गाड़ियों से निकलने वाले धुंए से बढ़ रही है आंखों की ये बीमारी, धुंधलापन और लाल आंखें हैं संकेत

गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ सेहत के साथ-साथ आंखों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। लगातार इस धुंए के संपर्क में रहने वाले लोगों में आंखों के रोग, मैक्युलर डिजेनेरेशन का खतरा बढ़ रहा है। इस रोग के कारण आंखें कमजोर हो जाती हैं और धुंधला दिखाई देता है।
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गाड़ियों से निकलने वाले धुंए से बढ़ रही है आंखों की ये बीमारी, धुंधलापन और लाल आंखें हैं संकेत

गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ प्रदूषण तो बढ़ा ही रहा है, साथ ही ये लोगों की आंखें भी कमजोर कर रहा है। हाल में हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि लंबे समय तक गाड़ियों के धुंएं के संपर्क में रहने के कारण आंखों की एक बीमारी का खतरा बढ़ रहा है, जिसे मैक्युलर डिजेनेरेशन (Macular Degeneration) कहते हैं। लंबे समय में ये बीमारी व्यक्ति को अंधा भी बना सकती है, क्योंकि इसका असर व्यक्ति के रेटीना पर पड़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आंखों के इस रोग का अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, इससे सिर्फ बचाव संभव है।

अंधा बना सकता है मैक्युलर डिजेनेरेशन रोग

मैक्लुयर डिजेनेरेशन रोग होने पर व्यक्ति के आंखों की पुतली में धब्बे हो जाते हैं, जिसके कारण उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। लंबे समय में ये बीमारी अंधेपन में बदल जाती है। इस रोग के कारण रेटीना के बीच का हिस्सा प्रभावित होता है, जिसे मैक्युला कहते हैं। बुजुर्गों में अंधेपन या धुंधला दिखाई देने का ये रोग एक प्रमुख कारण है। आमतौर पर इस रोग के कारण 50 साल से बड़ी उम्र के लोग प्रभावित होते हैं। मगर इस रोग को बढ़ाने में गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ भी बड़ा जिम्मेदार है।

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गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ है जिम्मेदार

ये रिसर्च Journal of Investigative Medicine में छापी गई है और इसमें बताया गया है कि प्रदूषण में रहने वाले लोगों में इस रोग का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। रिसर्च में बताया गया है कि आंखों को सबसे ज्यादा जिन तत्वों से नुकसान पहुंचता है, वो नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हैं। ये दोनों ही कंपाउंड गाड़ियों से निकलने वाले धुंएं में होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक शहरों में रहने वाले लोग इसका ज्यादा शिकार हो रहे हैं क्योंकि शहरों में प्रदूषण का स्तर गांवों की अपेक्षा ज्यादा होता है।

कैंसर और टीबी का भी बड़ा कारण है गाड़ियों का धुंआ

नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सिर्फ आंखों को ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करते हैं और कई खतरनाक रोगों का कारण बन सकते हैं। ये धुंआ कार्डियोवस्कुलर बीमारियों (हृदय रोगों) और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है। कई शोध यह भी बताते हैं कि प्रदूषण के कारण ही कैंसर और टीबी जैसे रोग भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

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आंखों के रोगों से बचाव के लिए टिप्स

  • गाड़ी चलाते समय कार का शीशा बंद रखें।
  • बाइक से ट्रैवेल करते समय आंखों पर चश्मा लगाएं।
  • शहरों में गाड़ी चलाते समय आपको मुंह पर मास्क और हेलमेट जरूर पहनना चाहिए।
  • सिगरेट, बीड़ी, हुक्का आदि धूम्रपान वाली चीजें भी आंखों को कमजोर करती हैं। इसलिए धूम्रपान (स्मोकिंग) छोड़ दें।
  • विटामिन ए वाले आहार जैसे- पालक, गाजर, मछली, अखरोट, हरी सब्जियां, आदि जरूर खाएं।
  • साल में 1 बार आंखों की जांच जरूर खाएं।

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