Are There Any Long Term Side Effects Of IVF In Hindi: आईवीएफ यानी इनविट्रो फर्टिलाइजेशन। पहला आईवीएफ बेबी 1978 में पैदा हुआ था। उसका नाम है लुइस ब्राउन। आज इस घटना को 40 साल से अधिक समय हो गया है। तब से लेकर आज तक आईवीएफ ट्रीटमेंट की मदद से लाखों की संख्या में बच्चे पैदा हो चुके हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं, जिस वजह से आईवीएफ ट्रीटमेंट की जरूरत भी बढ़ी है। बहरहाल, आईवीएफ ट्रीटमेंट बहुत कॉमन होने के बावजूद अब भी लोगों के मन में इससे संबंधित कई तरह के भ्रम मौजूद हैं। जैसे आईवीएफ ट्रीटमेंट की वजह से महिला को कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट के कोई गंभीर समस्या हो सकत है? आइए, समझते हैं डॉक्टर से।
ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है, जिसमें आपको आईवीएफ से जुड़े तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे। इस सीरीज में कुछ लोगों की रियल जर्नी के बारे में भी हम आपको बताएंगे। आज इस सीरीज में हम आपको बता रहे हैं कि क्या IVF का कोई Long Term नुकसान होता है? यानी क्या इसकी वजह से महिला के स्वास्थ्य को कोई नुकसान तो नहीं होता है। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से। अगर आप भी IVF के जरिये प्रेग्नेंसी प्लान करने की सोच रहे हैं, तो इस स्टोरी से आपको मदद मिल सकती है।
क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने के गंभीर नुकसान होते हैं?- Are There Any Long Term Side Effects Of IVF In Hindi
यह सच है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट की मदद से कई अब तक लाखों लोगों के घर में बच्चों की किलकारियां गूंज चुकी हैं। लेकिन, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट की वजह से महिला को स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं। आमतौर आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिला को शॉर्ट टर्म के लिए स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी झेलनी पड़ती है, जैसे कमर में दर्द, हेयर फॉल, मूड स्विंग आदि। इस तरह की सभी परेशानियां इस बात की ओर इशारा करती हैं कि ट्रीटमेंट के प्रति महिला की बॉडी सही तरह से रेस्पॉन्स कर रही है। जहां तक सवाल इस बात का है कि क्या वाकई आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने से महिला को किसी तरह की गंभीर नुकसान हो सकता है? इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है, "आईवीएफ ट्रीटमेंट की वजह से महिला कोई विशेष गंभीर नुकसान नहीं होते हैं। इसके बावजूद महिला को चाहिए कि वे अपनी सेहत का ध्यान रखे। खासकर, डिलीवरी के बाद थोड़ा कॉन्शस रहें और पूरी तरह स्वस्थ होने तक सही सावधानियां बरतें। आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए जन्मे बच्चे में कुछ परेशानियां देखने को मिल सकती हैं।"
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आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद किस तरह के गंभीर नुकसान होते हैं?
आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद महिला की तुलना में बच्चे को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां होने का जोखिम होता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आईवीएफ ट्रीटमेंट की वजह से महिला और बच्चे को किस तरह के स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं-
महिला के लिए
आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं को एंग्जाइटी या डिप्रेशन हो सकता है। इसी तरह, आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद यानी डिलीवरी के बाद कुछ समय तक महिला को एंग्जाइटी या डिप्रेशन हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानन है कि यह बिल्कुल सामान्य है। जिस तरह प्राकृतिक रूप से कंसीव करने के बाद महिला को पोस्पार्टम डिप्रेशन होता है, वैसे ही आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद डिलीवरी की वजह से महिला को ऐसी समस्या हो सकती है। लेकिन, जैसे-जैसे रिकवरी होती है जाती है महिला का स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है। उसकी मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार हाने लगता है।
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बच्चे के लिए
विशेषज्ञों की मानें, तो आईवीएफ ट्रीटमेंट की मदद से जो बच्चे पैदा हुए हैं, उनकी बॉडी में अधिक फैट होता है, ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है, हायर फास्टिंग ग्लूकोज जैसी कुछ समस्याएं हो सकती हैं। ये कुछ शारीरिक समस्याएं हैं, जो बच्चों को ताउम्र के लिए हो सकती है। इससे उनके भविष्य में गंभीर रोग होने का जोखिम भी बना रहता है। यहां तक कि आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए जन्मे बच्चों में एडीएचडी और क्लिनिकल डिप्रेशन का जोखिम भी रहता है।
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आईवीएफ ट्रीटमेंट में किस तरह के जोखिम होते हैं
- आईवीएफ ट्रीटमेंट की वजह से महिला को मल्टीपल प्रेग्नेंसी का रिस्क रहता है। असल में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डॉक्टर महिला में एक समय में एक से अधिक एंब्रियो ट्रांसफर करते हैं। इससे कंसीव करने की संभावना दर बढ़ती है। इसी वजह से मल्टीपल प्रेग्नेंसी का जोखिम भी बढ़ता है।
- आईवीएफ ट्रीटमेंट में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का रिस्क भी रहता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी वह प्रेग्नेंसी होती है, जिसमें एंब्रियो गर्भशय के बजाय किसी अन्य हिस्से में इंप्लांट हो जाता है। यह स्थिति मां और भ्रूण दोनों के लिए जानलेवा है।
- आईवीएफ ट्रीटमेंट का महिला की मेंटल हेल्थ पर निगेटिव असर पड़ता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिला को कई सारे इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जो असहजता पैदा करते हैं। इसके अलावा, हार्मोनल बदलाव भी काफी ज्यादा देखने को मिलते हैं, जिससे महिला को बार-बार मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है।