ठंड में आपमें से अधिकतर लोग घास में बैठकर धूप सेकते होंगे। ठंड में ही पिकनिक की प्लानिंग की जाती है जिसमें लोग जंगलों या पार्क में जाकर भोजन करते हैं और खेलते-कूदते हैं।
अगर इस ठंड भी आप यही प्लानिंग कर रहे हैं तो एक बार ये लेख पढ़ लें। क्योंकि हरी-हरी घास लोगों की मौत का कारण बन रही है।
दरअसल घास में एक तरह के पिस्सु मौजूद होते हैं जिसके काटने से इंसान को स्क्रब टाइफस बुखार हो जाता है। यह टाइफस बुखार हिमाचल प्रदेश शुरू हुआ है जो रुकने का नाम नहीं ले रहा। अब तक इस बीमारी से वहां 37 लोगों की जान चली गई है औऱ हजार से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती है।
क्या है स्क्रब टाइफस
- स्क्रब टाइफस एक खतरनाक ज्वर है जो खतरनाक जीवाणु द्वारा फैलता है।
- ये जीवाणु घास में मौजूद रिकेटशिया यानि संक्रमित माइट (पिस्सू ) के काटने से फैलता है।
- ये पिस्सु झाड़ियों, खेतों और पार्कों के घास में मौजूद होते हैं।
- इसके अलावा ये बीमारी कई बार चूहों के काटने से भी फैलती है।
- यह जीवाणु त्वचा के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है। जिसके बाद इंसान को स्क्रब टाइफस बुखार आने लगता है।
इसलिए है खतरनाक
फिलहाल इस बीमारी की गिनती लाइलाज बीमारियों में की जाती है जिसके कारण इसे काफी जानलेवा माना जा रहा है। इस बीमारी को जानलेवा मानने का एक महत्वपूर्ण कारण भी है। क्योंकि इस बीमारी का वायरस दिन पर दिन फैलते जा रहा है लेकिन अब तक इसकी कोई दवा बाजार में उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे में विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस बीमारी के प्रति पूरी जानकारी ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है।
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ऐसे फैलती है ये बीमारी
पिस्सु के लार में एक खरनाक जीवाणु "रिक्टशिया सुसुगामुशी" मौजूद होता है जो पिस्सू के काटते ही उसके लार के द्वारा मनुष्य के खून में फैल जाता है। सुसुगामुशी दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है।
- सुसुगा - मतलब छोटा व खतरनाक।
- मुशी - मतलब माइट।
इस जीवाणु की वजह से लिवर, दिमाग व फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं जो मरीज को मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज में पहुंचा देता है।
इस बीमारी के लक्षण
- पिस्सू के काटने के दो सप्ताह के अंदर ही मरीज को तेज बुखार आ जाता है। ये बुखार 102 से 103 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है।
- बुखार के साथ सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी आ जाती है।
- पिस्सू के काटने वाली जगह पर काले फफोले हो जाते हैं। जो पपड़ी जैसे दिखते हैं।
- समय पर इलाज न होने के कारण ये गंभीर निमोनिया का रूप ले लेता है।
- इस बीमारी में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है जिसके बाद मरीज मौत के दरवाजे तक पहुंच जाता है।
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हो जाएं सतर्क
- पहाड़ी इलाकों की घास में ये पिस्सु अधिक पाए जाते हैं।
- अगर आप घास में बिना कुछ बिछाए बैठते हैं तो ये पिस्सु आपको काट सकता है।
- घास में नंगे पैर ना चलें।
- घास में बच्चों को खेलने भेजने से पहले उनके शरीर को अच्छी तरह से ढक दें।
- घास में बैठकर या खेल के आने के बाद गर्म पानी से नहा लें।
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