आईवीएफ के जरिए मां बनने का विचार कर रही हैं तो इसे अपनाने से पहले शुगर लेवल कंट्रोल करना होगा, जानते हैं शुगर लेवल और गर्भावस्था से जुड़ी जरूरी बात
प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज बढ़ने के क्या नुकसान हैं? अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है तो समय से पहले डिलीवरी, बच्चे का कम वजन, मिसकैरेज जैसी समस्याएं आ सकती हैं। केस गंभीर होने पर गर्भस्थ शिशु को बचा पाना मुश्किल हो जाता है। अगर आपको डायबिटीज है और आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रहे हैं तो कम से कम डिलीवरी तक आपका शुगर लेवल कंट्रोल रहना चाहिए। ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए आप कसरत और डाइट में बदलाव कर सकती हैं। इस लेख में हम आईवीएफ तकनीक से पहले ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने की जरूरत और ब्लड शुगर कंट्रोल करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
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अगर आप आईवीएफ तकनीक के जरिए मां बनने के बारे में सोच रही हैं तो आपको बता दें कि इसके लिए आपको डॉक्टर ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने की सलाह दे सकते हैं। आने वाले कुछ समय में आप आईवीएफ तकनीक को अपनाने प्लान है तो ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल चुनें, डाइट और कसरत पर फोकस करें। इसके अलावा आपको इस बात पर भी गौर करना है कि शरीर में कोई अन्य गंभीर रोग तो नहीं है, अगर ऐसा है तो पहले उसका इलाज आपके लिए ज्यादा जरूरी होगा।
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आपको डॉक्टर से सलाह लेकर आईवीएफ तकनीक के लिए तब तक रुकना चाहिए जब तक शुगर कंट्रोल न हो जाए या अन्य कोई गंभीर बीमारी न हो। शुगर कंट्रोल करने में दो से पांच महीनों का समय लग सकता है। इसके लिए डॉक्टर आपको फोलिक एसिड सप्लीमेंट दे सकते हैं और कुछ ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं। आईवीएफ तकनीक के जरिए होने वाली मां के शरीर में एग सैल्स को इंसर्ट किया जाता है ताकि आने वाले समय में वो मां बन सके पर अगर शरीर में ब्लड शुगर लेवल ज्यादा है तो आपको इसे टालना भी पड़ सकता है।
ब्लड शुगर लेवल पर ध्यान देना जरूरी होता है उसके लिए आपको डाइट कंट्रोल करने की जरूरत होगी साथ ही बॉडी के लिए कसरत हर उम्र और पढ़ाव में जरूरी होती है। अगर आपकी डायबिटीज कंट्रोल नहीं रहेगी तो प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीटर्म लेबर, लो-बर्थ रेट, सीजेरियन डिलीवरी, मिसकैरेज आदि की संभावना बढ़ जाती है।
शरीर के ग्लूकोज को इस्तेमाल करने का तरीका प्रेग्नेंसी के दौरान बदलता है इसलिए अगर आप आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने जा रही हैं तो डायबिटीज कंट्रोल करने की जरूरत पड़ सकती है। प्रेग्नेंसी के बाद भी आपको हेल्दी लाइफस्टाइल, मेडिकेशन, शुगर लेवल कंट्रोल करने की जरूरत रहती है, इसके अलावा आपको प्रेग्नेंसी के दौरान रेगुलर चेकअप के लिए जाना चाहिए जिसे एंटिनेटल चेकअप या प्रसव पूर्व चेकअप कहते हैं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होने को जैस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ब्लड शुगर लेवल बढ़ा होगा तो बच्चे की किडनी, फेफड़े, दिल और दिमाग समेत अन्य अंगों पर इसका असर पड़ सकता है। कुछ केस में बच्चे के पूरे शरीर का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता। कई बच्चों का शरीर या सिर बड़ा हो जाता है या बच्चे का सिर कैनाल में फंस सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज नहीं होनी चाहिए। कई मांओं को प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होने पर मां और बच्चे दोनों की सेहत खतरे में पड़ जाती है।
आपको मां बनना है तो डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए इन बातों का खास खयाल रखना है-
आजकल महिलाएं भी तेजी से धूम्रपान और एल्कोहॉल की आदी हो रही हैं पर अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो आपको इसकी आदत छोड़ देनी चाहिए। धूम्रपान या एल्कोहॉल के सेवन से बच्चे को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, हार्ट रेट कम हो सकता है उसकी जान को खतरा भी हो सकता है।
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आईवीएफ तकनीक अपनाने से पहले ही डाइट को डॉक्टर की सलाह पर कंट्रोल कर लें इसके लिए इन टिप्स को फॉलो करें-
आईवीएफ तकनीक हो या नॉर्मल प्रेग्नेंसी आपको इसे प्लान करने से पहले अपना ब्लड शुगर टेस्ट जरूर करवाना चाहिए, इससे आपको ब्लड शुगर लेवल का पता चलेगा और उसके मुताबिक प्रेग्नेंसी प्लान कर पाएंगी।
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