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परिजन ने मोबाइल छीना तो छात्रा ने लगाई फांसी, जानें फोन की लत बच्चों के मेंटल हेल्थ को कैसे कर रही प्रभावित?

डॉ. गौरव के अनुसार, स्मार्टफोन हमारी लाइफ का एक अहम हिस्सा है। मोबाइल पर वीडियोज, सोशल मीडिया और गेम्स खेलने के कारण बच्चे मोबाइल चलाते है, जिससे उनका मनोरंजन होता है।
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परिजन ने मोबाइल छीना तो छात्रा ने लगाई फांसी, जानें फोन की लत बच्चों के मेंटल हेल्थ को कैसे कर रही प्रभावित?


Class 9 Student Committed Suicide Due To Mobile in Chhattisgarh Addiction : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक 14 साल की 9 वीं क्लास में पढ़ रही छात्रा की आत्महत्या का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिजनों द्वारा मोबाइल छीने जाने पर गुस्साई छात्रा ने यह कदम उठाया है। मृत छात्रा का नाम एंजल जैसवानी बताया जा रहा है। छात्रा द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद उसके परिजनों का कहना है कि वह अपना बहुत लंबा समय मोबाइल पर बिताती थी। मोबाइल चलाने के कारण छात्रा की पढ़ाई भी रुक रही थी।

15 दिसंबर को जब परिजनों ने छात्रा से पढ़ाई करने के लिए कहा और मोबाइल  छीन लिया, तो इसकी वजह से छात्रा बहुत गुस्सा हो गई। बाद में, छात्रा ने कमरे में जाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस पूरे घटनाक्रम के बाद परिजन तुरंत छात्रा को लेकर अस्पताल गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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छात्रा की आत्महत्या के बाद एक बार फिर मोबाइल की बढ़ती लत और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आइए इस लेख में आगे जानते हैं मोबाइल की लत बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर रही है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता से बात की।

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फोन की लत बच्चों की मानसिक सेहत पर कैसे असर डालती है?- How phone addiction affect the mental health of children?

डॉ. गौरव के अनुसार, स्मार्टफोन हमारी लाइफ का एक अहम हिस्सा है। मोबाइल पर वीडियोज, सोशल मीडिया और गेम्स खेलने के कारण बच्चे मोबाइल चलाते है, जिससे उनका मनोरंजन होता है। बच्चों द्वारा मोबाइल चलाने से पेरेंट्स को तो खाली वक्त मिल जाता है, लेकिन जब बच्चों को इसकी आदत लग जाती है, तो यह उनके सोचने और समझने की क्षमता को प्रभावित करने लगता है।

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1. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता होती है कम

मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों को पढ़ाई और अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चों का ध्यान बार-बार मोबाइल के नोटिफिकेशन और गेमिंग पॉप-अप पर जाता है।

2. तनाव और चिंता का कारण

मोबाइल की लत के कारण बच्चों को तनाव, चिंता और डिप्रेशन का खतरा रहता है। किशोरों द्वारा ज्यादा मोबाइल चलाने से अवसाद और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति भी जन्म लेती है।

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3. नींद में परेशानी

फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण बच्चों की नींद प्रभावित होती है। रात को सोने से पहले अगर बच्चे मोबाइल पर गेम खेलते हैं या वीडियो देखते हैं, तो इसकी वजह से नींद आने में परेशानी आती है। इसकी वजह से बच्चों के सपने में भी बाधित हो सकते हैं।

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4. चिड़चिड़ापन

फोन पर गेम्स और सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चे अधिक आक्रामक और चिड़चिड़े हो सकते हैं। वे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना और चिल्लाने लगते हैं।

5. संज्ञानात्मक क्षमता को करती है कम

मोबाइल की लत पारिवारिक गतिशीलता को बाधित करती है और संज्ञानात्मक क्षमताओं को कम करती है। यह उनके सामाजिक कौशल को कमजोर करता है और वे अकेलापन महसूस करने लगते हैं।

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बच्चों की मोबाइल की लत कैसे छुड़ाएं?- How to get rid of mobile addiction of children?

इस बारे में डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि बच्चों की मोबाइल की लत को छुड़वाने के लिए पेरेंट्स को पहल करने की कोशिश जरूरी है।

  • पेरेंट्स बच्चों की पढ़ाई, मनोरंजन और अन्य गतिविधियों के लिए अलग-अलग टाइमिंग शेड्यूल करें।
  • बच्चों को दिन में 1 घंटे से ज्यादा मोबाइल फोन  का इस्तेमाल न करने के लिए दें।
  • बच्चों को बताएं कि सीमित समय में मोबाइल का उपयोग कैसे करना चाहिए।
  • बच्चों की मोबाइल की लत को छुड़वाने के लिए पेरेंट्स उसके साथ समय बिताएं।

निष्कर्ष

बच्चों की मोबाइल लत छुड़ाना आसान नहीं है, लेकिन माता-पिता को इसके लिए काम करना जरूरी है। जब बच्चा मोबाइल ज्यादा चलाने लगे या मोबाइल चलाने की शुरुआत करें, तभी पेरेंट्स को इसके प्रति सावधानी बरतना जरूरी है।

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