एक्सपर्ट : युवाओं में बढ़ रहे हैं कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मामले, जानें बचाव के तरीके

कोरोनरी धमनी रोग या कोरोनरी हृदय रोग दिल से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस रोग के होने पर हृदय को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक बन जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि धमनियों में रुकावट के मामले आजकल तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मामले सिर्फ उम्रदराज लोगों में देखे जाते थे, लेकिन आजकल युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऋषिकेश स्थित एम्स के कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट एवं इंटरवेशनल कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉक्टर इंद्रनिल बासू रे का कहना है कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज के बढ़ते मामलों में लिए युवाओं का बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।
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एक्सपर्ट : युवाओं में बढ़ रहे हैं कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मामले, जानें बचाव के तरीके


कोरोनरी धमनी रोग या कोरोनरी हृदय रोग दिल से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस रोग के होने पर हृदय को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक बन जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि धमनियों में रुकावट के मामले आजकल तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मामले सिर्फ उम्रदराज लोगों में देखे जाते थे, लेकिन आजकल युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऋषिकेश स्थित एम्स के कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट एवं इंटरवेशनल कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉक्टर इंद्रनिल बासू रे का कहना है कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज के बढ़ते मामलों में लिए युवाओं का बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। आज हम डॉक्टर इंद्रनिल बासू रे से बातचीत के आधार पर आपको बता रहे हैं कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज से कैसे बचा जा सकता है।

एक्सपर्ट : कोरोनरी आर्टरी डिजीज से कैसे बचें

डॉक्टर का कहना है कि इस बात में कोई दोराय नहीं है कि आजकल लोगों का लाइफस्टाइल बहुत खराब और अनियमित हो गया है। यदि हम सिर्फ पिछले 20 सालों से भी आज के लाइफस्टाइल की तुलना करें तो हम पाते हैं कि अब लोग अपनी सेहत को लेकर उतने गंभीर नहीं है जितने पहले रहते थे। आजकल लोग हर चीज के लिए मशीन और रेडीमेड पर निर्भर है, जो दिल के रोगों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। डॉक्टर इंद्रनिल बासू रे का कहना है कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज से बचने के लिए नियमित योगा, संतुलित डाइट व लाइफस्टाइल और मेडिटेशन बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। अगर सीएडी जैसी गंभीर दिल की बीमारियों से बचना है तो पूरी तरह से इंडियन डाइट को फॉलो करें। अपनी डाइट से फास्ट फूड, चिकने पदार्थ और मीट-चिकन आदि नॉनवेज फूड को जितना कम हो उतना कम करें।

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कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण

  • एन्जाइना (छाती में दर्द)
  • छोटी सांसे आना या सांसों का फूलना
  • गर्दन, जबड़े, कंधे और पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द
  • छाती या पेट के ऊपरी हिस्से में जलन
  • छोटी सांसें आना या अनियमित दिल की धड़कन
  • असामान्य और बिना कारण थकान, आदि।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण

  • धूम्रपान करने से कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा अधिक हो जाता है। जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं उन्हें धूम्रपान न करने वालों की तुलना में हृदय रोग होने का खतरा ज़्यादा होता है। नियमित व्यायाम, मजबूत इच्छाशक्ति से धूम्रपान करने वाले लोग इस आदत को कम या रोक सकते हैं या आप धूम्रपान की लत से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टरी सलाह व मदद भी ले सकते हैं। धूम्रपान छोडने मात्र से ही हृदय सम्बन्धित रोगों की सम्भावना काफी हद तक कम हो जाती है।
  • उच्च रक्तचाप भी कोरोनरी हृदय रोग की संभावनाओं को बढ़ा देता है। नियमित व्‍यायाम से रक्‍तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं। किसी काम या मेहनत वाली गतिविधि के दौरान हृदय की मांसपेशियां शरीर की ऑक्सीजन की मांग के अनुसार तेजी से धड़कने लगती हैं। रक्त वाहिकाओं, जो दिल को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करती हैं, भी लचीली हो जाती हैं और बेहतर तरीके से फैलने में सक्षम होती हैं, जिससे रक्त वाहिका अच्छे से कार्य करती है और उच्च रक्तचाप की संभावना कम हो जाती है। यदि नियमित रूप से व्यायाम किया जाए तो कम तथा अधिक रक्तचाप वाले लोगों के सिस्टोलिकऔर डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर सामान्य हो सकता है। 

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  • अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने का सीएचडी के सभी अन्य जोखिम वाले कारकों के साथ सीधा संबंध है। जिन लोगों के पेट पर चर्बी अधिक होती है, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है। व्यायाम अतिरिक्त कैलोरी को कम करने में मदद करता है। नियमित व्यायाम से पूरे शरीर की वसा कम होती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। पेट पर कम वसा सीएचडी सहित डायस्लिपिडेमिया, टाईप 2 डीएम और उच्च रक्तचाप के जोखिम कारकों को कम करने में मदद करता है। पौष्टिक आहार और नीयमित व्यायाम दोनों साथ कर आप शरीर की अतिरिक्त वसा कम करने और एक स्वस्थ वजन बनाए रखने में सफल होंगे।
  • यदि आपके फास्टिंग रक्त ग्लूकोज 100 mg/dl से अधिक या बराबर है, तो आपको सीएडी का खतरा हो सकता है। व्यायाम का इंसुलिन के जैसा प्रभाव है, जो पर्याप्त इंसुलिन की अनुपस्थिति में भी ग्लूकोज की उपयोगिता को बढ़ा देता है। शारीरिक गतिविधि मधुमेह से ग्रस्त लोगों में इंसुलिन आवश्यकता को घटा देती है। इस प्रकार यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाता है और टाईप 1 डीएम से ग्रस्त  लोगों के शरीर में ग्लूकोज का उपयोग को सुधारता है। व्यायाम टाईप 2 डीएम से ग्रस्त लोगों में फालतू  वसा को कम करता है और आपके वजन पर नियंत्रण रखता है। स्वस्थ वजन वाले लोगों में मधुमेह विकसित  होने की संभावना कम होती है।

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