विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Hemophilia Day) हर वर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है। इस मौके पर हीमोफिलिया और अन्य रक्तस्राव विकारों के लिए जागरूकता फैलाया जाता है। हीमोफीलिया एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें रक्त ठीक से नहीं जमता है। यह ज्यादातर पुरुषों को प्रभावित करता है। हालांकि महिलाओं में भी हीमोफीलिया की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों में क्लॉटिंग फैक्टर नामक एक प्रोटीन की कमी होती है, जो प्लेटलेट्स के साथ चोट के स्थान पर रक्तस्राव को रोकने का काम करता है। इसका मतलब है कि चोट लगने के बाद व्यक्ति अधिक समय तक खून बहाता है, और वे आंतरिक रक्तस्राव के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। यह रक्तस्राव तब और घातक हो सकता है जब मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण हिस्से के भीतर होता है।
हीमोफीलिया का कारण
हीमोफीलिया सामान्य रूप से आनुवंशिक विकार है। यह विकार व्यक्ति में जन्म के साथ ही हो सकता है। इसमें रक्त का थक्का नहीं बनता है। हीमोफीलिया आमतौर पर एक्स गुणसूत्र के माध्यम से होता है। महिलाओं में दो एक्स गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुषों में एक्स और वाई गुणसूत्र होते हैं। गुणसूत्र में ही हीमोफीलिया पैदा करने वाले जीन्स होते हैं। महिलाएं इस विकार की वाहक होती हैं। यानी बेटे में एक्स गुणसूत्र मां से मिलता और यदि एक्स गुणसूत्र हीमोफीलिया से ग्रसित हो तो बेटे को हीमोफीलिया हो जाएगा लेकिन बेटी में एक एक्स गुणसूत्र मां से मिलता है और यदि वो हीमोफीलिया से ग्रसित हो लेकिन पिता से आने वाला एक्स गुणसूत्र हीमोफीलिया से ग्रसित नहीं हो तो बेटी में यह बिमारी नहीं होगी। पिता से बच्चों में हीमोफीलिया अधिकतर नहीं होती है।
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हीमोफीलिया के लक्षण
हीमोफीलिया के लक्षणों में अत्यधिक रक्तस्राव और हल्के घाव शामिल हैं। लक्षणों की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि रक्त में थक्के जमने का स्तर कितना कम है।
- कई बार बिना किसी वजह से शरीर में घाव होना
- चोट लगने पर बहुत मात्रा में खून निकलना
- अक्सर नाक से खून निकलने लगना
- पेशाब के साथ खून आना
- गुदा द्वार से खून आना
- छोटी-मोटी चोट लगने पर गहरा घाव होना
- जोड़ों में अकड़ और दर्द
- बच्चों में चिड़्चिड़ापन
- कई बार आंखों से धुंधला दिखने की भी समस्या हो जाती है।
हीमोफीलिया के जोखिम
हीमोफीलिया रोग में शरीर में ऐसे प्रोटीन्स की कमी हो जाती है जो खून को गाढ़ा बनाने में सहायक होते हैं। ऐसे में हीमोफीलिया के रोगी के शरीर पर एक बार चोट लगने या कटने पर उसका खून रुकना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ब्लड को क्लॉट होने में ज्यादा समय लगता है। जरूरी नहीं है कि हीमोफीलिया के रोगी को चोट या कटने से ही खतरा हो।
कई बार हीमोफीलिया के कारण रोगी को आंतरिक स्राव या इंटरनल ब्लीडिंग भी होने लगती है। अंदर जमने वाले रक्त का कई बार पता नहीं चलता है और ये जमकर धीरे-धीरे ट्यूमर बन जाता है।
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