पोलियो से बचने के लिए ड्रॉप बेहतर है या वैक्सीन, जानिए

पोलियो मेक्त अभियान में भारत की सफलता को लगातार बरकरार रखने के लिए जरूरी है कि देश के हर बच्चे को नियमित समय पर पोलियो वैक्सीन मिलती रहे। पोलियो ड्रॉप या टीका दोनों में से कई भी आप उपयोग कर सकते हैं।
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पोलियो से बचने के लिए ड्रॉप बेहतर है या वैक्सीन, जानिए


हर साल की 24 अक्टूबर की तारीख को वर्ल्ड पोलियो डे मनाया जाता है। अक्टूबर के महीने में पोलियो वैक्सीन के जनक डॉ जोनॉस सॉल्क का जन्म हुआ था, जिनको श्रद्धांजली देने के लिए इस दिन वर्ल्ड पोलियो डे के तौर पर चुना गया। उनके इस वैक्सीन के कारण आज पोलियो का इलाज संभव है। पोलियो एक तरह की संक्रामक बीमारी है जिसका पोलियो विषाणु बच्चों पर हमला करके उन्हें जीवनभर के लिए कमजोर कर देता है।

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polio drop

 

पोलियो से बचाव

पोलियो विषाणु से बचाव के दो ही तरीके हैं। पहला तरीका की बच्चे के पैदा होते ही उसे 'नियमित टीकाकरण कार्यक्रम' के तहत पोलियो का टीका लगाया जाए। दूसरे तरीके में बच्चों को 'पल्‍स पोलियो अभियान' के तहत हमेशा पोलियों वैक्‍सीन की खुराकें दी जाएं जिससे उनका शरीर हमेशा पोलियो के विषाणु से लड़ सके। पोलियो की ये दवाएं 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्‍चों को नियमित तौर पर देनी जरूरी है। पोलियो वैक्‍सीन में विशेष प्रकिया द्वारा निष्क्रिय किये गये पोलियो के जीवित विषाणु होते हैं जिनकी इस विशेष प्रकिया में बीमारी पैदा करने की क्षमता को समाप्‍त कर दिया जाता है।

पोलियो की दवाई नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत हर बच्चे को उसके जन्म पर, छठे, दसवें, व चौदहवें सप्‍ताह में और फिर 16 से 24 माह की आयु के मध्‍य बूस्‍टर खुराक के तौर पर लगातार दी जानी चाहिए। पोलियो की खुराक बार-बार पिलाने से पूरे क्षेत्र के 5 वर्ष तक की आयु के सभी बच्‍चों में इस बीमारी से लड़ने की एक साथ क्षमता बढ़ती है। इससे पोलियो विषाणु को पनपने के लिए किसी भी बच्‍चे के शरीर में जगह नहीं मिलती और पोलियो का खात्मा करने में मदद मिलती है।

 

पोलियो ड्रॉप है बेहतर

पोलियो के विषाणु के खतरे को हमेशा के लिए टालने के लिए यह दवा पिलानी जरूरी है। यह पोलियो की दवा बच्चे को पोलियो ड्रॉप और टीका दोनों के जरिये दी जाती है। लेकिन पोलियो ड्रॉप को पोलियो टीके से बेहतर मानी जाती है। क्योंकि पोलियो के टीके लगवाने के बाद कई बच्चों को टीके स्थान पर दर्द और मवाद की शिकायत होती है। ये टीके के दुष्प्रभाव से नहीं बल्कि टीके के दूषित होने के कारणों से होता है। साथ ही पोलियो के टीके के साथ एक समस्या भी है कि इसे हमेशा दो से आठ डिग्री. से0 की बीच तापक्रम में रखना चाहिए। नहीं तो इसकी  क्षमता नष्ट हो जाती है। वहीं सामान्य छोटी शीशी में पोलियो की दस खुराकें होती हैं। शीशी को एक बार खोलने के बाद बिना ताप बदले 10 खुराकें बच्चों को दे देनी चाहिए। ऐसे में पोलियो मुक्त अभियान के दौरान बच्चों को टीके की तुलना में ड्रॉप देना बेहतर होता है।

Image source @ Getty
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