World No Tobacco Day: तम्‍बाकू से 4 गुना तक बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, जानिए क्‍यों है ये जानलेवा

विश्‍व तम्‍बाकू निषेध दिवस के मौके पर सीनियर कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर संतोष कुमार डोरा से जानिए तम्‍बाकू से हृदय को होने वाले नुकसान के बारे में... 

31 मई को हर साल विश्‍व तम्‍बाकू निषेध दिवस (No Tobacco Day 31 May 2020) के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य लोगों को तम्‍बाकू सेवन के प्रति जागरूक करना है, ताकि तम्‍बाकू से होने वाली जानलेवा बीमारियों से पूरे विश्‍व में मृत्‍युदर को कम किया जा सके। तम्‍बाकू से बने उत्‍पादों का सेवन न सिर्फ वयस्‍कों में देखा जाता है बल्कि युवा पीढ़ी भी अब तेजी से इसकी चपेट में आ रही है। सिगरेट और फ्लेवर्ड हुक्‍का पीने का चलन शहरों में तेजी से बढ़ रहा है। तम्‍बाकू से बने ये सभी उत्‍पाद फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर और अन्‍य कई जानलेवा बीमारी का कारण बनते हैं।

इस खास मौके पर OnlyMyHealth ने मुंबई के एशियन हार्ट इंस्‍टीट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर संतोष कुमार डोरा से खास बातचीत की जिसमें उन्‍होंने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में तम्‍बाकू के सेवन से न सिर्फ कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं बल्कि लोगों में हृदय रोगों (हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्‍ट, उच्‍च रक्‍तचाप आदि) खतरा तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्‍टर डोरा मानते हैं कि तम्‍बाकू का सेवन हृदय रोगों का एक मात्र कारण नहीं है, मगर इसकी एक प्रमुख वजह जरूर है। उन्‍होंने कहा कि, आजकल अस्‍पतालों में हार्ट के तमाम ऐसे पेशेंट आते हैं, जिनमें तम्‍बाकू की लत होती है, जो उनमें हृदय रोग का कारण बनता है।"

तम्‍बाकू का सेवन और हृदय रोग में क्‍या संबंध है, यह किस प्रकार से हृदय को नुकसान पहुंचाता है?

सीनियर कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर संतोष कुमार डोरा के अनुसार, आमतौर तम्‍बाकू का सेवन लोग दो तरह से करते हैं स्‍मोकिंग और नॉन-स्‍मोकिंग। स्‍मोकिंग के अंतर्गत सिगरेट, बीड़ी, सिगार और हुक्‍का आते हैं जबकि गुटखा, खैनी आदि ये सभी नॉन-स्‍मोकिंग तम्‍बाकू है। कई क्लिीनिकल रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि तम्‍बाकू न सिर्फ फेफड़ों को बल्कि हृदय को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

डॉक्‍टर डोरा का कहना है कि जो लोग तम्‍बाकू का सेवन करते हैं उनमें तम्‍बाकू न लेने वालो की अपेक्षा हृदय रोगों का खतरा 2 से 4 गुना अधिक होता है। तम्‍बाकू में ऐसे बहुत सारे हानिकारक केमिकल्‍स (रसायन) हैं जैसे- पार्टिकुलर मैटेरियल (यह सीधे फेफड़ों में जाता है), निकोटीन, नाइट्रोसायमिन, कार्बनमोनोऑक्‍साइड होता है। इसमें निकोटिन एडिक्‍सन यानी लत का कारण बनता है यही वो तत्‍व है जो आपको अति आत्‍मविश्‍वास और अच्‍छा दिखने का अनुभव कराता है। निकोटीन बाकी दूसरे केमिकल की अपेक्षा कम हानिकारक होते हैं। इसके अलावा नाइट्रोसायमिन है जो सबसे हानिकारक होता है और यह कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) और फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है। 

नाइट्रोसायमिन हृदय की रक्‍त वाहिकाओं (Blood Vessels Of Heart) को ब्‍लॉक करता है, यानी प्‍लाक जमा करने में मदद करता है। जब रक्‍त वाहिकाओं में 70 प्रतिशत तक प्‍लाक जमा हो जाता है तब परेशानियां दिखने लगती हैं, जैसे- छाती में दर्द, चलने में परेशानी, घबराहट आदि। जब प्‍लाक 100 प्रतिशत तक जमा हो जाता है तभी हार्ट अटैक आता है। डॉक्‍टर डोरा कहते हैं कि प्‍लाक हृदय की धमनियों के अलावा ब्रेन की ध‍मनियों में भी जमा होता है। हालांकि, ये धमनियां बड़ी होती हैं इसलिए नुकसान देर से होता है। मगर नुकसान होता जरूर है।

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क्‍या स्‍मोक न करने वालों को भी आ सकता है हार्ट अटैक?

डॉक्‍टर डोरा कहते हैं कि स्‍मोक करने वालों में हार्ट अटैक आने का खतरा चार गुना तक होता है जबकि स्‍मोकर्स के बीच रहने वालों में 2 गुना तक हार्ट अटैक का खतरा होता है। सिगरेट का धुआं सिगरेट पीने वाले के साथ उसके परिजनों को भी नुकसान पहुंचाता है। धुएं में मौजूद हानिकारक केमिकल दोनों स्थिति में हानिकारक होते हैं। हालांकि, तम्‍बाकू की लत को छोड़कर इसकी संभावनाओं को कम किया जा सकता है।

डॉक्‍टर डोरा के मुताबिक, तम्‍बाकू या स्‍मोकिंग के सबसे ज्‍यादा दुष्‍प्रभाव पुरुषों में देखने को मिलते हैं। महिलाओं को उनके हॉर्मोंस का एडवांटेज मिल जाता है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्‍कुल नहीं है कि यह महिलाओं को नुकसान नहीं पहुंचाता है। महिलाओं में मेनॉपोज के बाद हार्ट प्रॉब्‍लम का खतरा बढ़ जाता है।

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बचाव और उपचार

आमतौर पर हृदय रोगों के कई कारण हो सकते हैं जैसे- डायबिटीज, हाई ब्‍लड प्रेशर आदि, जिसे कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल होता है। मगर स्‍मोकिंग रिलेटेड हार्ट डिजीज से बचाव किया जा सकता है। इसके अलावा स्‍कूल, कॉलेजों बच्‍चों को तम्‍बाकू के नुकसान के बारे में बताना चाहिए। सरकार की पॉलिसी और स्‍ट्रांग होनी चाहिए, लोगों को सजा मिलनी चाहिए। डॉक्‍टर की भी जिम्‍मेदारी बनती है कि वह अपने पेशेंट की आदतों में बदलाव लाएं।

डॉक्‍टर डोरा कहते हैं कि निकोटिन पैच के माध्‍यम से तम्‍बाकू की लत को छुड़ाया जा सकता है। क्‍योंकि निकोटिन उतना हार्मफुल नहीं होता है जितना कि नाइट्रोसायमिन और कार्बनमोनोऑक्‍साइड है। निकोटिन की मदद से हानिकारक केमिकल से पेशेंट को दूर रखा जा सकता है और धीरे-धीरे निकोटिन के पैच को कम किया जा सकता है।

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