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बढ़ते प्रदूषण में बढ़ जाते हैं अस्थमा के मरीज, जानें खराब हवा फेफड़ों को कैसे करती है प्रभावित?

इस दौरान अस्थमा अटैक का जोखिम भी बढ़ रहा है। इसलिए इस दौरान अस्थमा रोगियों को ज्यादा सावधानी बरतनी की जरूरत है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर अस्थमा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
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बढ़ते प्रदूषण में बढ़ जाते हैं अस्थमा के मरीज, जानें खराब हवा फेफड़ों को कैसे करती है प्रभावित?


Air Pollution and Asthma Patients: वैसे तो दशहरे के बाद से ही प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो गया था। लेकिन, दिवाली के बाद प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ गया है। दिल्ली और एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 600 पार पहुंच गया है। अस्थमा और सांस से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए यह समय बेहद चुनौती भरा है। बढ़े हुए प्रदूषण के स्तर की वजह से अस्थमा के नए मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। साथ ही, जिन लोगों को पहले से अस्थमा है, उनमें दिक्कतें बढ़ रही हैं। इस दौरान अस्थमा अटैक का जोखिम भी बढ़ रहा है। इसलिए इस दौरान अस्थमा रोगियों को ज्यादा सावधानी बरतनी की जरूरत है। बढ़े हुए प्रदूषण के स्तर में अस्थमा रोगी अपना ध्यान कैसे रखें? इस दौरान उन्हें कौन-सी सावधानी अपनानी चाहिए? खराब हवा या वायु प्रदूषण फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है? इनके बारे में फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के जनरल फिजिशियन डॉ. रमन कुमार से जानते हैं-

खराब हवा या वायु प्रदूषण फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है?- How Does Air Pollution Affect Lung Health in Hindi

आजकल वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गया है। खासकर, इन दिनों में यानी दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण की वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। प्रदूषण या खराब हवा फेफड़ों को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है।
फेफड़े हमारे शरीर का अहम अंग होते हैं। ये ऑक्सीजन को रक्त में पहुंचाने का काम करते हैं। साथ ही, कॉर्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में मदद करते हैं। आपको बता दें कि फेफड़ों की संरचना बेहद संवेदनशील होती है। ये बाहरी कण, धूल-मिट्टी और प्रदूषण के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में जब फेफड़े प्रदूषण के संपर्क में आते हैं तो इनकी सेहत प्रभावित होने लगती है। बढ़ा हुआ प्रदूषण का स्तर फेफड़ों को बुरी तरह से खराब कर देता है। इसकी वजह से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। इससे अस्थमा रोगियों की दिक्कत बढ़ जाती है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर अस्थमा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। वायुमार्ग में सूजन पैदा हो जाती है और फेफड़ों में बलगम जमा हो जाता है।

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बढ़े हुए प्रदूषण स्तर में अस्थमा रोगियों को होने वाली परेशानियां

  • बढ़े हुए प्रदूषण स्तर की वजह से अस्थमा रोगियों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। इसकी वजह से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
  • खराब हवा या प्रदूषण की वजह से अस्थमा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
  • इसकी वजह से उन्हे फेफड़ों से जुड़ी कई अन्य समस्याएं भी परेशान करने लगती हैं।
  • अगर अस्थमा रोगी लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं, तो इससे उनमें हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • प्रदूषण में ज्यादा रहने की वजह से फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। कुछ लोगों के फेफड़े भी खराब हो जाते हैं।
  • अस्थमा रोगियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ऐसे में प्रदूषण की वजह से उनमें इंफेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है।
  • प्रदूषण की वजह से अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं। अस्थमा ट्रिगर हो सकता है।

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Asthma-air-pollution-inside

बढ़े हुए प्रदूषण स्तर में अस्थमा के मरीज कैसे रखें अपना ध्यान

  • अगर आप अस्थमा रोगी हैं तो आपको बढ़े हुए प्रदूषण स्तर में अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।
  • इस दौरान आपको घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।
  • अगर किसी कारणवश आपको बाहर निकलना पड़ रहा है तो मास्क जरूर पहनें। बिना मास्क के घर से बाहर बिलकुल न निकलें।
  • इस दौरान आपको सुबह के समय पार्क में वॉक या एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए। आप घर पर ही हल्के व्यायाम कर सकते हैं।
  • प्रदूषण से फेफड़ों को बचाने के लिए प्राणायाम जरूर करें।
  • अस्थमा के रोगियों को धूम्रपान बिलकुल नहीं करना चाहिए।
  • आप घर के अंदर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपके घर की हवा साफ रहेगी।

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