप्पली एनाल्जेसिक, एंटी-इन्फ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबायल, एंटीपारेटिक, एंटीट्युमर, लिपिड आदि गुण पाए जाते हैं। जल पिप्पली के निम्न फायदे हैं-

1. आंखों को रखे स्वस्थ

जल पिप्पली का उपयोग आंखों की परेशानियों को दूर करने में बहुत लाभकारी है। इसमें आंखों की रोशनी बढ़ाने वाले गुण होते हैं। 

2.  पुरुषों की परेशानियां

पुरुषों में स्पर्म काउंट की परेशानी को करने में जल पिप्पली बहुत लाभकारी है। यह स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों बढ़ाने में मददगार है। इसमें जल पिप्पली का पाउडर और जूस दोनों प्रयोग में लाए जा सकते हैं। 

3.रक्त विकारों में मददगार

रक्त संबधी परेशानियों को दूर करने में जल पिपप्ली लाभकारी है। पुरुषों में हीमोफिलिया की परेशानी ज्यादा होती है। रक्त विकारों हीमोफिलिया के अलावा ब्लड क्लॉट, एनिमिया आदि जैसी परेशानियों में जल पिप्पली लाभ करती है। रक्त विकारों में जल पिप्पली का उपयोग जूस या चूर्ण के रूप में किया जा सकता है। इन परेशानियों में जल पिप्पली के और अच्छे उपयोग के बारे में जानने के लिए आप अपने नजदीकी आयुर्वेदिक से सलाह ले सकते हैं। 

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4. मुंह से जुड़ी परेशानियों में लाभकारी

मुंह में जलन, छाले आदि होने पर जल पिप्पली लाभकारी है। इसके अलावा मुंह से दुर्गंध आने पर भी जल पिप्पली को प्रयोग में लाया जाता है। इन परेशानियों से निपटने जल पिप्पली लाभकारी है। जल पिप्पली का काढ़ा बनाकर मुंह में घुमाने से मुंह से जुड़ी परेशानियों के निदान में मदद मिलती है। पर ध्यान रहे कि काढ़ा बनाने से पहले जल पिप्पली के पत्तों को साफ कर लें फिर पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाएं। जब आपको जरूरत हो तभी काढ़ा बनाएं।

इसके अलावा अगर आपके दांतों में दर्द हो रहा है तो आप जल पिप्पली की पत्तियों को पीसकर दांतों में मलें या काढ़े को कुछ देर में मुंह रखें। इससे दांत दर्द ठीक हो जाएगा। 

 

5. हाथों-पैरों, गले की जलन

हाथों या पैरों में जलन के कई कारण हो सकते हैं। इस बर्निंग सेंसेशन को दूर करने में भी जल पिप्पली लाभकारी है। इसके अलावा अगर आपको पेशाब में जलन होती है तब भी जल पिप्पली लाभकारी है। जोड़ों के दर्द में भी जल पीपल लाभाकरी है। अगर आप इन परेशानियों से जूझ रहे हैं तो जल पिप्पली के पत्तों को पीसकर उसका लेप बनाकर दर्द या जलन वाली जगह पर लगा सकते हैं। आपको परेशानी में लाभ मिलेगा।

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6. घाव भरने में लाभकारी

चोट लगने पर घाव हो जाता है। कई बार दवाएं खाने से भी जल्दी घाव नहीं भरता है। लेकिन आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जिनका उपयोग घाव भरने में किया जाता है। प्रोफेरस भारत भूषण का कहना है कि जल पिप्पली के पत्ते एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इनका लेप बनाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूख जाता है। जल पिप्पली में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिस वजह से यह कई रोगों में लाभकारी है। 

7. सांस संबंधी परेशानियां

सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा आदि सांस संबंधी परेशानियां में जलपीपल लाभकारी है। आजकल के बढ़ते प्रदूषित वातावरण की वजह से सांस संबंधी परेशानियां बढ़ रही हैं। अभी तक यह परेशानियां बुजुर्गों को होती थीं, लेकिन अब छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रही हैं। ऐसी स्थिति में आयुर्वेदिक इलाज लाभकारी है। 

प्रोफेसर भारत भूषण का कहना है कि सांस संबंधी परेशानियां होने पर जल पीपल की पत्तियों का रस निकालकर उसमें काली मिर्च का चुर्ण मिलाएं। इसका सेवन करने से सांस संबंधी परेशानियों में लाभ मिलता है।

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8. मूर्छा या बेहोशी से बाहर निकाले

कई बार व्यक्ति किन्हीं कारणों से बेहोश हो जाता है या मुर्छित हो जाता है। इस अवस्था से बाहर निकालने में भी जल पिप्पली लाभकारी है। जल पिप्पली शरीर  से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालती है। 

9. सिर दर्द में लाभकारी

बढ़ता तनाव, महत्त्वकांक्षा, नींद पूरी न होना आदि कारण हैं जिनकी वजह से मनुष्य की नींद पूरी नहीं होती। नींद पूरी होने पर अनिद्रा की परेशानी होती है और व्यक्ति की प्रोडक्टिविटी कम होती है। ऐसे में वह सिर दर्द की दवाएं खाते हैं, लेकिन वे दवाएं भी कुछ देर लाभ देती हैं, उसके बाद में परेशानी जस की तस बनी रहती है। 

सिर दर्द से निपटने में जल पिप्पली लाभकारी है। इसके लिए आपको जल पिप्पली की पत्तियों का लेप माथे पर लगाना है। इन पत्तियों से आपको राहत मिलेगी और तनाव रहित महसूस करेंगे। 

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जल पिप्पली का इस्तेमाल कैसे करें?

प्रोफेसर भारत भूषण के मुताबिक जल पिप्ली को रस और पाउडर के रूप में प्रयोग मे लाया जाता है। इसकी पत्तियां अधिक लाभकारी होती हैं। इसके जूस और चूर्ण के उपयोग की मात्रा निम्न है-

रस -  5 – 10 ml

चूर्ण – 2 – 3 grams

जल पिप्पली एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग शरीर के कई रोगों को नष्ट करने में किया जाता है। इसकी सही मात्रा सही लाभ देती है।

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