आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट से पहले जरूरी है शुगर कंट्रोल करना, जानें कैसे कम करें अपना शुगर लेवल

आईवीएफ के जर‍िए मां बनने का व‍िचार कर रही हैं तो इसे अपनाने से पहले शुगर लेवल कंट्रोल करना होगा, जानते हैं शुगर लेवल और गर्भावस्‍था से जुड़ी जरूरी बात

Written by: Yashaswi Mathur Updated at: 2021-08-11 13:18

प्रेग्नेंसी के दौरान डायब‍िटीज बढ़ने के क्‍या नुकसान हैं? अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ता है तो समय से पहले ड‍िलीवरी, बच्‍चे का कम वजन, म‍िसकैरेज जैसी समस्‍याएं आ सकती हैं। केस गंभीर होने पर गर्भस्‍थ श‍िशु को बचा पाना मुश्‍क‍िल हो जाता है। अगर आपको डायब‍िटीज है और आप प्रेग्नेंसी प्‍लान कर रहे हैं तो कम से कम ड‍िलीवरी तक आपका शुगर लेवल कंट्रोल रहना चाह‍िए। ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के ल‍िए आप कसरत और डाइट में बदलाव कर सकती हैं। इस लेख में हम आईवीएफ तकनीक से पहले ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल करने की जरूरत और ब्‍लड शुगर कंट्रोल करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इस व‍िषय पर ज्‍यादा जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

 

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आईवीएफ तकनीक से पहले हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल अपनाएं 

अगर आप आईवीएफ तकनीक के जर‍िए मां बनने के बारे में सोच रही हैं तो आपको बता दें क‍ि इसके ल‍िए आपको डॉक्‍टर ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल करने की सलाह दे सकते हैं। आने वाले कुछ समय में आप आईवीएफ तकनीक को अपनाने प्‍लान है तो ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के ल‍िए हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल चुनें, डाइट और कसरत पर फोकस करें। इसके अलावा आपको इस बात पर भी गौर करना है कि शरीर में कोई अन्‍य गंभीर रोग तो नहीं है, अगर ऐसा है तो पहले उसका इलाज आपके ल‍िए ज्‍यादा जरूरी होगा। 

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शुगर बढ़ी हो तो कैसे अपनाएं आईवीएफ तकनीक?

आपको डॉक्‍टर से सलाह लेकर आईवीएफ तकनीक के ल‍िए तब तक रुकना चाह‍िए जब तक शुगर कंट्रोल न हो जाए या अन्‍य कोई गंभीर बीमारी न हो। शुगर कंट्रोल करने में दो से पांच महीनों का समय लग सकता है। इसके ल‍िए डॉक्‍टर आपको फोल‍िक एसिड सप्‍लीमेंट दे सकते हैं और कुछ ब्‍लड टेस्‍ट करवा सकते हैं। आईवीएफ तकनीक के जर‍िए होने वाली मां के शरीर में एग सैल्‍स को इंसर्ट क‍िया जाता है ताक‍ि आने वाले समय में वो मां बन सके पर अगर शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल ज्‍यादा है तो आपको इसे टालना भी पड़ सकता है। 

आईवीएफ में डायब‍िटीज कंट्रोल करना क्‍यों जरूरी है? (Why it is important to control diabetes before IVF)

ब्‍लड शुगर लेवल पर ध्‍यान देना जरूरी होता है उसके ल‍िए आपको डाइट कंट्रोल करने की जरूरत होगी साथ ही बॉडी के लि‍ए कसरत हर उम्र और पढ़ाव में जरूरी होती है। अगर आपकी डायब‍िटीज कंट्रोल नहीं रहेगी तो प्रेग्नेंसी के दौरान प्र‍ीटर्म लेबर, लो-बर्थ रेट, सीजेर‍ियन ड‍िलीवरी, म‍िसकैरेज आद‍ि की संभावना बढ़ जाती है। 

प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर लेवल में बदलाव होते हैं 

शरीर के ग्‍लूकोज को इस्‍तेमाल करने का तरीका प्रेग्नेंसी के दौरान बदलता है इसल‍िए अगर आप आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने जा रही हैं तो डायब‍िटीज कंट्रोल करने की जरूरत पड़ सकती है। प्रेग्नेंसी के बाद भी आपको हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल, मेड‍िकेशन, शुगर लेवल कंट्रोल करने की जरूरत रहती है, इसके अलावा आपको प्रेग्नेंसी के दौरान रेगुलर चेकअप के ल‍िए जाना चाह‍िए ज‍िसे एंटि‍नेटल चेकअप या प्रसव पूर्व चेकअप कहते हैं।

होने वाले बच्‍चे के ल‍िए क्‍यों हान‍िकारक है जैस्‍टेशनल डायब‍िटीज? (Side effects of gestational diabetes for newborn) 

