आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोग कुर्सी या सोफे पर बैठकर अकारण ही अपनी टांगें हिलाते रहते हैं। यूं तो टांगों को लगातार हिलाना कई लोगों में महज आदत ही होती है, लेकिन ऐसा सभी के साथ नही है, कुछ लोगों में यह तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। क्योंकि यह सिलसिला सिर्फ कुर्सी से उठने के बाद थमता नहीं है बल्कि स्थिति और बदतर हो जाती है। कहीं बैठने या फिर लेटने पर इन्हें ऐसा महसूस होने लगता है मानो उनकी टांगों पर कुछ रेंग रहा हो, कभी कोई झनझनाहट हो रही है या फिर खुजली-सी हो रही है। इस लेख में इसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
क्या है रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
कुछ लोगों को पैरों में असहज अनुभव होता है, इससे राहत पाने के लिए वे पैरों को हिलाते रहते हैं। इस बीमारी को 'रेस्टलेस लेग सिंड्रोम' कहते हैं। अब तक इस बीमारी के कारणों का पता नहीं चला है। परन्तु यह पाया गया है कि यह बीमारी 70 प्रतिशत से ज्यादा उन लोगों को होती है जिनके परिवार में यह पहले भी किसी को थी। उम्रदराज लोगों में यह समस्या अधिक होती है। गर्भावस्था के साथ रूमेटाइड अर्थराइटिस या फिर एनीमिया के कारण यह समस्या भी हो सकती है।
क्या हैं इसके लक्षण
- पैरों को हिलाने की प्रबल इच्छा ही इसका प्रमुख लक्षण है
- दिन में अत्यधिक उनींदापन या नींद का अभाव या अनिद्रा
- थकान या बेचैनी
- पैरों में असहज झुनझुनी और जलन
- सिर में दर्द होना
- चिड़चिड़ापन की समस्या
- ध्यान की कमी होना
बचाव के तरीके
शुरुआती चरण में यह बीमारी आपको भले ही परेशान न करे लेकिन समस्या बढ़ने के साथ ही स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बीमारी से बचने के लिए लंबे समय तक बैठने से बचना चाहिए और विटामिन बी, दूध और आयरन से भरपूर आहारों का सेवन करना चाहिए। अच्छी नींद लेने या नियमित व्यायाम करने से इस समस्या से राहत मिलती है। अगर मरीज धूम्रपान कर रहा है तो इसे तुरंत छोड़ दे, इससे जल्द आराम मिलता है।
ये भी करें
- रेस्टलेस लेग सिंड्रोम की समस्या होने पर अपनी जीवनशैली में बदलाव करें। गरम पानी से नहायें, पैरों की मसाज करें, गरम व ठंडी सिंकाई करें, इससे चलने-फिरने में आराम मिलता है। टहलने के अलावा व्यायाम, साइकिल चलाना और अन्य शारीरिक क्रियाओं से भी लाभ मिलता है।
- भारत में हर वर्ष रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के कई लाख मामले सामने आते हैं। कुछ मरीजों में यह जीवन पर्यंत रह सकता है। इसके निदान के बाद नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें।
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