कॉफी विश्वभर में सबसे अधिक मात्रा में पिया जाने वाला पेय पदार्थ है। इसका सेवन कई स्वास्थ्य लाभ से भी जुड़ा हुआ है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में इसका एक और फायदा सामने आया है, जिसमें यह बताया गया है कि कि कॉफी किडनी यानी के गुर्दे के बेहतर तरीके से कार्य करने से जुड़ी हुई है। अमेरिकन जर्नल ऑफ किडनी डिजीज में प्रकाशित ''कॉफी कंजप्शन एंड किडनी फंक्शनः ए मेंडिलियन रेंडमाइजेशन स्टडी'' अध्ययन के निष्कर्षों के मुताबिक, विश्वभर में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के बढ़ते मामलों पर ग्लोबल पब्लिक हेल्थ के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहल की जानी चाहिए।
क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें किडनी धीरे-धीरे खराब हो जाती है। इस स्थिति में किडनी की अपशिष्ट को फिल्टर करने की क्षमता बिगड़ जाती है और रक्त से अतिरिक्त तरल पदार्थ निकलने लगता है। अगर इस स्थिति का उपचार न किया जाए तो धीरे-धीरे किडनी फेल्योर की शिकायत होने लगती है। इसके अलावा स्थिति बिगड़ने पर बिना डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट किए रोगी को ठीक नहीं किया जा सकता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, अक्सर डायबिटीज या हाइपरटेंशन को बड़ी बीमारी माना जाता है लेकिन क्रॉनिक डिजीज भी कई कारणों से एक जटिल रोग बन चुका है। यह बीमारियों से विश्वभर में होने वाली मौतों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालता है और ह्रदय रोगों, मधुमेह, हाइपरटेंशन, ह्यूमन इम्यूनोडिफीशियेंसी वायरस (एचआईवी) और मलेरिया जैसे रोगों से होने वाली अधिकतर मौतों के जोखिम से जुड़ा हुआ है।
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साउथएंप्टन यूनिवर्सिटी के प्राइमरी केयर एंटी पॉप्यूलेशन साइंसेज फैक्लटी ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर ऑलिवर जे. केनेडी और उनके सहयोगियों द्वारा जीनोम वाइड एसोशिएशन स्टडी (जीडब्लूएएस) में किडनी की गतिविधियों पर कॉफी के सेवन के प्रभाव को जांचने का प्रयास किया गया।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के बायोबैंक बेसलाइन डेटा का प्रयोग किया और करीब 227,666 मरीजों के डेटा की जांच की। शोधकर्ताओं ने किडनी के परिणामों के लिए सीकेडीजेन कोंसोर्टियम डेटा का भी प्रयोग किया, जिसमें 133,814 मरीज और क्रॉनिक किडनी डिजीज के 12, 385 मामले शामिल थे। इनमें से ज्यादातक लोग यूरोपीय देशों के रहने वाले थे।
अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में ग्लोमेर्युलर निस्पंदन दर (glomerular filtration rate (eGFR)को जांचा। ग्लोमेर्युलर निस्पंदन दर, गुर्दे के माध्यम से फ़िल्टर्ड द्रव की प्रवाह दर का वर्णन करती है। सीकेडी जीएफआर की श्रेणी 3 से 5 तक मांपी गई।
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शोधकर्ताओं ने कहा, ''हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि नियमित रूप से कॉफी पीने वाले लोगों का किडनी स्वास्थ्य बेहतर रहता है और कॉफी पीना इसमें एक सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है।''
उन्होंने कहा, ''अगले कदम के रूप में महत्वपूर्ण जोखिम कारकों, विशेष रूप से डायबिटीज और हाईपरटेंशन के साथ कॉफी के संबंधों की जांच के लिए और अध्ययन होने चाहिए, जो सीकेडी पर प्रभाव के बारे में बता सकते हैं। हमारा यह अध्ययन क्रॉनिक किडनी डिजीज की शुरुआत और प्रगति को रोकने में कॉफी की संभावित भूमिका को बेहतर ढंग से परिभाषित करेगा।''
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