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प्रेग्नेंसी के दौरान डायब‍िटीज होने को जैस्‍टेशनल डायब‍िटीज कहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ा होगा तो बच्‍चे की क‍िडनी, फेफड़े, द‍िल और द‍िमाग समेत अन्‍य अंगों पर इसका असर पड़ सकता है। कुछ केस में बच्‍चे के पूरे शरीर का व‍िकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता। कई बच्‍चों का शरीर या स‍िर बड़ा हो जाता है या बच्‍चे का स‍िर कैनाल में फंस सकता है। इन समस्‍याओं से बचने के लि‍ए प्रेग्नेंसी के दौरान डायब‍िटीज नहीं होनी चा‍ह‍िए। कई मांओं को प्रेग्नेंसी के दौरान डायब‍िटीज होने पर मां और बच्‍चे दोनों की सेहत खतरे में पड़ जाती है।

मां बनने का प्‍लान कर रही हैं तो कंट्रोल करें ब्‍लड शुगर लेवल 

आपको मां बनना है तो डायब‍िटीज कंट्रोल करने के ल‍िए इन बातों का खास खयाल रखना है- 

आजकल मह‍िलाएं भी तेजी से धूम्रपान और एल्‍कोहॉल की आदी हो रही हैं पर अगर आप प्रेग्नेंसी प्‍लान कर रही हैं तो आपको इसकी आदत छोड़ देनी चाह‍िए। धूम्रपान या एल्‍कोहॉल के सेवन से बच्‍चे को ऑक्‍सीजन की कमी हो सकती है, हार्ट रेट कम हो सकता है उसकी जान को खतरा भी हो सकता है। 

हर द‍िन कसरत करें (Exercise)

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  • आईवीएफ के जर‍िए मां बनने का प्‍लान कर रही हैं पर आपका ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो आपको कसरत को अपनाना है।
  • हर द‍िन 30 म‍िनट चलने के साथ, एरोब‍िक्‍स, योगा, डांस, जॉग‍िंग को अपने रूटीन में शाम‍िल करें।
  • डायब‍िटीज कंट्रोल में रखने के ल‍िए वजन कंट्रोल करना भी जरूरी है इसल‍िए आपको प्रेग्नेंसी से पहले एक्‍सट्रा वजन कंट्रोल करने के बारे में जरूर सोचना चाह‍िए। 
  • अगर आप वजन कम करने के ल‍िए रन‍िंग को व‍िकल्‍प के तौर पर चुनती हैं तो आपको शुरूआत में तेज स्‍पीड में रन‍िंग करने से बचना चाह‍िए। अगर आप शुरू में तेज दौड़ेंगी तो थकने या मसल्‍स में दर्द होने का डर रहेगा। 
  • कोई भी कसरत से पहले स्‍ट्रेच‍िंग एक्‍सरसाइज करना न भूलें। क‍िसी भी कसरत को सफलतापूर्ण करने के ल‍िए स्‍ट्रेच‍िंग भी जरूरी होती है।

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डाइट पर फोकस करें (Diet)

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आईवीएफ तकनीक अपनाने से पहले ही डाइट को डॉक्‍टर की सल‍ाह पर कंट्रोल कर लें इसके ल‍िए इन ट‍िप्‍स को फॉलो करें- 

  • सोड‍ियम की मात्रा कम कर दें, आपको हेल्‍दी डाइट में नमक का सेवन भी कंट्रोल करना है। 
  • अगर मीठा खाने का शौक है तो गुड़ खा सकती हैं पर चीनी का सेवन ब‍िल्‍कुल न करें, चीनी स्‍वास्‍थ्‍य के लि‍ए नुकसानदायक होती है। 
  • डॉक्‍टर की सलाह पर जरूरी व‍िटाम‍िन और म‍िनरल लेती रहें, डॉक्‍टर आपको फोल‍िक एस‍िड लेने की सलाह दे सकते हैं। 
  • प्रोसेस्‍ड फूड का सेवन ब‍िल्‍कुल न करें, प्रोसेस्‍ड फूड में अनसैचुरेटेड फैट होते हैं ज‍िससे आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। 
  • वजन कम करने के ल‍िए हेल्‍दी डाइट अपनाने के साथ गुनगुने पानी में नींबू डालकर उसका सेवन करें। 

आईवीएफ तकनीक हो या नॉर्मल प्रेग्नेंसी आपको इसे प्‍लान करने से पहले अपना ब्‍लड शुगर टेस्‍ट जरूर करवाना चाह‍िए, इससे आपको ब्‍लड शुगर लेवल का पता चलेगा और उसके मुताब‍िक प्रेग्नेंसी प्‍लान कर पाएंगी।  

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