क्या 5G इंटरनेट का स्वास्थ्य पर पड़ेगा बुरा असर? वैज्ञानिकों के अनुसार बढ़ जाएगा कैंसर का खतरा

भारत में 5G इंटरनेट की शुरुआत अगले साल 2020 तक हो सकती है। 5G टेक्नोलॉजी से इंटरनेट स्पीड तो तेज हो जाएगी, मगर कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे आपके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा और कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। जानें पूरी बात।
  • SHARE
  • FOLLOW
क्या 5G इंटरनेट का स्वास्थ्य पर पड़ेगा बुरा असर? वैज्ञानिकों के अनुसार बढ़ जाएगा कैंसर का खतरा


भारत में अगले साल यानी 2020 तक 5जी इंटरनेट सेवा शुरू होने की संभावना है। दुनियाभर में 5जी टेक्नोलॉजी धीरे-धीरे अपने पांव पसार रही है। युवाओं में इन दिनों स्मार्टफोन्स पर वीडियो स्ट्रीमिंग और ऑनलाइन गेमिंग के बढ़ते इस्तेमाल के कारण 4जी इंटरनेट स्पीड अब नाकाफी साबित हो रही है। 5जी तकनीक को लेकर एक तरफ जहां मोबाइल कंपनियां और उपभोक्ता, दोनों उत्साहित हैं, वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बारे में थोड़ा चिंतित दिखाई देते हैं।

5G यानी Fifth Generation मोबाइल टेक्नोलॉजी, तेज इंटरनेट ब्राउजिंग, हाई स्पीड डाउनलोडिंग और अच्छी कनेक्टिविटी का दावा तो कर रही है। मगर इस तकनीक से फैलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन और हमारे स्वास्थ पर उसके असर के बारे में कुछ वैज्ञानिक अलग राय रखते हैं।

फोन के सिग्नल्स क्यों माने जाते हैं खतरनाक?

आप अक्सर ये बात सुनते होंगे कि मोबाइल टावर से 'रेडिएशन' फैलता है। मगर क्या आप जानते हैं कि रेडिएशन क्या है? रेडिएशन किसी भी स्रोत से निकलने वाली एनर्जी को कहते हैं। हमारे शरीर से भी लगातार गर्मी निकलती है और ये भी एक तरह का रेडिशन है। लेकिन कुछ रेडिएशन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। रेडिएशन के लगातार संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

इसे भी पढ़ें:- गाड़ियों से निकलने वाले धुंए से बढ़ रही है आंखों की ये बीमारी, धुंधलापन और लाल आंखें हैं संकेत

3G और 4G मोबाइल द्वारा जो रेडिएशन होता है, उनमें फ्रीक्वेंसी कम होती है और वेवलेंथ ज्यादा होती है। इस रेडिएशन में इतनी एनर्जी नहीं होती है कि वो इंसानों के डीएनए (DNA) को नुकसान पहुंचाएं। वहीं कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि 5G रेडिएशन सीधे हमारे डीएनए को डैमेज नहीं करेगा, मगर कुछ अन्य जैविक क्रियाओं के द्वारा इसकी संभावना है,- जैसे 5G रेडिएशन के लगातार संपर्क में रहने के कारण शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ सकता है, जिसके कारण अंदरूनी सूजन (inflammation) हो सकती है और कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर रोग और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का स्वास्थ्य पर असर

साल 2011 में International Agency for Research on Cancer (IARC) के साथ काम करने वाले 30 अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाने का प्रयास किया कि रेडियो फ्रीक्वेस-इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (RF-EMFs) से कैंसर पैदा होने का कितना खतरा होता है। इस अध्ययन को The Lancet Oncology नामक पत्रिका में छापा गया। अध्ययन में पाया गया कि लंबे समय तक RF-EMFs में रहने के कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम के एक खास कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जिसे 'ग्लिओमा' कहते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य अध्ययन बताते हैं कि ये एकॉस्टिक न्यूरोमा (acoustic neuroma) के खतरे को भी बढ़ सकता है। इस अध्ययन के लिए चूहों पर 40 से ज्यादा प्रयोग किए गए।

इसे भी पढ़ें:- दिल्ली में 30 साल से कम उम्र के युवाओं में बढ़ा फेफड़ों का कैंसर, सिगरेट न पीने वाले भी शिकार

क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के अनुसार, "अभी तक रेडियोफ्रीक्वेंसी के संपर्क में रहने के कारण किसी भी व्यक्ति में हेल्थ से जुड़ी समस्याएं सामने नहीं आई हैं। लेकिन वैज्ञानिक इस बारे में लगातार रिसर्च कर रहे हैं।"

कुल मिलाकर पर्याप्त रिसर्च के अभाव में ये कहना मुश्किल है कि 5G तकनीक इंसानों को किस तरह प्रभावित करेगी। मगर वैज्ञानिक इस बारे में एकमत हैं कि रेडिएशन के संपर्क में जितना कम रहा जाए, सेहत के लिए उतना अच्छा है। इसलिए रात में सोते समय मोबाइल बंद करने और जरूरी न होने पर मोबाइल का डाटा बंद रखने की सलाह दी जाती है।

Read more articles on Health News in Hindi




Read Next

Air Pollution: खराब होती हवा की गुणवत्‍ता कम उम्र में मौत की बन सकती है वजह- शोध

Disclaimer