निमोनिया की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत में लगभग हर घंटे एक बच्चा इसके चलते मौत का शिकार हो जाता है। इस बीमारी का सही समय पर सही उपचार किया जाना जरूरी है। निमोनिया को मामूली ठंड या बुखार समझ लेना एक भारी गलती हो सकती है। सर्दी, तेज बुखार, कफ, कंपकंपी, शरीर में दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द आदि निमोनिया के लक्षण हैं। छोटे या नवजात बच्चों में कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देता।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर घंटे निमोनिया से 45 बच्चों की मौत होती है। यानी तकरीब हर मिनट हमारे देश में एक बच्चा निमोनिया की भेंट चढ़ जाता है। इसलिए निमोनिया को मामूली बीमारी समझने की भूल न करें। निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है। निमोनिया का इलाज उसके लक्षणों पर निर्भर करता है। सामान्यत: निमोनिया घर पर ही दवा लेने व कुछ खास सावधानी बरतने पर अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन लक्षण गंभीर हों, तो डॉक्टर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह देते हैं। निमोनिया के गंभीर लक्षण होने पर आपका डॉक्टर सीने के एक्स रे के जरिए संक्रमण के ठीक होने के बारे मे पता करता है। जब तक संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तब तक चिकित्सा चलती रहती है।
निमोनिया के कुछ खास तरह की चिकित्सा उसके प्रकार व तीव्रता को ध्यान में रखकर की जाती है। इसके अलावा रोगी की उम्र व स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा जाता है। जानें क्या है निमोनिया के इलाज के विकल्प-
एंटीबायोटिक्स
एंटीबायोटिक्स के जरिये निमोनिया के संक्रमण को रोका जा सकता है। हो सकता है कि निमोनिया के प्रकार को पहचानने और एंटीबायोटिक के चुनाव में समय लगे। आमतौर पर तीन दिनों में निमोनिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं और सही दवा दिए जाने पर इसका फायदा भी होने लगता है। अगर एक दवा से फायदा ना हो रहा हो तो डॉक्टर को अवश्य इस बारे में बताएं।
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एंटीवायरल चिकित्सा
वायरल निमोनिया के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीवायरल चिकित्सा की मदद लेते हैं। इससे सामान्यत: एक से तीन हफ्तों में रोगी को आराम महसूस हो जाता है।
कफ ठीक करने की दवा
कफ के कारण रोगी को सांस लेने में समस्या होती है। इसलिए डॉक्टर कफ करने की दवा देते हैं जिससे रोगी को आराम मिल सके। फेफड़ों में द्रव्य जमा होने से संक्रमण बढ़ता जाता है। इसलिए इसे रोकने के लिए कफ की दवा दी जाती है।
अस्पताल में भर्ती होना
अगर रोगी की स्थिति नियंत्रण के बाहर है और नीचे दिए गए लक्षण दिखाई दे तों रोगी तो तुरंत अस्पताल में भर्ती कराएं-
- अगर रोगी की उम्र 65 साल से अधिक हो।
- मितली व उल्टी की समस्या होने पर।
- रक्तचाप गिरने के कारण।
- सांस की गति बढ़ने पर।
- सांस लेने में समस्या होने पर।
- अगर रोगी का तापमान सामान्य से नीचे हो।
बच्चों में अगर नीचे दिए लक्षण दिखाई दे तों उन्हें भी तुरंत अस्पताल में भर्ती कराएं-
- अगर बच्चा तीन महीने से छोटा है।
- अगर बच्चा बहुत ज्यादा सो रहा है।
- बच्चे को सांस लेने में समस्या होने पर।
- बच्चे में ब्लड ऑक्सीजन लो होने पर
- दस्त व उल्टी होने पर
- सामान्य से कम तापमान होने पर
निमोनिया का सही समय पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है। अगर निमोनिया बिगड़ जाए तो यह काफी खतरनाक हो सकता है। यहां तक कि यह जानलेवा भी हो सकता है। लेकिन, सही समय पर इलाज करवाने से इस बीमारी को आसानी से ठीक किया जा सकता है।
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