कोलेस्ट्रॉल एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जो हमारे शरीर में बनता है। अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है, तो एक क्रिया होती है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक के रूप में जमा होने लगता है, जिससे धमनियां संकरी हो जाती हैं। धमनियों के संकरे होने के कारण कई तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं। खतरनाक स्तर होने पर इससे हार्ट अटैक भी हो सकता है और व्यक्ति की जान भी जा सकती है। आइए आपको बताते हैं क्यों खतरनाक होता है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना।
कोलेस्ट्रोल बनने के तीन प्रमुख कारण हैं
- अधिक तेलयुक्त आहार लेना मसलन फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन आदि।
- पोलीअनसेच्युरेटेड फैटी एसिड का अधिकता में सेवन करना जो कि वानस्पतिक तेल में मिलता है।
- इसके अलावा सिगरेट पीने वालों को ये समस्या हो सकती है।
धमनियां हो जाती हैं सख्त
हमारा रक्त धमनियों (रक्तवाहिकाओं) में बहता है और इसी के सहारे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है। धमनियों के अंदरूनी हिस्से में लाइनिंग होती है, जिसे इंडोथीलियम कहा जाता है, यह नाजुक और नर्म होती है। लेकिन कोलेस्ट्रोल के कारण यह सख्त होने लगती हैं। सिर्फ कोलेस्ट्रॉल ही नहीं, हाई ब्लड प्रेशर या चोट लगने के कारण भी धमनियों पर बुरा असर पड़ता है।
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हार्ट अटैक का खतरा
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण धमनियों में जमा होने वाले प्लाक के कारण सबसे ज्यादा खतरा हृदय और मस्तिष्क को होता है। कोलेस्ट्रॉल के कारण इन दो महत्वपूर्ण अंगों तक ठीक से खून नहीं पहुंच पाता है, जिससे व्यक्ति के लिए जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से मुख्य रूप से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर आपको सीने में दर्द महसूस हो, बेचैनी हो या दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगे, तो ये कोलेस्ट्रॉल के बढ़े होने के संकेत हो सकते हैं।
स्ट्रोक हो सकता है
धमनियों में प्लाक के कारण मस्तिष्क तक ऑक्सीजन पहुंचने और रक्त प्रवाह में दिक्कतें आती हैं। नतीजतन स्ट्रोक होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला स्ट्रोक रक्त वाहिकाओं में रुकावट या रक्त वाहिका फट जाने की वजह से हो सकता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के इस्कीमिक स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि धमनियों में रक्त के थक्के न जम सकें। इसे नजरअंदाज करना आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सक से जांच करवाएं और अपना कोलेस्ट्रॉल मैनेज करें।
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पाचनतंत्र भी होता है प्रभावित
कोलेस्ट्रोल पित्त में असंतुलन बना देता है जिससे कि पित्त में पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है। नेशनल डाइजेस्टिव डीजीज इन्फोर्मेशन क्लियरिंगहाउस के मुताबिक 80 फीसदी गैलस्टोन कोलेस्ट्रोल स्टोन ही होते हैं।
पैरों की समस्याएं
यदि कोलेस्ट्रोल बढ़ जाए तो पैरों में संवेदनशून्यता आ सकती है। जिससे हमें सहज चलने फिरने में दिक्कतें महससू होने लगती हैं। कोलेस्ट्रॉल शरीर में रक्त के प्रवाह में बाधा बनता है इसलिए कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर अक्सर शरीर के अंगों तक ऑक्सीजनयुक्त खून नहीं पहुंच पाता है, जिससे उस अंग में झुनझुनी या सिहरन जैसा महसूस होने लगता है। अक्सर हाथ-पैर को दबाकर लेटने या बैठने से भी नसों में रक्त का प्रवाह जब कम हो जाता है, तब भी आप ऐसी झुनझुनी या सिहरन महसूस कर सकते हैं मगर यदि ये बिना कारण हो, तो समझें आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है। अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल तुरंत चेक करवाएं।
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