पिछले दिनों टीवी अभिनेता और बिग बॉस 13 के विनर सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla Heart Attack Death) का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इस खबर ने सभी को चौंकाया था क्योंकि सिद्धार्थ पूरी तरह स्वस्थ थे और एक्टिव थे। उनकी बॉडी और सेहत को देखकर किसी के लिए सहज से अंदाजा लगा पाना मुश्किल था कि 40 की उम्र में वो हार्ट अटैक से मृत्यु को प्राप्त हुए। लेकिन जानने की बात ये है कि कई बार हार्ट अटैक के लक्षण इतने सामान्य होते हैं, कि आसपास के लोग और रोगी स्वयं ये नहीं समझ पाता है कि उसे कोई गंभीर समस्या है। इसके अलावा दूसरी जरूरी बात ये है कि हार्ट अटैक आ जाने पर आसपास मौजूद लोगों का सही रवैया भी कई बार रोगी की जान बचा सकता है। ऐसे मामलों में ये जरूरू है कि हार्ट अटैक के मरीज को तत्काल प्राथमिक उपचार और सहायता दी जाए, ताकि उसकी जिंदगी बचाई जा सके। आइए, तो सबसे पहले जानते हैं क्यों आता है हार्ट अटैक और फिर फोर्टिस हॉस्पिटल के इन्टरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर निशीथ चंद्रा से जानेंगे हार्ट अटैक आने पर किस तरह मरीज को दें प्राथमिक उपचार।
क्यों आता है हार्ट अटैक?
हमारे शरीर के सभी अंगों को काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ये ऑक्सीजन हमारे रक्त के द्वारा शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचता है। आमतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति तब बनती है, जब हृदय तक सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचता है। हमारा हृदय बेहद संवेदनशील तंतुओं से मिलकर बना है। अगर मात्र कुछ सेकंड्स के लिए भी हृदय के किसी हिस्से तक ऑक्सीजन न पहुंचे, तो उस हिस्से के संवेदनशील टिशूज मर जाते हैं। ऐसे में थोड़ी देर अवरुद्ध होने के बाद हृदय के उस हिस्से तक ऑक्सीजन पहुंचती भी है, तो वह हिस्सा काम करना बंद कर देता है और मरीज की मौत हो जाती है।
हृदय तक ऑक्सीजन के न पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- रक्त का गाढ़ा हो जाना, शरीर में पर्याप्त खून न होना, धमनियों में प्लाक जम जाना आदि। हार्ट अटैक आने पर मरीज के सीने में तेज दर्द होता है और वो अपना शारिरिक संतुलन खोकर जमीन पर गिर सकता है। ऐसे में कुछ प्राथमिक उपचार के द्वारा अगर सही समय पर मरीज की सहायता की जाए, तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
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हार्ट अटैक आने पर एस्प्रिन का प्रयोग करना सही है?
फोर्टिस हॉस्पिटल के इन्टरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर निशीथ चंद्रा बताते हैं कि हार्ट अटैक होने पर हर सेकंड कीमती है, क्योंकि हार्ट अटैक का मतलब है कि हर सेकंड में आपके हृदय की मांसपेशियां डैमेज हो रही हैं। इसलिए जैसे ही आपको लगे कि किसी व्यक्ति को या आपको हार्ट अटैक हो सकता है, तो सबसे पहले हार्ट अटैक आने पर मरीज को फौरन प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिये और तत्काल अस्पताल ले जाकर इलाज शुरू करना चाहिये।
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इसके लिए हृदयाघात के लक्षण नजर आते ही मरीज को तत्काल 300 एमजी एस्प्रिन की गोली दें या मरीज के आसपास कोई नहीं मौजूद है, तो मरीज स्वयं को संभालते हुए जल्द से जल्द ये गोली लें। एस्प्रिन की थोड़ी सी मात्रा खून को पतला करती है, जिससे प्लाक जमा होने पर या धमनियों में रक्त का थक्का बन जाने के कारण होने वाली हार्ट अटैक की स्थिति में तुरंत राहत मिल सकती है। ऐसी स्थिति में चूसने वाली एस्प्रिन भी ली जा सकती है। अगर किसी व्यक्ति को अचानक बहुत तेज सीने में दर्द हो अथवा वह बेहोश होकर गिर जाए, तो भी यह हृदयाघात का ही लक्षण हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति को तत्काल चिकित्सीय सहायता दी जानी चाहिये। आराम भी इलाज का एक अहम हिस्सा होता है। अगर आइपॉक्सीमिया की शिकायत हो, तो ऑक्सीजन थेरेपी देना फायदेमंद होता है। इन सब स्थितियों के बावजूद जितनी जल्दी हो सके एंबुलेंस को फोन करें और तत्काल सहायता की मांग करें।
मरीज के सीने को दबाकर पंप करें यानी CPR दें
हमारे हृदय का काम रक्त को पंप करना होता है। हार्ट अटैक की स्थिति में हृदय काम करना बंद कर देता है ऐसे में शरीर के अन्य अंगों तक रक्त की आपूर्ति के लिए आपको मरीज को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिसोसिटेशन) देना चाहिए। सीपीआर में व्यक्ति के सीने को दबाना और मुंह से उसे सांस देना होता है। यह शरीर और दिमाग को ऑक्सीजन देने में सहायता करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के दिशा निर्देशों के मुताबिक भले ही आपने सीपीआर का थोड़ा ही प्रशिक्षण लिया है या नहीं लिया है, आपको ऐसी स्थिति में चैस्ट कंप्रेशन्स के साथ सीपीआर शुरू करना चाहिए।
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कैसे दें सीपीआर, आपको जरूर होना चाहिए पता
- सबसे पहले जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है, उसे समतल जगह पर लिटाएं।
- अब व्यक्ति के सीने के पास बैठकर अपनी एक हथेली उसके छाती के बीच में रखें।
- दूसरी हथेली, पहली हथेली के ऊपर रखें।
- इस स्थिति में अपनी कोहनी को सीधा रखें।
- अब व्यक्ति के सीने के 5-6 सेन्टीमीटर के हिस्से को अपने शरीर का भार देकर जल्दी-जल्दी दबाएं।
- सीने को दबाते समय आपकी स्पीड एक मिनट में कम से कम 100 से 120 बार की होनी चाहिए।
- सीने को दबाते हुए हर 30 बार के बाद मरीज को मुंह से ऑक्सीजन दें।
- मुंह से ऑक्सीजन देते समय व्यक्ति की नाक बंद कर लें।
- इस बीच ध्यान दें कि आपके सांस देने के दौरान व्यक्ति की छाती ऊपर उठ रही है।
अगर छाती ऊपर नहीं उठ रही है, तो व्यक्ति की मुंह को अपने गोद में रखकर फिर से दोबारा मुंह से ऑक्सीजन दें।इस तरह सीपीआर के माध्यम से एंबुलेंस के आने तक मरीज को जीवित रखा जा सकता है। यदि आप प्रशिक्षित नहीं हैं तो जब तक मदद नहीं आती कंप्रेशन्स करना चालू रखें।
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